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Thursday, April 14, 2022

बहाग बिहू 'मुक्तक'



कपौ कुसुम का पहने गजरा, पेंपा के स्वर गुंजायें।
नाच रही हैं झूम रही हैं, असम धरा की बालायें।
महक उठी है प्रकृति मनोहर, सतरंगी आभा बिखरी।
पर्व बहाग बिहू का आया, गीत सुहाने सब गायें।।

(लावणी छंद)

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
14.4.22

Sunday, August 15, 2021

तुलसी जयंती

तुलसीदास जी की जयंती पर मुक्तक पुष्प


लय:- इंसाफ की डगर पे

तुलसी की है जयंती सावन की शुक्ल सप्तम,
मानस सा ग्रन्थ जिसने जग को दिया है अनुपम,
चरणों में कर के वन्दन करता 'नमन' में तुमको,
भारत के गर्व तुम हो हिन्दी की तुमसे सरगम।।

(221 2122)*2
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Sunday, May 16, 2021

समान सवैया "मुक्तक"


वही दोहराया भारत ने, सदियों से जो होता आया,
बाहर के लोगों से मिल जब, गद्दारों ने देश लुटाया,
लोक तंत्र का अब तो युग है, सोच समझ पर वही पुरानी,
बंग धरा में अपनों ने ही, अपनों का फिर रक्त बहाया।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
10.05.21

Sunday, April 25, 2021

समान सवैया मुक्तक

क्षणिक सुखों में खो कर पहले, नेह बन्धनों को त्यज भागो,
माथ झुका फिर स्वांग रचाओ, नीत दोहरी से तुम जागो,
जीम्मेदारी घर की केवल, नारी पर नहिँ निर्भर रहती,
पुरुष प्रकृति ने तुम्हें बनाया, ये अभिमान हृदय से त्यागो।

(समान सवैया)