Showing posts with label राजस्थानी डाँखला. Show all posts
Showing posts with label राजस्थानी डाँखला. Show all posts

Friday, July 16, 2021

राजस्थानी डाँखला -3

(1)

शेरां कै घरां मैं देखो जामण लाग्या गादड़ा,
राज तो करै है ना चरावण जाणै बाछड़ा।
अबलाओं दीन पर,
चढावै बुलडोजर।
देशद्रोही उन्मादी मिल नाचै भांगड़ा।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
11-2-21

Friday, April 16, 2021

राजस्थानी डाँखला (2)

(1)

ढोकलास गाँव रो यो ढोकलो हलवाइड़ो,
जिस्यो नाँव बिस्यो डोल ढोलकी सो भाइड़ो।
धोलै बालाँ री है सिर पर छँटणी,
लागै लिपटी है नारैलाँ री चटणी।
तण चालै जिंया यो ही गाँव रो जँवाइड़ो।।
*****
(2)

नेता बण्या जद से ही गाँव रा ये लप्पूजी,
राजनीति माँय बे चलाण लाग्या चप्पूजी।
बेसुरी अलापै राग,
सुण सारा जावै भाग।
बाजण लाग्या तब से ही गाँव में वे भप्पूजी।।
*****
(3)

रेल रा पुराना इंजन धुआँलाल सेठ जी,
कलकत्ता री गल्याँ माँय डोले जमा पेठ जी।
मुँह में दबा धोली नाल,
धुआँ छोड़े धुआँलाल,
पुलिस्यां के सागै पुग्या ठिकाणा में ठेठ जी।।
*****

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
5-11-20

Sunday, February 21, 2021

राजस्थानी डाँखला (1)

(1)

लिछमी बाईसा री न्यारी नगरी है झाँसी,
गद्दाराँ रै गलै री बणी थी जकी फाँसी।
राणी सा रा ठाठ बाठ,
गाताँ थकै नहीं भाट।
सुण सुण फिरंग्याँ के चाल जाती खाँसी।।
****
(2)

बाकी सब गढणियाँ गढ तो चित्तौडगढ़,
उपज्या था वीर अठै एक से ही एक बढ।
कुंभा री हो ललकार,
साँगा री या तलवार,
देशवासी बणो बिस्या गाथा वाँ री पढ पढ।।
****
(3)

राजनीति माँय बड़ग्या सगला उचक्का चोर,
श्राधां आला कागला सा उतपाती घनघोर।
पड़ जावै जठै पाँव,
मचा देवे काँव काँव।
चाटग्या ये देश सारो निकमा मुफतखोर।
****

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
08-09-20