Showing posts with label बिंदु छंद. Show all posts
Showing posts with label बिंदु छंद. Show all posts

Tuesday, May 14, 2019

बिंदु छंद "राम कृपा"

सत्यसनातन, ये है ज्ञाना।
भक्ति बिना नहिं, हो कल्याना।।
राम-कृपा जब, होती प्राणी।
हो तब जागृत, अन्तर्वाणी।।

चक्षु खुले मन, हो आचारी।
दूर हटे तब, माया सारी।।
प्रीत बढ़े जब, सद्धर्मों में।
जी रहता नित, सत्कर्मों में।

राम समान न, कोई देवा।
इष्ट धरो अरु, चाखो मेवा।।
नित्य जपे नर, जो भी माला।
दुःख हरे सब, वे तत्काला।

पाप भरी यह, मेरी काया।
मैं नतमस्तक, हो के आया।।
राम दयामय, मोहे तारो।
कष्ट सभी प्रभु, मेरे हारो।।
================
लक्षण छंद:-

"भाभमगा" यति, छै ओ' चारी।
'बिंदु' रचें सब, छंदा प्यारी।।

"भाभमगा" = भगण भगण मगण गुरु

(211  211,  222   2)
10 वर्ण,4 चरण,(यति 6-4)
दो-दो चरण समतुकांत।
*******************

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
26-01-19