बह्र:- 2122 1122 22/112
प्यार फिर झूठा जताने आये,
साथ ले सौ वे बहाने आये।
बार बार_उन से मैं मिल रोई हूँ,
सोच क्या फिर से रुलाने आये।
दुनिया मतलब से ही चलती, वरना
कौन अब किसको मनाने आये।
राख ये जिस्म तो पहले से ही,
क्या बचा जो वे जलाने आये।
फिर नये वादों की झड़ लेकर वो,
आँसु घड़ियाली बहाने आये।
और अब कितना है ठगना बाकी,
जो वही मुँह ले रिझाने आये।
'बासु' नेताजी से पूछे जनता,
कौन सा भेष दिखाने आये।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
23-12-2018
प्यार फिर झूठा जताने आये,
साथ ले सौ वे बहाने आये।
बार बार_उन से मैं मिल रोई हूँ,
सोच क्या फिर से रुलाने आये।
दुनिया मतलब से ही चलती, वरना
कौन अब किसको मनाने आये।
राख ये जिस्म तो पहले से ही,
क्या बचा जो वे जलाने आये।
फिर नये वादों की झड़ लेकर वो,
आँसु घड़ियाली बहाने आये।
और अब कितना है ठगना बाकी,
जो वही मुँह ले रिझाने आये।
'बासु' नेताजी से पूछे जनता,
कौन सा भेष दिखाने आये।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
23-12-2018