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Friday, September 25, 2020

पुछल्लेदार मुक्तक "खुदगर्ज़ी नेता"

सत्ता जिनको मिल जाती है मद में वे इतराते हैं,
गिरगिट जैसे रंग बदलकर बेगाने बन जाते हैं,
खुद को देखें या फिर दल को या केवल ही अपनों को,
अनदेखी जनता की कर वे तोड़ें उनके सपनों को।

समझें जनता को वे ना भोली,
झूठे वादों की देवें ना गोली,
ये किसी की न है हमजोली,
'बासु' नेताओं आँखें खोलो,
नब्ज़ जनता की पहले टटोलो।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
22-04-18


Tuesday, August 18, 2020

पुछल्लेदार मुक्तक 'आधुनिक फैशन'

फटी जींस अरु तंग टॉप है, कटे हुए सब बाल है।
ऊंची सैंडल में तन लचके, ज्यों पतली सी डाल है।
ठक ठक करती चाल देख के, धक धक जी का हाल है,
इस फैशन के कारण जग में, इतना मचा बवाल है।।

आधुनिकता का है बोलबाला,
दिमागों का दिवाला,
आफत का परकाला,
बासुदेव कहाँ लेकर ये जाये,
हम तो देख देख इसको अघाये।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
10-02-19

Thursday, January 16, 2020

पुछल्लेदार मुक्तक "उपवास"

कवि सम्मेलन का आमंत्रण मिला न मुझको आने का।
कर उपवास बताऊँगा अब क्या मतलब न बुलाने का।
मौका हाथ लगा छिप कर के छोले खूब उड़ाने का।
अवसर आया गिरगिट जैसा मेरा रंग दिखाने का।।

उजले कपड़ों में सजधज आऊँ,
चेलों को साथ लाऊँ,
मैं फोटुवें खिंचाऊँ,
महिमा उपवास की है भारी,
बासुदेव कहे सुनो नर नारी।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया

Monday, October 14, 2019

पुछल्लेदार मुक्तक "चारा घोटाला"

बन्द तबेलों में सिसके हैं पड़ी पड़ी भैंसें सारी।
स्वारथ के अन्धों ने उनके पेटों पर लातें मारी।
बेच खा गये चारा उनका घोटाला करके भारी।
ऐसे चोर उचक्कों का क्या करलें भैसें बेचारी।।

चोरों ने किया चारा सारा मीसिंग,
की नोटों पे खूब कीसिंग,
अब जेलों में चक्की पीसिंग,
सुनो रे मेरे सब भाइयों
बासुदेव कवि पोल आज खोलिंग।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
22-04-18

Friday, August 16, 2019

पुछल्लेदार मुक्तक "नेताओं का खेल"

नेताओं ने आज देश में कैसा खेल रचाया है।
इनकी मनमानी के आगे सर सबका चकराया है।
लूट लूट जनता को इनने भारी माल बनाया है।
स्विस बैंकों में खाते रखकर काला धन खिसकाया है।।

सत्ताधीशों ने देश को है बाँटा,
करारा मारा चाँटा,
यही तो चुभे काँटा,
सुनोरे मेरे सब भाइयों,
बासुदेव कवि दर्द ये सुनाता।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
28-04-18