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Friday, December 29, 2023

हाइकु (प्रकृति)

धूप बटोरे
रात के छिटकाये
दूब पे मोती।
**

सुबह हुई
ज्यों चाँद से बिछुड़ी
रजनी रोई।
**

ग्रीष्म फटका
पसीने का मटका
फिर छिटका।
**

गर्मी का जोर
आतंक जैसा घोर
कहाँ है ठोर?
**

सुबह लायी
झोली भर के मोती
धूप ले उड़ी।
**

कुसुम लदी
लता लज्जा में पगी
ज्यों नव व्याही।
**

सावन आया
हरित धरा कर
रंग जमाया।
**

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
28-12-19

Wednesday, October 4, 2023

हाइकु (ये बालक कैसा)

अस्थिपिंजर
कफ़न में लिपटा
एक ठूँठ सा।

पूर्ण उपेक्ष्य
मानवी जीवन का
कटु घूँट सा।

स्लेटी बदन
उसपे भाग्य लिखे
मैलों की धार।

कटोरा लिए
एक मूर्त ढो रही
तन का भार।

लाल लोचन
अपलक ताकते
राहगीर को।

सूखे से होंठ
पपड़ी में छिपाए
हर पीर को।

उलझी लटें
बरगद जटा सी
चेहरा ढके।

उपेक्षित हो
भरी राह में खड़ा
कोई ना तके।

शून्य चेहरा
रिक्त फैले नभ सा
है भाव हीन।

जड़े तमाचा
मानवी सभ्यता पे
बालक दीन।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
31-07-2016

Friday, July 21, 2023

हाइकु (संस्कृति)

हाइकु विधा:- 5 - 7 - 5 वर्ण प्रति पंक्ति।

राम किसमें
तर्क, इतिहास में?
आस, श्वांस में।
**

राम बसे हैं
अपने ही अंदर
ढूंढें बाहर?
**

जो सनातन
सत्य, स्थिर, चेतन
वो भगवन।
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तत्व दर्शन
जो होता लघुतम
वो ही सर्वोच्च।
**

चेहरा लख
इंसान की कीमत
होती परख।
**

गुरु की वाणी
बन्द द्वार की चाबी
झट से खोले।
**

माला राम की
जपें सब नाम की
भारी काम की।
**

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
23-08-16

Saturday, June 24, 2023

हाइकु (पुस्तक)

आजीवन दे
पुस्तक सहचरी
आपका साथ।
**

जोड़ो जो प्रीत
पुस्तक सा न मीत
दिल ले जीत।
**

हृदय द्वार
खोले झट पुस्तक
करे उद्धार।
**

जो करे प्यार
पुस्तक से अपार
होती न हार।
**

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
23-07-16

Thursday, February 2, 2023

हाइकु (सैनिक)

हाइकु विधा - प्रति पंक्ति 5 - 7 - 5 वर्ण।

फौजी की शान
देश की आन बान
लुटा के जान।
**

सैनिक भाई
मरने पे बड़ाई
वैसे तंगाई।
**

आजादी पर्व
देश मुदित सर्व
माथे पे गर्व।
****

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
23-08-18

Saturday, March 19, 2022

हाइकु विधा

हाइकु विधा "विविध"

है रूखापन
तृषित तभी तन
रोता है मन।
**

सीने जगत
भाई भतीजावाद
खूब पलता
**

बजायी बीन
हैं जुगाली में लीन
हृदय-हीन।
**

तृण बिखरे
कूड़ा पसरे, जुड़े
घर निखरे।
**

हाइकु विधा - हाइकु सत्रह (१७) अक्षर में लिखी जाने वाली सबसे छोटी कविता है। इसमें तीन पंक्तियाँ रहती हैं। प्रथम पंक्ति में ५ अक्षर, दूसरी में ७ और तीसरी में ५ अक्षर रहते हैं। संयुक्त अक्षर को एक अक्षर गिना जाता है, जैसे 'सुगन्ध' में तीन अक्षर हैं - सु-१, ग-१, न्ध-१) तीनों वाक्य अलग-अलग होने चाहिए। अर्थात एक ही वाक्य को ५,७,५ के क्रम में तोड़कर नहीं लिखना है। बल्कि तीन पूर्ण पंक्तियाँ हों।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
13-11-2020

Saturday, December 25, 2021

हाइकु (नारी)

नारी की पीड़ा
दहेज रूपी कीड़ा
कौन ले बीड़ा?
**

दहेज तुला
एक पल्ले समाज
दूजे अबला।
**

पंचाली नार
पुरुष धर्मराज
चढ़ाते दाव।
**

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
26-07-19

Tuesday, August 24, 2021

हाइकु (जीवन)

जलते रहे
जीवन के आले में
स्मृति दीपक।
**

जीवन चाहे
हर हाल में ढ़ल
बने रहना।
**

जो ढ़ल गया
सतत-जीवन सा
वो ही जी गया।
**

जीवन-गति
कोष बद्ध स्पन्दित
शाश्वत शक्ति
****

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
22-05-19

Saturday, January 16, 2021

हाइकु (गरीब)

हाय अनाथ
आवास फुटपाथ
जाड़े की रात।
**

दीन लाचार
शर्दी गर्मी की मार
झेले अपार।
**

हाय गरीब
जमाना ही रकीब
खोटा नसीब।
**

तेरी गरीबी
बड़ी बदनसीबी
सदा करीबी।
**

लाचार दीन
दुर्बल तन-मन
कैसा जीवन?
**

दैन्य का जोर
तपती लू सा घोर
कहीं ना ठौर।
**

दीन की खुशी
नित्य की एकादशी
ओढ़ी खामोशी।
**

सुविधा हीन
दुख पर आसीन
अभागा दीन।
**

दीन का जोखा
जग भर ने सोखा
केवल धोखा।
****

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
20-06-19

Friday, October 23, 2020

हाइकु (कोरोना)

कोरोनासुर
विपदा बन कर
टूटा भू पर।
**

यह कोरोना
सकल जगत का
अक्ष भिगोना।
**

कोरोना पर
मुख को ढक कर
आओ बाहर।
**

कोरोना यह
जगत रहा सह
कैदी सा रह।
**

कोरोना अब
निगल रहा सब
जायेगा कब?
**

बासुदेव अग्रवाल नमन
तिनसुकिया
14-08-20

Sunday, June 21, 2020

हाइकु (उलझी डोर)

उलझी डोर
यदि हाथ न छोर-
व्यर्थ है जोर।
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लय से युक्ता
रस भाव सज्जिता-
वाणी कविता।
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लुटा दे जान
सबका रख मान-
वो ही महान
**

समय खोटा
रिश्ते नातों का टोटा-
पैसा ही मोटा
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शहरीपन
गायब उपवन-
ऊँचे भवन।
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दीपक काया
सारी माटी की माया-
आलोक छाया।
**

हिन्दी की दुर्वा
अंग्रेजी जूते तले-
कुचली जाये।
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शिखर चढ़ा
धन बल से बढ़ा
पतित नर।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
22-06-19

Sunday, April 26, 2020

हाइकु (आभासी जग)

आभासी जग
खा मनन, चिंतन
करे मगन।
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शाख बिछुड़ा
फूल न जान पाया
गड़ा या जला।
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गलियाँ ढूंढ़े
बच्चों के गिल्ली डंडे-
बस्ते में ठंडे।
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प्रीत का गर्व
कुछेक खास पर्व
समेटे सर्व।
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कब की भोर
रे राही सुन शोर
निद्रा तो छोड़।
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ओखली, घड़े
विकास तले गड़े
गाँव सिकुड़े।
**

आज ये देश
प्रतिभा क्यों समेट?
भागे विदेश।
**

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
13-01-2019

Wednesday, January 22, 2020

हाइकु (नव-दुर्गा)

शैलपुत्री माँ
हिम गिरि तनया
वांछित-लाभा।
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ब्रह्मचारिणी
कटु तप चारिणी
वैराग्य दात्री।
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माँ चन्द्रघण्टा
शशि सम शीतला
शांति प्रदाता।
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देवी कूष्माण्डा
माँ ब्रह्मांड सृजेता
उन्नति दाता।
**

श्री स्कंदमाता
कार्तिकेय की माता
वृत्ति निरोधा।
**

माँ कात्यायनी
कात्यायन तनया
पुरुषार्थ दा।
**

कालरात्रि माँ
तम-निशा स्वरूपा
भय विमुक्ता।
**

माँ महागौरी
शुभ्र वस्त्र धारिणी
पाप नाशिनी।
**

माँ सिद्धिदात्री
अष्ट सिद्धि रूपिणी
कामना पुर्णी।
**

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
09-10-19

Thursday, September 12, 2019

हाइकु (आँख में फूल)

5-7-5 वर्ण

आँख में फूल,
तलवे में कंटक,
प्रेम-डगर।
**

मुख पे हँसी,
हृदय में क्रंदन,
विरही मन।
**

बसो तो सही,
स्वप्न साबित हुये,
तो चले जाना।
**

आज का स्नेह
उफनता सागर
तृषित देह।
**

शब्द-बदली
काव्य-धरा बरसी
कविता खिली।
**

मानव-भीड़
उजड़ गये नीड़
खगों की पीड़।
**

तृण सजाते
खग नीड़ बनाते
नर ढहाते।
**

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
12-09-19

Friday, August 9, 2019

हाइकु (राजनेता)

पिता कोमल
संपूर्ण-स्वामी सुत
रोज दंगल।
**

बुआ की छाया
भतीजा भरमाया
अजब माया।
**

अहं सम्राज्य
हिंसा में घिरा राज्य
ममता लुप्त।
**

राहु-लगन
पीढ़ियों का सम्राज्य
हुआ समाप्त।
**

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
26-06-19

Saturday, June 22, 2019

हाइकु (राजनीति)

सत्ता का यज्ञ
यजमान हैं विज्ञ
पुरोधा अज्ञ।
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सत्ता-मिलिंद
पी स्वार्थी मकरंद
हुआ स्वच्छंद।
**

नेता हैं चोर
जनता करे शोर
तंत्र का जोर।
**

जनता ताके
बैठी बगलें झाँके
कुर्सी दे फाके
**

लोक सेवक
जनता का शोषक
स्वयं पोषक।
**

अंगुल पांच
सियासत का हाथ
सब समान।
**

गायों की रोटी
बन्दरों हाथ पड़ी
कुत्तों में बँटी।
****

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
19-06-19

Sunday, February 3, 2019

हाइकु (षट ऋतु)

चैत्र वैशाख
छायी 'बसंत'-साख
बौराई शाख।
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ज्येष्ठ आषाढ़
जकड़े 'ग्रीष्म'-दाढ़
स्वेद की बाढ़।
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श्रावण भाद्र
'वर्षा' से धरा आर्द्र
मेघ सौहार्द्र।
**

क्वार कार्तिक
'शरद' अलौकिक
शुभ्र सात्विक।
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अग्हन पोष
'हेमन्त' भरे रोष
सौड़ी में तोष।
**

माघ फाल्गुन
'शिशिर' है पाहुन
तापें आगुन।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
14-01-2019