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Wednesday, February 5, 2020

गीतिका (अभी तो सूरज उगा है)

प्रधान मंत्री मोदी जी की कविता की पंक्ति से प्रेरणा पा लिखी गीतिका।
(मापनी:- 12222  122)

अभी तो सूरज उगा है,
सवेरा यह कुछ नया है।

प्रखरतर यह भानु होता ,
गगन में बढ़ अब चला है।

अभी तक जो नींद में थे,
जगा उन सब को दिया है।

सभी का विश्वास ले के,
प्रगति पथ पर चल पड़ा है।

तमस की रजनी गयी छँट,
उजाला अब छा गया है।

उड़ानें यह देश लेगा,
सभी दिग में नभ खुला है।

भवन उन्नति-नींव पर अब,
शुरू द्रुत गति से हुआ है।

गया बढ़ उत्साह सब का,
कलेजा रिपु का हिला है।

'नमन' भारत का भरोसा,
सभी क्षेत्रों में बढ़ा है।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
06-06-2019

Saturday, July 6, 2019

गीतिका (राम सुमिरन बिना गत नहीं)

(मापनी:- 212  212  212)

राम सुमिरन बिना गत नहीं,
और चंचल ये मन रत नहीं।

व्यर्थ सब कुछ है संसार में,
नाम-जप की अगर लत नहीं।

हैं दिखावे ही जप-तप सभी,
भाव यदि हैं समुन्नत नहीं।

प्राप्त नर-तन का होना वृथा,
भक्ति प्रभु की जो अक्षत नहीं।

लाभ उसकी न चर्चा से कुछ,
बात जो शास्त्र-सम्मत नहीं।

नर वे पशुवत हैं, पर-पीड़ लख
भाव जिनके हों आहत नहीं।

नैन प्यासे 'नमन' मन विकल,
प्रभु-शरण बिन कहीं पत नहीं।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
8-04-18