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Tuesday, March 26, 2019

तोटक छंद "विरह"

सब ओर छटा मनभावन है।
अति मौसम आज सुहावन है।।
चहुँ ओर नये सब रंग सजे।
दृग देख उन्हें सकुचाय लजे।।

सखि आज पिया मन माँहि बसे।
सब आतुर होयहु अंग लसे।।
कछु सोच उपाय करो सखिया।
पिय से किस भी विध हो बतिया।।

मन मोर बड़ा अकुलाय रहा।
विरहा अब और न जाय सहा।।
तन निश्चल सा बस श्वांस चले।
किस भी विध ये अब ना बहले।।

जलती यह शीत बयार लगे।
मचले  मचले कुछ भाव जगे।।
बदली नभ की न जरा बदली।
पर मैं बदली अब हो पगली।।
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लक्षण छंद:-

जब द्वादश वर्ण "ससासस" हो।
तब 'तोटक' पावन छंदस हो।।

"ससासस" = चार सगण
112  112  112  112 = 12 वर्ण
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
1-07-17