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Saturday, July 6, 2019

ग़ज़ल (गीत खुशियों के गाते)

बह्र:- 212*3 + 2

गीत खुशियों के गाते चलेंगे,
जख्म दिल के मिटाते चलेंगे।

रंग अपना जमाते चलेंगे,
रोतों को हम हँसाते चलेंगे।

जो मुहब्बत से महरूम तन्हा,
दिल में उनको बसाते चलेंगे।

झेले जेर-ओ-जबर अब तलक सब,
जग में सर अब उठाते चलेंगे।

सुनले अहल-ए-जहाँ कम नहीं हम,
सबसे आगे ही आते चलेंगे।

काम ऐसे करेंगे सभी मिल,
सबको दुनिया में भाते चलेंगे।

दोस्ती को 'नमन' करते हरदम,
नफ़रतों को भुलाते चलेंगे।

जेर-ओ-जबर=जबरदस्ती नीचे लाना, अस्त व्यस्तता
अहल-ए-जहाँ=दुनियाँ वालों

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
19-06-17