Showing posts with label निधि छंद. Show all posts
Showing posts with label निधि छंद. Show all posts

Wednesday, February 9, 2022

निधि छंद

 निधि छंद "सुख-सार"

उनका दे साथ।
जो लोग अनाथ।।
ले विपदा माथ।
थामो तुम हाथ।।

दुखियों के कष्ट।
कर दो तुम नष्ट।।
नित बोलो स्पष्ट।
मत होना भ्रष्ट।।

मन में लो धार।
अच्छा व्यवहार।।
मत मानो हार।
दुख कर स्वीकार।।

जग की ये रीत।
सुख में सब मीत।।
दुख से कर प्रीत।
लो जग को जीत।।

जीवन का भार।
चलना दिन चार।।
अटके मझधार।
कैसे हो पार।।

कलुष घटा घोर।
तम चारों ओर।।
दिखता नहिं छोर।
कब होगी भोर।।

आशा नहिं छोड़।
भाग न मुख मोड़।।
साधन सब जोड़।
निकलेगा तोड़।।

सच्ची पहचान।
बन जा इंसान।।
जग से पा मान।
ये सुख की खान।।
===========

निधि छंद विधान -

यह नौ मात्रा का सम मात्रिक चार चरणों का छंद है। इसका चरणान्त ताल यानी गुरु लघु से होना आवश्यक है। बची हुई 6 मात्राएँ छक्कल होती हैं।  तुकांतता दो दो चरण या चारों चरणों में समान रखी जाती है।
*****************
बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया
19-07-16 

Monday, March 9, 2020

निधि छंद "फागुन मास"

फागुन का मास।
रसिकों की आस।।
बासंती वास।
लगती है खास।।

होली का रंग।
बाजै मृदु चंग।।
घुटती है भंग।
यारों का संग।।

त्यज मन का मैल।
टोली के गैल।।
होली लो खेल।
ये सुख की बेल।।

पावन त्योहार।
रंगों की धार।।
सुख की बौछार।
दे खुशी अपार।।
=============
निधि छंद विधान:-

यह नौ मात्रिक चार चरणों का छंद है। इसका चरणान्त ताल यानी गुरु लघु से होना आवश्यक है। बची हुई 6 मात्राएँ छक्कल होती हैं।  तुकांतता दो दो चरण या चारों चरणों में समान रखी जाती है।
*****************
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
18-03-19