Saturday, May 27, 2023

तांडव छंद "जागरण"

विपद में सारा देश।
चतुर्दिक कटु परिवेश।।
समझ लो भू की पीर।
उठो अब जागो वीर।।

सभी की अपनी राग।
लगी विघटन की आग।।
युवक अब तुम लो जाग।
उदासी का कर त्याग।।

बजें अलगावी ढोल।
लजाते देश कुबोल।।
भयंकर फैला स्वार्थ।
उठो जन-जन बन पार्थ।।

बनो प्रलयंकर रुद्र।
उफनते उग्र समुद्र।।
मचादो तांडव घोर।
मिटा खलुओं का जोर।।

त्यजो तंद्रा प्राचीन।
नहीं हो मन से हीन।।
दिखादो युवकों आज।
टिकी है तुम पर लाज।।

हुये थे हम आजाद।
कुटिल बँटवारा लाद।।
न हो फिर वैसा बोध।
'नमन' सबसे अनुरोध।।
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तांडव छंद विधान -

तांडव छंद 12 मात्रा प्रति चरण का सम मात्रिक छंद है। यह आदित्य जाति का छंद है। एक छंद में कुल 4 चरण होते हैं और छंद के दो दो या चारों चरण सम तुकांत होने चाहिए। इन 12 मात्राओं की मात्रा बाँट - 1 22 22  21(ताल) है। इस छंद के प्रारंभ में भी लघु वर्ण है तथा अंत में भी लघु वर्ण है। प्रारंभिक लघु के पश्चात दो चौकल ओर फिर गुरु लघु वर्ण हैं।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया
29-05-22

Thursday, May 18, 2023

पिरामिड (रे, चन्दा)


रे
चन्दा
निर्मोही,
करता क्यों
आंख मिचौली।
छिप जा अब तो,
किन्ही खूब ठिठौली।।1।।

जो
बात
कह न
सकते हैं,
हम तुमसे।
सोच उसे फिर
ये नैना क्यों बरसे।।2।।

गा
मन
मल्हार,
मिलन की
रुत है आई।
मोहे ऋतुराज,
मन्द है पुरवाई।।3।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
2-04-18

Tuesday, May 9, 2023

छंदा सागर (तगणादि छंदाएँ)

                      पाठ - 11

छंदा सागर ग्रन्थ

"तगणादि छंदाएँ"


तगणादि छंदाएँ:- तगणादि छंदाओं का प्रथम गुच्छक तगणाश्रित गुच्छक रहता है जो निम्न गुच्छक में से कोई भी हो सकता है।

221 = तगण
2211 = अंतल
2212 = ईतग
22121 = ईंतागल
22112 = ऊतालग
221121 = ऊंतालिल
22122 = एतागग
221221 = ऐंतागिल

तगणादि गुरु-लूकी छंदाएँ:- इन छंदाओं में गुरु वर्ण के मध्य ऊलल वर्ण (11) रहते हैं। वाचिक स्वरूप में ये दोनों लघु स्वतंत्र लघु होते हैं। मात्रिक और वर्णिक में लघु वर्ण सामान्य लघु ही रहते हैं।
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22112 2 = तूगा, तूगण, तूगव (तनुमध्या छंद)
22112 2, 22112 2  = तूगध, तूगाधण, तूगाधव
(22112 2)*2 = तुगधू, तूगाधुण, तूगाधुव
(इस छंदा के मध्य में आये गुरु वर्ण को ऊलल वर्ण में तोड़ा जा सकता है।)
22112 21 = तूगू, तूगुण, तूगुव

22112 22 = तूगी, तूगिण, तूगिव (भक्ति छंद)
22112 22 +1 = तूगिल, तूगीलण, तूगीलव
22112 22, 22112 22 = तूगिध, तूगीधण, तूगीधव
(22112 22)*2 = तूगीधू, तूगीधुण, तूगीधुव
22112 22 +1, 22112 22 +1 = तूगीलध, तूगिलधण, तुगिलधव
22112 22 22112 2 = तूगीतुग, तूगीतूगण, तूगीतूगव

22112 222 = तूमा, तूमण, तूमव
22112 2221 = तूमल, तूमालण, तूमालव
22112 2222 = तूमी, तूमिण, तूमिव
22112 22221 = तूमिल, तूमीलण, तूमीलव
****

22112 112 = तूसा, तूसण, तूसव
22112 1121 = तूसल, तूसालण, तूसालव
22112 112, 22112 112 = तूसध, तूसाधण, तूसाधव

22112 1122 = तूसी, तूसिण, तूसिव
22112 11221 = तूसिल, तूसीलण, तूसीलव
22112 1122, 22112 1122 = तूसिध, तूसीधण, तूसीधव
22112 1122, 22112 11221 = तूसीधल, तूसिधलण, तूसिधलव
22112 11221, 22112 11221 = तूसींधा, तूसींधण, तूसींधव

22112 11222 = तूसे, तूसेण, तूसेव
22112 112221 = तूसेल, तूसेलण, तूसेलव
**

2211*2 2 = तंदग, तंदागण, तंदागव
2211*2 21 = तंदागू, तंदागुण, तंदागुव
2211*2 22 = तंदागी, तंदागिण, तंदागिव
2211*2 221 = तंदत, तंदातण, तंदातव
2211*2 22, 2211*2 22 = तंदागिध, तंदागीधण, तंदागीधव
2211*2 22, 2211*2 22 +1 = तंदागीधल, तंदागिधलण, तंदागिधलव
2211*2 222 = तंदम, तंदामण, तंदामव
2211*2 2221 = तंदामल, तंदमलण, तंदमलव
2211*2 2222 = तंदामी (रुबाइयों की छंदा), तंदामिण, तंदामिव
**

22112*2 2 = तूदग, तूदागण, तूदागव
22112*2 21 = तुदगू, तूदागुण, तूदागुव
22112*2 22 = तुदगी, तूदागिण, तूदागिव
22112*2 22 +1 = तूदागिल, तुदगीलण, तुदगीलव
22112*2 222 = तूदम, तूदामण, तूदामव
22112*2 2221 = तूदामल, तूदमलण, तूदमलव
**

22112 22 22112 = तूगीतू (रुबाई), तूगीतुण, तूगीतुव 
22112 22 221121 = तूगीतुल, तूगीतूलण, तूगीतूलव
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22112 112*2 = तूसद, तूसादण, तूसादव (मोटनक छंद)
22112 112*2 1 = तूसादल, तूसदलण, तूसदलव
22112 112*2 2 = तूसादग, तूसदगण, तूसदगव
22112 112*2 21 = तूसदगू, तूसदगुण, तूसदगुव
22112 112*2 22 = तूसदगी, तूसदगिण, तूसदगिव
22112 112*2 22 +1 = तूसदगिल, तूसदगीलण, तूसदगीलव

22112 11 22112 = तूलूतू, तूलूतुण, तूलूतुव
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2211 22112 112 = तंतुस, तंतूसण, तंतूसव
2211 22112 1122 = तंतूसी, तंतूसिण, तंतूसिव

2211*3 2 = तंबग (रुबाई), तंबागण, तंबागव
2211*3 21 = तंबागू, तंबागुण, तंबागुव
2211*3 22 = तंबागी, तंबागिण, तंबागिव
2211*3 221= तंबत, तंबातण, तंबातव
2211*3 222 = तंबम, तंबामण, तंबामव
2211*3 2221 = तंबामल, तंबमलण, तंबमलव
**

2211 22112*2 = तंतुद, तंतूदण, तंतूदव

22112*3 2 = तूबग, तूबागण, तूबागव
22112*3 21 = तुबगू, तूबागुण, तूबागुव
22112*3 22 = तुबगी, तूबागिण, तूबागिव
22112*3 22 +1 = तूबागिल, तुबगीलण, तुबगीलव
22112*3 222 = तूबम, तूबामण, तूबामव
(यति के साथ:- तूदंतुम, तूदंतूमण, तूदंतूमव)
22112*3 2221 = तूबामल, तूबमलण, तूबमलव
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तगणावृत्त छंदाएँ :- इन छंदाओं में केवल तगणाश्रित गुच्छक ही रहते हैं जिनकी एक से चार गुच्छक तक की आवृत्तियाँ रहती हैं। गुच्छक के अंत में स्वतंत्र वर्ण जुड़ सकते हैं। द्विगुच्छकी छंदाओं के मध्य में भी स्वतंत्र वर्ण संयोजित हो सकते हैं। इस पाठ में आगे लघु वृद्धि की छंदाएँ नहीं दी जा रही हैं जो सभी में बन सकती हैं। अब आगे केवल वाचिक और मात्रिक छंदाएँ ही दी जायेंगी। मात्रिक छंदा के अंत के ण के स्थान पर व के प्रयोग से आसानी से वर्णिक छंदा बनायी जा सकती है। इन्हें बनाने के लिये आधार गुच्छक के रूप में इस पाठ के प्रारंभ में बताये गये 8 गुच्छक में से कोई भी लिया जा सकता है।

"त = (221 आधार गुच्छक)":-

221*2 = तादा, तादण, तादव (मंथन/ज्योति छंद)
221*2 2 = तादग, तदगण
221*3 2 = ताबग, तबगण
221*4 2 = ताचग, तचगण
(इन छंदाओं में अंत में ग के स्थान पर ली या गी भी संयोजित हो सकता है। जैसे - तदली, तबगी आदि।)
221*3 22 = तबगी, तबगिण, तबगिव (विध्वंकमाला/लयग्राही छंद)
221*2 2, 221*2 2 = तदगध, तादगधण

221*2 +1 (तदलत, तादलती, तादलतू, तादलते)
221*2 +2 (तदगत, तातिद, तादगतू, तादगते)
221*2 +21 (तदगुत, तदगूती, तदगूतू, तदगूते)
221*2 +12 (तदलित, तदलीती, तातुद, तदलीते)
221*2 +22 (तदगित, तदगीती, तदगीतू, तातेद)
(वर्ण संयोजन के पश्चात क्रमशः 221, 2212, 22112, 22122 गुच्छक की वाचिक छंदाएँ दी गयी हैं।)
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"तं = (2211 आधार गुच्छक)":-

2211 2212 = तंती, तंतिण
2211 22122 = तंते, तंतेण
2211 2212, 2211 2212 = तंतिध, तंतीधण
2211*2 2212 = तंदाती, तंदातिण
2211*3 2212 = तंबाती, तंबातिण

2211 221*2 +2 = तंतादग, तंतदगण
(ग के स्थान पर ली या गी भी संयोजित हो सकता है।)
2211 2212*2 = तंतिद, तंतीदण
2211 2212*2 +2 = तंतीदग, तंतिदगण
2211 22122*2 = तंतेदा, तंतेदण

2211*2 +2 (तंदागत, तंदगती, तंतुद, तंदगते)
2211*2 +21 (तंदागुत, तंदागूती, तंदागूतू, तंदागूते)
(वर्ण संयोजन के पश्चात क्रमशः 221, 2212, 22112, 22122 गुच्छक की वाचिक छंदाएँ दी गयी हैं।)
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"ती = (2212 आधार गुच्छक)":-

2212 22 = तीगी, तीगिण
(यह छंदा 22122 2 से अलग है। इसमें रचनाकार चाहे तो 22 को 112 में भी ले सकता है।)

2212*2 2 = तीदग, तीदागण
2212*2 12 = तिदली, तीदालिण
2212*2 22 = तिदगी, तीदागिण
(ये छंदाएँ तीन और चार की आवृत्ति में भी बनेंगी। जैसे - तिबली, तीचग आदि।)
2212*2 2, 2212*2 2 = तीदागध, तीदगधण

2212 221 = तीता, तीतण
2212*2 221 = तीदत, तीदातण
2212*3 221 = तीबत, तीबातण, तीबातव (गीता छंद)
2212 22112 = तीतू, तीतुण
2212 22112, 2212 22112 = तीतुध, तीतूधण
2212 11 2212 = तीलूती, तीलूतिण
2212*2 22112 = तिदतू, तीदातुण

2212 221*2 +2 = तीतादग, तीतदगण
(ग के स्थान पर ली या गी भी संयोजित हो सकता है।)
2212 22112*2 = तीतुद, तीतूदण

2212*2 +1 2212 = तीदलती, तीदलतिण
2212*2 +2 2212 = तीदगती, तीदगतिण
(इन छंदाओं में अंत में ती के स्थान पर तू, ते गणक भी आ सकते हैं।)
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"तीं = (22121 आधार गुच्छक)":-

22121 2 = तींगा, तींगण
22121 12 = तींली, तींलिण
22121 22 = तींगी, तींगिण
22121 2, 22121 2 = तींगध, तींगाधण
22121 22 22121 22 = तींगीधू, तींगीधुण
22121 22, 22121 22 = तींगिध, तींगीधण, तींगीधव (दिगपाल छंद)

22121*2 = तींदा, तींदण
22121*2 2 = तींदग, तींदागण
22121*2 12 = तींदाली, तींदालिण
22121*2 22 = तींदागी, तींदागिण
(ये छंदाएँ तीन की आवृत्ति में भी बनेगी।)

22121 2212 = तींती, तींतिण
22121 2212, 22121 2212 = तींतिध, तींतीधण
22121*2 2212 = तींदाती, तींदातिण
22121 2 2212 = तींगाती, तींगातिण
22121 21 2212 = तींगूती, तींगूतिण
22121 12 2212 = तींलीती, तींलीतिण
22121 22 2212 = तींगीती, तींगीतिण
(इनके अंत में ती के स्थान पर तू, ते गणक भी आ सकते हैं।)

22121 221*2 +2 = तींतादग, तींतदगण
(ग के स्थान पर ली या गी भी संयोजित हो सकता है।)
22121 22112*2 = तींतुद, तींतूदण

22121 221, 22121 221 +2 = तींताधग, तींतधगण
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"तू = (22112 आधार गुच्छक )":-

22112 2212 = तूती, तूतिण
22112 2212, 22112 2212 = तूतिध, तूतीधण
22112*2 2212 = तुदती, तूदातिण
22112 11 2212 = तूलूती, तूलूतिण
22112 2 2212 = तुगती, तूगातिण
22112 22 2212 = तूलीती, तूलीतिण
(इनके अंत में ती के स्थान पर ते गणक भी आ सकता है।)

22112 221*2 2 = तूतादग, तूतदगण
(ग के स्थान पर ली या गी भी संयोजित हो सकता है।)
22112 2212*2 = तूतिद, तूतीदण

22112 221, 22112 221 +2 = तूताधग, तूतधगण
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"तूं = (221121 आधार गुच्छक)": 

221121 2 = तूंगा, तूंगण
221121 22,    = तूंगी, तूंगिण
221121 22, 221121 22 = तूंगिध, तूंगीधण

221121*2 2 = तूंदग, तूंदागण
221121*2 22 = तूंदागी, तूंदागिण
(ये छंदाएँ तीन की आवृत्ति में भी बनेगी।)

221121 2212 = तूंती, तूंतिण
221121 2212, 221121 2212 = तूंतिध, तूंतीधण
221121*2 2212 = तूंदाती, तूंदातिण
221121 2 2212 = तूंगाती, तूंगातिण
221121 12 2212 = तूंलीती, तूंलीतिण
221121 22 2212 = तूंगीती, तूंगीतिण
(इनके अंत में ती के स्थान पर तू, ते गणक भी आ सकते हैं।)

221121 221*2 2 = तूंतादग, तूंतदगण
(ग के स्थान पर ली या गी भी संयोजित हो सकता है।)
221121 2212*2 = तूंतिद, तूंतीदण
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"ते = (22122 आधार गुच्छक)":-

22122 2 = तेगा, तेगण
22122 22 = तेगी, तेगिण
22122 22, 22122 22 = तेगिध, तेगीधण
22122 22 22122 2 = तेगीतेगा, तेगीतेगण

22122*2 2 = तेदग, तेदागण
22122*2 22 = तेदागी, तेदागिण
(ये छंदाएँ तीन की आवृत्ति में भी बनेगी।)

22122 2212 = तेती, तेतिण
22122 2212, 22122 2212 = तेतिध, तेतीधण
22122*2 2212 = तेदाती, तेदातिण
22122 2 2212 = तेगाती, तेगातिण
22122 22 2212 = तेगीती, तेगीतिण
(इनके अंत में ती के स्थान पर तू गणक भी आ सकता है।)

22122 221*2 2 = तेतादग, तेतदगण
(ग के स्थान पर ली या गी भी संयोजित हो सकता है।)
22122 2212*2 = तेतिद, तेतीदण
22122 22112*2 = तेतुद, तेतूदण

22122 221, 22122 221 +2 = तेताधग, तेतधगण
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तगणाश्रित बहुगणी छंदाएँ:- हमने तगणक छंदाओं की संभावनाओं का विस्तृत अध्ययन किया। अब हम तगण गुच्छकों के साथ अन्य गणों के गुच्छकों के मेल से बनी छंदाओं का अवलोकन करेंगे। आधार गुच्छक पूर्णतया बनने के पश्चात ही अन्य गण का गुच्छक जुड़ सकता है। जैसे 2212 222 = तीमा छंदा न बनकर 22122 22 = तेगी छंदा बनेगी। परंतु गुच्छक की आवृत्ति की प्राथमिकता है।

तामक छंदाएँ:- इन छंदाओं में तगण के साथ मगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता है। मगण के किसी भी गुरु वर्ण को ऊलल वर्ण में तोड़ा जा सकता है यदि उसके दोनों तरफ गुरु वर्ण रहे।
यहाँ लघु वृद्धि की छंदाएँ नहीं दी जा रही हैं जो सभी में बन सकती हैं।

221*2 222 = तादम, तदमण
2212*2 222 = तीदम, तिदमण
(अंत में मी, मू गुच्छक भी आ सकते हैं।)

22121 222 = तींमा, तींमण
22121 222, 22121 222 = तींमध, तींमाधण
22121 222  2212 = तींमाती, तींमातिण

(इन छंदाओं में आधार गुच्छक के रूप में तूं (221121), ते (22122) आ सकता है। म के स्थान पर मी आ सकता है। अंत के ती के स्थान पर भी तू या ते आ सकता है।)
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तारक छंदाएँ:- इन छंदाओं में तगण और रगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता है।

221*2 212 = तादर, तदरण
2211*2 212 = तंदर, तंदारण
(अंत में री, रू, रे गुच्छक आ सकते हैं।)

22121 212 = तींरा, तींरण
(यह छंदा आधार गुच्छक में परिवर्तन से तूंरा और तैंरा नाम से बन सकती है। अंत में भी र के स्थान पर री आ सकता है।)
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तायक छंदाएँ:- इन छंदाओं में तगण और यगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता है।

221*2 122 = तादय, तदयण
2212*2 122 = तीदय, तिदयण
(अंत में यी गुच्छक भी आ सकता है। जैसे- तदयी)
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ताजक छंदाएँ:- इन छंदाओं में तगण और जगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता है।

221*2 1212 = तदजी, तदजिण
221*2 12122 = तदजे, तदजेणा, तदजेवा (इंद्रवज्रा छंद)
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तासक छंदाएँ:- इन छंदाओं में तगण और सगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता है। इन छंदाओं में  2212 के साथ 11212 का मेल है। 11212 के 11 को 2 का ही रूप मानने से यह मेल एक रूप से 2212 की आवृत्ति है। इसलिये इन छंदाओं में इन्हें आवृत्ति के रूप में ही लिया गया है।

2212*2 112 = तीदस, तिदसण
(अंत में सी, सू गुच्छक आ सकते हैं। जैसे तिदसी, तिदसू)

2212 11212 = तीसू , तीसुण, तीसुव
2212 11212, 2212 11212 = तीसुध, तीसूधण, तीसूधव
2212 112121, 2212 112121 = तीसूंधा, तीसूंधण, तीसूंधव

2212 11212 2 = तीसुग, तीसूगण, तीसूग
2212 11212 22 = तीसूगी, तीसूगिण, तीसूगिव

2212 11212 2212 = तीसूती, तीसूतिण, तीसूतिव
2212 11212*2 = तीसुद, तीसूदण, तीसूदव
2212 11212*2 2212 = तीसुदती, तीसुदतिण, तीसुदतिव

22112 11212 = तूसू, तूसुण, तूसुव (उपस्थिता छंद)
22112 11212, 22112 11212 = तूसुध, तूसूधण, तूसूधव
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया

Friday, May 5, 2023

तमाल छंद "ग्रीष्म ताण्डव"

दिखा रही है ग्रीष्म पूर्ण बल आज,
ठहर गये हैं भू तल के सब काज।
प्रखर उष्णता का कर कुटिल प्रसार,
वसुधा को झुलसाती लू की धार।।

तप्त तपन की ताप राशि दुस्वार,
प्रलय स्वप्न को करती ज्यों साकार।
अट्टहास में रुदन समेटे घोर,
ग्रीष्म बहाये पिघला लावा जोर।।

नहीं छुपाने का तन को है ठौर,
घोर व्यथा का आया भू पर दौर।
शुष्क हुये सब नदी सरोवर कूप,
नर, पशु, पक्षी, तरु का बिगड़ा रूप।।

दुष्कर अब तो सहना सलिल अभाव,
रहा मौत दे अब यह भीषण दाव।
झुलसाया जन जन को यह संताप,
कब जायेगा छोड़ प्रलय की छाप।।
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तमाल छंद विधान - तमाल छंद एक सम पद मात्रिक छंद है, जिसमें प्रति चरण 19 मात्रा रहती हैं। दो-दो या चारों चरण समतुकांत होते हैं। इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
चौपाई + गुरु लघु (16+3 =19मात्रा)
चरण के अंत में गुरु लघु अर्थात (21) होना अनिवार्य है। चौपाई छंद का विधान अनुपालनिय होगा, जो कि निम्न है-

चौपाई छंद चौकल और अठकल के मेल से बनती है। चार चौकल, दो अठकल या एक अठकल और दो चौकल किसी भी क्रम में हो सकते हैं। समस्त संभावनाएँ निम्न हैं।
4-4-4-4, 8-8, 4-4-8, 4-8-4, 8-4-4

चौपाई छंद में कल निर्वहन केवल चतुष्कल और अठकल से होता है। अतः एकल या त्रिकल का प्रयोग करें तो उसके तुरन्त बाद विषम कल शब्द रख समकल बना लें। जैसे 3+3 या 3+1 इत्यादि।

चौकल = 4 – चौकल में चारों रूप (11 11, 11 2, 2 11, 22) मान्य रहते हैं।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
21-05-22