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Wednesday, February 12, 2020

श्रृंगार छंद "सुख और दुख"

सुखों को चाहे सब ही जीव।
बिना सुख के जैसे निर्जीव।।
दुखों से भागे सब ही दूर।
सुखों में रहना चाहें चूर।।

जगत के जो भी होते काज।
एक ही है उन सब का राज।।
लगी है सुख पाने की आग।
उसी की सारी भागमभाग।।

सुखों के जग में भेद अनेक।
दोष गुण रखे अलग प्रत्येक।।
किसी की पर पीड़न में प्रीत।
कई समझें सब को ही मीत।।

किसी की संचय में है राग।
बहुत से जग से रखे न लाग।।
धर्म में दिखे किसी को मौज।
पाप कोई करता है रोज।।

झेल दुख को जो भरते आह।
छिपी सुखकी उन सब में चाह।
जगत में कभी मान अपमान।
जान लो दोनों एक समान।।

कभी सुख कभी दुखों का साथ।
धैर्य का किंतु न छोड़ें हाथ।
दुखों की झेलो खुश हो गाज़।
इसी में छिपा सुखों का राज।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
01-08-2016

Monday, September 9, 2019

श्रृंगार छंद "तड़प"

सजन मत प्यास अधूरी छोड़।
नहीं कोमल मन मेरा तोड़।।
बहुत ही तड़पी करके याद।
सुनो अब तो तुम अंतर्नाद।।

सदा तारे गिन काटी रात।
बादलों से करती थी बात।।
रही मैं रोज चाँद को ताक।
कलेजा होता रहता खाक।।

मिलन रुत आई बरसों बाद।
हृदय में छाया अति आह्लाद।।
बजा इस वीणा का हर तार।
बहा दो आज नेह की धार।।

गले से लगने की है चाह।
निकलती साँसों से अब आह।।
सभी अंगों में एक उमंग।
हुई जैसे उन्मुक्त मतंग।।

देख लो होंठ रहें है काँप।
मिलन की आतुरता को भाँप।।
बाँह में भर कर तन यह आज।
छेड़ दो रग रग के सब साज।।

समर्पण ही है मेरा प्यार।
सजन अब कर इसको स्वीकार।।
मिटा दो जन्मों की सब प्यास।
पूर्ण कर दो सब मेरी आस।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
01-08-2016

श्रृंगार छंद "विधान"

श्रृंगार छंद बहुत ही मधुर लय का 16 मात्रा का चार चरण का छंद है। तुक दो दो चरण में है। इसकी मात्रा बाँट 3 - 2 - 8 - 3 (ताल) है। प्रारंभ के त्रिकल के तीनों रूप मान्य है जबकि अंत का त्रिकल केवल दीर्घ और लघु (21) होना चाहिए। द्विकल 1 1 या 2 हो सकता है। अठकल के नियम जैसे प्रथम और पंचम मात्रा पर शब्द का समाप्त न होना, 1 से 4 तथा 5 से 8 मात्रा में पूरित जगण का न होना और अठकल का अंत द्विकल से होना अनुमान्य हैं।

श्रृंगार छंद का 32 मात्रा का द्विगुणित रूप महा श्रृंगार छंद कहलाता है। यह चार चरणों का छंद है जिसमें तुकांतता 32 मात्रा के दो दो चरणों में निभायी जाती है। यति 16 - 16 मात्रा पर पड़ती है।

बासुदेव अग्रवाल नमन
तिनसुकिया