Showing posts with label उज्ज्वला छंद. Show all posts
Showing posts with label उज्ज्वला छंद. Show all posts

Sunday, August 14, 2022

उज्ज्वला छंद "हल्दीघाटी"

 उज्ज्वला छंद

कुल सिसोदिया की आन को।
सांगा के कुल के मान को।।
ले जन्मे वीर प्रचंड वे।
राणा प्रताप मार्तंड वे।।

मेवाड़ी गुण की खान थे।
कुंभलगढ़ के वरदान थे।।
मुगलों के काल कराल वे।
क्षत्रिय वीरों के भाल वे।।

अकबर की आज्ञा को लिये।
जब मान सिंह हमला किये।।
हल्दीघाटी का युद्ध था।
हर क्षत्री योद्धा क्रुद्ध था।।

फिर तो राणा खूंखार थे।
झट चेतक पर असवार थे।।
रजपूती सेना साथ ले।
रण का बीड़ा वे हाथ ले।।

हल्दीघाटी में आ डटे।
अरि दल पर बिजली से फटे।।
फिर रुण्ड मुण्ड कटने लगे।
ज्यों शिव तांडव करने जगे।।

चेतक चण्डी सा हो पड़ा।
अरि सिर पर आ होता खड़ा।।
राणा झट रिपु सिर काटते।
भू कटे माथ से पाटते।।

यह घोर युद्ध चलता रहा।
यवनों का बल लुटता रहा।।
कर मस्तक उच्च अरावली।
गाये रण की विरुदावली।।

माटी का कण कण गा रहा।
यह अमर युद्ध सबसे महा।।
जो त्यजा धरा हित प्रान को।
शत 'नमन' प्रताप महान को।।
***********

उज्ज्वला छंद विधान -

उज्ज्वला छंद 15 मात्रा प्रति पद का सम मात्रिक छंद है। यह तैथिक जाति का छंद है। एक छंद में कुल 4 चरण होते हैं और छंद के दो दो या चारों चरण सम तुकांत होने चाहिए। इन 15 मात्राओं की मात्रा बाँट:- द्विकल + अठकल + S1S (रगण) है। द्विकल में 2 या 11 रख सकते हैं तथा अठकल में 4 4 या 3 3 2 रख सकते हैं।
******************

बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया
09-06-22