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Saturday, August 14, 2021

क्षणिकाएँ (विडम्बना)

(1)

झबुआ की झोंपड़ी पर
बुलडोजर चल रहे हैं
सेठ जी की
नई कोठी जो
बन रही है।
**

(2)

बयान, नारे, वादे
देने को तो
सारे तैयार
पर दुखियों की सेवा,
देश के लिये जान
से सबको है इनकार।
**

(3)

पुराना मित्र
पहली बार स्टेशन आ
गाडी में बैठा गया
दूसरी बार
स्टेशन के लिये
ऑटो में बैठा दिया
तीसरी बार
चौखट से टा टा किया।
**

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
26-05-19

Friday, July 9, 2021

क्षणिकाएँ (जीवन)

क्षणिका (1)

जिंदगी एक
सुलगा हुआ अलाव
जिसमें इंसान
उम्र की आग
कुरेद कुरेद
तपता जाता है,
और अलाव
ठंडा पड़ता पड़ता
बुझ जाता है।
**

क्षणिका (2)

जीवन
एक अनबूझ पहेली
जिसका उत्तर
ढूंढते ढूंढते,
इंसान बूढ़ा हो
मर जाता है
पर यह पहेली
वहीं की वहीं।
**

क्षणिका (3)

जीवन
एक नन्ही गेंद!
कोई फेंके,
कोई हवा में उड़ाये,
कई लपकने को तैयार।
**

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
21-06-19

Sunday, February 21, 2021

क्षणिकाएँ

(बीती जवानी)

(1)
जवानी में जो
इरादे पत्थर से
मजबूत होते थे,,,
वे अब अक्सर
पुराने फर्नीचर से
चरमरा टूट जाते हैं।
**

(2)

क्षणिका  (परेशानी)

जो मेरी परेशानियों पर
हरदम हँसते थे
पर अब मैंने जब
परेशानियों में
हँसना सीख लिया है
वे ही मुझे अब
देख देख
रो रहे हैं।
**

(3)

क्षणिका (पहचान)

आभासी जग में 
पहचान बनाते बनाते
अपनी पहचान
खो रहे हैं----
मेलजोल के चक्कर में
और अकेले
हो रहे हैं।
**

बासुदेव अग्रवाल नमन
तिनसुकिया
15-06-19

Saturday, January 16, 2021

क्षणिका (कैनवस)

(1)

पेड़ की पत्तियों का
सौंदर्य,
तितलियों का रंग,
उड़ते विहगों की
नोकीली चोंच की कूँची;
मेरे प्रेम के
कैनवस पर
प्रियतम का चित्र
उकेर रही है,
न जाने
कब पूरा होगा।
**

क्षणिका (जिंदगी)
(2)

जिंदगी
चैत्र की बासन्ती-वास,
फिर ज्येष्ठ की
तपती दुपहरी,
उस पर फिर
सावन की फुहार,
तब कार्तिक की
शरद सुहानी
और अंत में
पौष सी ठंडी पड़
शाश्वत शांत
**

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
1-06-19

Wednesday, July 22, 2020

क्षणिका (शैतान का खिलौना)

पुलवामा घटना पर

शैतान का खिलौना
एक मानवी पुलिंदा,
जो मौत का दरिंदा
आग में जल मरने को
तैयार परिंदा,,,,
जल रहा अलाव
उसमें कुछ बेखबर
तप रहे आग।
वह उसी में आ धमका,
हुआ जोर का धमाका
हुआ जब सब शांत
न लोग, न आग
न वह मौत का नाग
बस बची,,,,
कुछ क्षत विक्षत लाश।
ठगा सा गाँव
लकीर पीटते ग्रामीण
और हँसता शैतान।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
22-02-19

Wednesday, January 22, 2020

क्षणिका (वृद्धाश्रम)

(1)

वृद्धाश्रम का
एक बूढ़ा पलास
जो पतझड़ में
ठूँठ बना
था बड़ा उदास!
तभी एक
वृद्ध लाठी टेकता
आया उसके पास
जो वर्षों से
रहा कर वहीं निवास,,,
उसे देता दिलासा, कहा
क्या मुझ से भी ज्यादा
तू है निराश??
अरे तेरा तो,,
आने वाला है मधुमास
पर मैं तो जी रहा
रख उस बसंत की आस....
जब इस स्वार्थी जग में
ले लूँगा आखिरी श्वास।
**
(2)

बद्रिकाश्रम में जा
प्रभु की माला जपना,
अमर नाथ
यात्रा का सपना
वृद्धाश्रम में
आ टूटा।


बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
01-03-19

Tuesday, November 19, 2019

क्षणिका (लोकतंत्र)

कुछ इंसान शेर
बाकी बकरियाँ,,,,
कुछ बाज
बाकी चिड़ियाँ,,
कुछ मगर, शार्क
बाकी मछलियाँ,,
और जब ये सब,
बकरी, चिड़िया, मछली,,
अपनी अपनी राग में
अलग अलग सुर में,
इन शेर, बाज, शार्क से,
जीने का हक और
सुरक्षा माँगने लगें,
तो समझ लें
यही लोकतंत्र है?

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
30-06-19

Friday, August 9, 2019

क्षणिका (मानवीय क्षमता)

हे मानवीय क्षमता
क्या छोटी पड़ गई धरा?
जो चढ़ बैठी हो,
अंतरिक्ष में
जहाँ से अपने बनाये
उपग्रही खिलौनों की आँख से
तुम देख,,,,
अट्टहास कर सको
बेरोजगारी और गरीबी का दानव
अपने पंजों में जकड़ता
सिसकता, कराहता मानव।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
25-02-18

Saturday, June 22, 2019

क्षणिका (आधुनिकता)

(1)

आधुनिकता का
है बोलबाला
सब कुछ होता जा रहा
छोटा और छोटा
केश और वेशभूषा
घर का अँगना
और मन का कोना।
**
क्षणिका (नई पीढ़ी)
(2)

निर्विकार शांत मुद्रा में
चक्की चला आटा पीसती
मेरी दादी जी का
तेल-चित्र
जो दादा जी ने
शायद अपनी जवानी में
बड़े शौक से
बनवाया था----
वो आज भी
घर की धरोहरों मेंं
संजोया पड़ा है
नवीन पीढ़ी को
म्यूजियम में
खींचता हुआ।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
20-05-17