बह्र :- 2212 2212 2212 2212
यादों के जो अनमोल क्षण मन में बसा हरदम रखें,
राहत मिले जिस याद से उर से लगा हरदम रखें।
जब प्रीत की हम डोर में इक साथ जीवन में बँधे,
हम उन सुनहरे ख्वाबों को दिल में जगा हरदम रखें।
छाती हमारी शान से चौड़ी हुई थी जब कभी,
उस वक्त की रंगीन यादों को बचा हरदम रखें।
जब कुछ अलग हमने किया सबने बिठाया आँख पे,
उन वाहवाही के पलों को हम सजा हरदम रखें।
जो आग दुश्मन ने लगाई देश में आतंक की,
उस आग के शोलों को हम दिल में दबा हरदम रखें।
जो भूख से बिलखें सदा है पास जिनके कुछ नहीं,
उनके लिये कुछ कर सकें ऐसी दया हरदम रखें।
जब भी 'नमन' दिल हो उठे बेजा़र ग़म में डूब के,
बीते पलों की याद का दिल में मजा़ हरदम रखें।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
2-11-2016