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Saturday, July 29, 2023

मुक्तक (बढ़ती आबादी)

बढ़ती जाये ज्यों आबादी, घटते कारोबार हैं,
तुष्टिकरण के आज सामने, सरकारें लाचार हैं,
पास नहीं इक रोजगार है, बच्चों की पर फौज सी,
आज़ादी के सात दशक यूँ, कर दीन्हे बेकार हैं।

खुद की देन आपकी बच्चे, मिलते ये न प्रसाद में,
घर में पहले रोजगार हो, बच्चे फिर हों बाद में,
बात न ये तबके तबके की, सारे जिम्मेदार हैं,
तय कर दे कानून देश का, बच्चे किस तादाद में।  

(प्रदीप छंद आधारित)                    

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
30-11-2016

Thursday, October 13, 2022

करवाचौथ मुक्तक

 हरिगीतिका छंद वाचिक



त्योहार करवाचौथ का नारी का है प्यारा बड़ा,
इक चाँद दूजे चाँद को है देखने छत पे खड़ा,
लम्बी उमर इक चाँद माँगे वास्ते उस चाँद के,
जो चाँद उसकी जिंदगी के आसमाँ में है जड़ा।

हरिगीतिका छंद विधान - 

हरिगीतिका छंद चार पदों का एक सम-पद मात्रिक छंद है। प्रति पद 28 मात्राएँ होती हैं तथा यति 16 और 12 मात्राओं पर होती है। यति 14 और 14 मात्रा पर भी रखी जा सकती है।

इसकी भी लय गीतिका छंद वाली ही है तथा गीतिका छंद के प्राम्भ में गुरु वर्ण बढ़ा देने से हरिगीतिका छंद हो जाती है। गीतिका छंद के प्रारंभ में एक गुरु बढ़ा देने से इसका वर्ण विन्यास निम्न प्रकार से तय होता है।

2212  2212  2212  221S

चूँकि हरिगीतिका छंद एक मात्रिक छंद है अतः गुरु को आवश्यकतानुसार 2 लघु किया जा सकता है परंतु 5 वीं, 12 वीं, 19 वीं, 26 वीं मात्रा सदैव लघु होगी। अंत सदैव गुरु वर्ण से होता है। इसे 2 लघु नहीं किया जा सकता। चारों पद समतुकांत या 2-2 पद समतुकांत होते हैं।

इस छंद की धुन  "श्री रामचन्द्र कृपालु भज मन" वाली है।

एक उदाहरण:-
मधुमास सावन की छटा का, आज भू पर जोर है।
मनमोद हरियाली धरा पर, छा गयी चहुँ ओर है।
जब से लगा सावन सुहाना, प्राणियों में चाव है।
चातक पपीहा मोर सब में, हर्ष का ही भाव है।।
(स्वरचित)

बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया

Thursday, November 18, 2021

मुक्तक (पर्व विशेष-3)

(दिवाली)

दिवाली की बधाई है मेरी साहित्य बन्धुन को,
सभी बहनें सभी भाई करें स्वीकार वन्दन को,
भरे भण्डार लक्ष्मी माँ सभी के प्रार्थना मेरी,
रखें सौहार्द्र नित धारण करें साहित्य चन्दन को।

(1222×4)

दीपोत्सव के, जगमग करें, दीप यूँ ही उरों में।
सारे वैभव, हरदम रहें, आप सब के घरों में।
माता लक्ष्मी, सहज कर दें, आपकी जिंदगी को।
दिवाली पे, 'नमन' करता, मात को गा सुरों में।।

(मन्दाक्रांता छंद)
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
19-10-2016

Thursday, November 11, 2021

मुक्तक (पर्व विशेष-2)

(रक्षा बंधन)

आज राखी आज इस त्योहार की बातें करें।
भाई बहनों के सभी हम प्यार की बातें करें।
नाम बहनों के लिखें हम साल का प्यारा ये दिन।
आज तो बहनों के ही मनुहार की बातें करें।।

(2122*3  212)
*********


(दशहरा के पावन अवसर पर)

आज दिन रावण मरा था, ये कथा मशहूर जग में,
दिन इसी से दशहरे की, रीत का है नूर जग में,
हम भलाई की बुराई पे मनाएं जीत मिल कर,
है पतन उनका सुनिश्चित, हों जो मद में चूर जग में।

(2122*4)

लोभ बुराई का दुनिया से, हो विनष्ट जब वास,
राम राज्य का लोगों को हो, मन में तब आभास,
विजया दशमी पर हम प्रण कर, अच्छाई लें धार,
धरा पाप से हो विमुक्त जब, वो सच्चा उल्लास।

(सरसी)
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
19-10-2016

Monday, October 4, 2021

मुक्तक (कोरोना बीमारी - 2)

(1)

करें सामना कोरोना का, जरा न हमको रोना है,
बीमारी ये व्यापक भारी, चैन न मन का खोना है,
संयम तन मन का हम रख कर, दूर रहें अफवाहों से, 
दृढ़ संकल्प सभी का ये हो, रोग पूर्ण ये धोना है।

(ताटंक छंद आधारित)
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(2)

यही प्रश्न है अब तो आगे, भूख बड़ी या कोरोना,
करो पेट की चिंता पहले, छोड़ो सब रोना धोना,
संबंधो से धो हाथों को, शायद बच भी हम जाएँ,
मँहगाई बेरोजगार से, तय है सांसों का खोना।

(लावणी छंद आधारित)
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
24-04-21

Friday, September 17, 2021

मोदीजी जन्म दिवस

मुक्तक (32 मात्रिक छंद)

अहो भाग्य भारत का यह है, मोदी जी सा नेता पाया,
देव विश्व कर्मा की तिथि पर, जन्म दिवस उनका शुभ आया,
इकहत्तरवें जन्म दिवस की, भावों भरी बधाई उनको,
भारत की क्षमता का लोहा, जग भर से जिनने मनवाया।

(हमारे प्रिय प्रधानमंत्री मोदीजी को जन्मदिन की अशेष बधाई और अनंत शुभकामनाएँ।)
 👋🏵️🌷🏵️👋

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया (असम)
17-9-21

Wednesday, May 26, 2021

मुक्तक (कोरोना बीमारी - 1)

(लावणी छंद आधारित)

(1)

कोरोना का मतलब समझो, कोई रोडपे ना निकले,
लोगों के इस एक कदम से, हल बीमारी का निकले,
फैले जो छूने भर से हम, इससे सारे दूर रहें,
सबका ध्येय यही हो कैसे, देश से कोरोना निकले।

(2)

नाई की ज्यों नाइन होती, ठाकुर की ठकुराइन है,
कोरोना की घरवाली त्यों, समझो कोरोन्टाइन है,
नर की तो रहती नकेल ही, घरवाली के हाथों में,
कोरोन्टाइन से ही बस में, कोरोना की लाइन है।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
24-03-21

Monday, February 15, 2021

मुक्तक (श्रद्धांजलि)

(नेताजी)

आज तेइस जनवरी है याद नेताजी की कर लें,
हिन्द की आज़ाद सैना की हृदय में याद भर लें,
खून तुम मुझको अगर दो तो मैं आज़ादी तुम्हें दूँ,
इस अमर ललकार को सब हिन्दवासी उर में धर लें।

(2122*4)
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तुलसीदास जी की जयंती पर मुक्तक पुष्प

लय:- इंसाफ की डगर पे

तुलसी की है जयंती सावन की शुक्ल सप्तम,
मानस सा ग्रन्थ जिसने जग को दिया है अनुपम,
चरणों में कर के वन्दन करता 'नमन' में तुमको,
भारत के गर्व तुम हो हिन्दी की तुमसे सरगम।।

(221 2122)*2
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(चन्द्र शेखर आज़ादजी की पुण्य तिथि पर। जन्म 1906।)

तुम शुभ्र गगन में भारत के, चमके जैसे चन्दा उज्ज्वल।
ऐंठी मूंछे, चोड़ी छाती, आज़ाद खयालों के थे प्रतिपल।
अंग्रेजों को दहलाया था, दे अपना उत्साही यौवन।
हे शेखर! 'नमन' तुम्हें शत शत, जो खिले हृदय में बन शतदल।।

(मत्त सवैया आधारित)
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(ताटंक छंद में झांसी की रानी को श्रद्धांजलि)

बुन्देलखण्ड की ज्वाला थी, झांसी की तू रानी थी।
करवाने आज़ाद देश ये, तूने मन में ठानी थी।
भारतवासी के हृदयों में, स्थान अमर रानी तेरा।
खूब लड़ी थी अंग्रेजों से, ना तेरी ही सानी थी।।


बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
23-02-18

Thursday, March 12, 2020

मुक्तक (पर्व विशेष-1)

(करवाचौथ)

त्योहार करवाचौथ का नारी का है प्यारा बड़ा,
इक चाँद दूजे चाँद को है देखने छत पे खड़ा,
लम्बी उमर इक चाँद माँगे वास्ते उस चाँद के,
जो चाँद उसकी जिंदगी के आसमाँ में है जड़ा।

(2212*4)
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(होली)

हर तरु में छाया बसन्त ज्यों, जीवन में नित रहे बहार,
होली के रंगों की जैसे,  वैभव की बरसे बौछार,
ऊँच नीच के भेद भुला कर, सबको गले लगाएँ आप,
हर सुख देवे सदा आपको, होली का पावन त्योहार।

(आल्हा छंद आधारित)
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लगा है जब से ये फागुन चली धमार की बात,
दिलों में छाई है होली ओ रंग-धार की बात।
जिधर भी देखिए छाई छटा बसन्त की अब,
हर_इक नज़ारा फ़ज़ा का करे बहार की बात।

(1212 1122 1212 22)
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
19-10-2019

Thursday, November 14, 2019

मुक्तक (समसामयिक-1)

(विश्वकर्मा तिथि)

सत्रह सेप्टेंबर की तिथि है, देव विश्वकर्मा की न्यारी,
सृजन देव ये कहलाते हैं, हाथी जिनकी दिव्य सवारी,
अर्चन पूजा कर इनकी हम, सुध कुछ उनकी भी ले लेते,
जिन मजदूरों से इस भू पर, खिलती निर्माणों की क्यारी।

(32 मात्रिक छंद)
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(पर्यटक दिवस)

विश्व-पर्यटक दिन घोषित है, दिवस सताइस सेप्टेंबर,
घोषित किंतु नहीं कोई है, सार्वजनिक छुट्टी इस पर,
मार दोहरी के जैसा है, आज पर्यटन बिन छुट्टी,
आफिस में पैसे कटते हैं, बाहर के खर्चे दूभर।

(लावणी छंद)

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
19-10-2016

Saturday, July 20, 2019

मुक्तक (सामयिक समस्या)

सिमटा ही जाये देश का देहात शह्र में।
लोगों के खोते जा रहे जज़्बात शह्र में।
सरपंच गाँव का था जो आ शह्र में बसा।
खो बैठा पर वो सारी ही औक़ात शह्र में।।

221  2121  1221  212
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खड़ी समस्या कर के कुछ तो, पैदा हुए रुलाने को,
इनको रो रो बाकी सारे, हैं कुहराम मचाने को,   
यदि मिलजुल हम एक एक कर, इनको निपटाये होते,
सुरसा जैसे मुँह फैला ये, आज न आतीं खाने को।

(ताटंक छंद आधारित)
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
19-06-19