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Thursday, May 18, 2023

पिरामिड (रे, चन्दा)


रे
चन्दा
निर्मोही,
करता क्यों
आंख मिचौली।
छिप जा अब तो,
किन्ही खूब ठिठौली।।1।।

जो
बात
कह न
सकते हैं,
हम तुमसे।
सोच उसे फिर
ये नैना क्यों बरसे।।2।।

गा
मन
मल्हार,
मिलन की
रुत है आई।
मोहे ऋतुराज,
मन्द है पुरवाई।।3।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
2-04-18

Monday, January 23, 2023

पिरामिड (प्रेम)

(1)

हो
प्रेम,
सद्भाव
बरसात;
मन-वाटिका,
खिल खिल जाये,
मैत्री-भाव जगाये।
**

(2)

है
मन 
सौहार्द्र,
स्नेह सिक्त;
विकार-रिक्त,,
प्रेम-आभरण
नर करे वरण।
**

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
1-07-19

Friday, November 25, 2022

पिरामिड (रो, मत)

रो
मत
नादान,
छोड़ दे तू
सारा अज्ञान।
जगत का रहे,
धरा यहीं सामान।।1।।

तू
कर 
स्वीकार,
उसे जो है
जग-आधार।
व्यर्थ और सारे,
तत्व एक वो सार।।2।।


ये
तन
दीपक,
बाती मन
तेल  मनन
शब्दों का स्फुरण
काव्य-ज्योति स्फुटन।।3।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
2-04-19

Saturday, November 27, 2021

पिरामिड "सेवा"


(1)

हाँ 
सेवा,
कलेवा
युक्त मेवा,
परम तुष्टि
जीवन की पुष्टि
वृष्टि-मय ये सृष्टि।
***

(2)

दो 
सेवा?
प्रथम
दीन-हित
कर्म में रत,
शरीर विक्षत?
सेवा-भाव सतत।
***

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
16-07-19

Monday, June 21, 2021

हनुमत पिरामिड

आरोही अवरोही पिरामिड
(1-11 और 11-1)

को 
नहीं
जानत
जग में तु
दूत राम को।
महिमा दी तूने
सालासर ग्राम को।
राम लखन को लाए
पावन किष्किंधा धाम को।
सागर लांघा  लंकिनी  मारी
लंका में छेड़ दिया संग्राम को।

सौंप मुद्रिका, उजाड़ी  वाटिका
जारे तब लंका ललाम को।
स्वीकार   करो  बजरंगी
तुम मेरे प्रणाम को।
हे बाबा  रक्षा  कर
आठहुँ याम को।
'नमन' करूँ
पूर्ण करो
सारे ही
काम
को।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
22-06-18

Saturday, January 16, 2021

आरोही अवरोही पिरामिड (वक्त का मोल)

(1-7 और 7-1)

(वक्त का मोल)

जो
मोल
वक़्त का
ना  समझे
पछताते वो।
हो काम का वक़्त
सोये रह जाते वो।

हाथों  को  मलने से
लाभ अब क्या हो?
जो बीत  गये
पल नहीं
लौट के
आते
वो।।
*****

(क्षणभंगुर जीवन)

ये
चार
दिनों का
जीवन है
नाम कमा ले।
सत्कर्मों की पूँजी
ले के पैठ जमा ले।

हीरे सा ये जीवन
न माटी में मिला।
परोपकार
कर यहाँ
धूनी तु
रमा
ले।।
********

(वर्तमान)

जो
बीत
चुका है
उस  पर
नयन बन्द
लेना तुम कर;
यूनान मिश्र रोमाँ
मिटे आज खो कर;
नेत्र रखो खुल्ला
वर्तमान  पे;
सार सदा
इस में
जग
में।
*****

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
14-08-18

Friday, December 18, 2020

पिरामिड (तू, ईश)

तू
ईश
मैं जीव
तेरा अंश,
अरे निष्ठुर
पर सहूँ दंश,
तेरे गुणों से भ्रंश।11
**

मैं
लख
तुम्हारा
स्मित-हास्य
अति विस्मित;
भाव-आवेग में
हृदय  तरंगित।2।
**

ये
तेरा
शर्माना,
मुस्कुराना
करता मुझे
आश्चर्यचकित
रह रह पुलकित।3।
**

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
23-06-19

Friday, October 23, 2020

पिरामिड (बूंद)

(1)

है
रुत
पावस,
वर्षा बूंदें
करे फुहार,,
मिटा हाहाकार,
भरा सुख-भंडार।
***
(2)

क्यों
होती 
विनष्ट,
आँखें मूंद
जल की बूंद,
ये न है स्वीकार,
हो ठोस प्रतिकार।
***

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
09-07-19

Wednesday, July 22, 2020

आरोही अवरोही पिरामिड (रिश्ते नाते)

(1-7 और 7-1)

(रिश्ते नाते)

ये
नये
पुराने
रिश्ते नाते
जो बन गये।
हिचकोले खाते
दिलों में सज गये।

कभी तो हँसाते हैं
कभी रुलाते ये।
अब तो बस
धीरे धीरे
जा रहे
खोते
ये।
*****
(भारत देश)

ये
देश
हमारा
दुनिया में
सबसे न्यारा।
प्राणों से भी ज्यादा
ये है हमको  प्यारा।

धर्म भेरी  गूंजाई
ज्ञान विश्व को दे।
दूत शांति का
सदा रहा
भारत
देश
ये।
*****

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
14-04-18

Sunday, June 21, 2020

आरोही अवरोही पिरामिड (बात)

(1-7 और 7-1)

जो
तुम
आँखों से
कह  देते
तो मान जाते।
हम भी जुबाँ पे
कोई बात ना लाते।

अब ना हो सकेगी
वापस बात वो।
कह जाती है
खामोशियाँ
ना सके
जुबाँ
जो।
*****

जो
बात
नयन
कह देते
चुप रह के।
वहीं रहे लाख
शब्द बौने बन के।

जो कभी हुए नहीं
आँखों से घायल।
नैनों की भाषा
क्या  समझे
वे  रूखे
मन
के।।
*****

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
2-2-17

Thursday, September 12, 2019

पिरामिड "चाय"

(1)

पी
प्याली
चाय की
मतवाली,
कार्यप्रणाली
हृदय की हुई
होली जैसी धमाली।

(2)

ले
चुस्की
चाय की,
मिटी खुश्की,
भागी झपकी
स्फूर्ति दे थपकी
छायी खुमारी हल्की।

(3)

ये
चाय
है नशा,
बिगाड़ती
तन की दशा,
पर दे हताशा,
जब तक अप्राप्त।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
24-06-19

Friday, August 9, 2019

आरोही अवरोही पिरामिड (तेरी याद)

(1-7 और 7-1)

पी
कर
ये आँसू
जी  रहे  हैं
किसी तरह।
आँसू बह  रहे
आँखों से रह रह।

नहीं टिक रहा है
अब कहीं भी जी।
याद में तेरी
हर रोज
जी रहे
खून
पी।
******

जी
रहे
जिंदगी
अब हम
आसरे तेरे।
उजालों में छाए
घनघोर  अंधेरे।

गुजरते  हैं   दिन
अब आँसू पी पी।
तेरी याद में
है कितना
तड़पा
मेरा
जी।
*****

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
11-11-16

Saturday, June 22, 2019

रुद्र पिरामिड

आरोही अवरोही पिरामिड
(1-11 और 11-1)

हे
शिव
शंकर
जग के हो
तु रखवाले।
डमरू पे नाचे
हो कर मतवाले।
सर्प गले में लिपटे
प्यारा चन्दा जटा छिपाले।
भूत गणों के नाथ अनोखे
विष पी देवों की विपदा टाले।

तन  पर   बाघम्बर   भभूत
भोले की प्राणी महिमा गाले।
दूध  बेल पत्रों को  चढ़ा
पूजो आक  धतूरा ले।
ऐसे दानी बाबा को
पूजा से रिझाले।
'नमन' करो
चरणों में
माथे को
नवा
ले।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
12-4-18