Showing posts with label राजस्थानी गीत. Show all posts
Showing posts with label राजस्थानी गीत. Show all posts

Saturday, May 28, 2022

मजदूरी कर पेट भराँ हाँ

(राजस्थानी गीत)

जीवन री घाणी मं पिस पिस, 
दोरा दिन स्यूँ म्हे उबराँ हाँ।
मजदूरी कर पेट भराँ हाँ।।

मँहगाई सुरसा सी डाकण,
गिटगी घर का गाबा कासण।
पेट पालणो दोरो भारी,
बिना मौत रे रोज मराँ हाँ।

पो फाटै जद घर स्यूँ जाणो,
ताराँ री छाँ पाछो आणो।
सूरज घर मं कदै न दीसै,
इसी मजूरी रोज कराँ हाँ।

आलीशान महल चिण दैवाँ,
झोंपड़ पट्ट्याँ मं खुद रैवाँ।
तपती लू, अंधड़, बिरखा सह,
म्हारी दुनिया मं इतराँ हाँ।

ठेकेदाराँ की ठकुराई,
बणियाँ री सह कर चतुराई।
सरकाराँ का बण बण मुहरा,
म्हे मजदूर सदा निखराँ हाँ।
मजदूरी कर पेट भराँ हाँ।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
03-05-22

Thursday, January 21, 2021

गीत (बार लंका वासी घाळै)

बार लंका वासी घाळै।
देखो आज अभागण लंका, बजरंगी बाळै।।

जात वानरा की पण स्याणा, राम-दूत बण आया,
आदर स्यूँ माता सँभलाद्यो, हाथ जोड़ समझाया,
आ बात वभीषण जी बोल्या, लात बापड़ा खाया,
बैरा भाठां आगै जोर न, कोई रो चाळै।
बार लंका वासी घाळै।
देखो आज अभागण लंका, बजरंगी बाळै।।

अक्षय बाग उजाड़ एकला, राम-शक्ति दिखलाई,
पण राजाजी आग पूँछ में, फिर भी क्यों लगवाई,
सिर में बड़ बेमाता काँई, थी करली अधिकाई,
बुद्धि-भ्रष्ट ही इसी मुसीबत, घर बैठ्याँ पाळै।
बार लंका वासी घाळै।
देखो आज अभागण लंका, बजरंगी बाळै।।

खरदूषण बाली जिण मार्या, किया वानरा भैळा,
लंकापति ऐसे समर्थ स्यूँ, क्यों कीन्ह्या मन मैला,
गाल बजावणिया रावणजी, और सभासद गैला,
ऐसो राज प्रजा ने हरदम, आफत में डाळै। 
बार लंका वासी घाळै।
देखो आज अभागण लंका, बजरंगी बाळै।।

सब से प्यारी म्हाँकी लंका, तीन लोक स्यूँ न्यारी,
छोटो चाहे बड़ो न कोई, थो अट्ठै दुखियारी,
वीराँ री या नगरी आँख्याँ, आगै बळरी सारी,
चुड़्याँ पैर्याँ बैठ्या सगळा, यो दुख जी साळै।
बार लंका वासी घाळै।
देखो आज अभागण लंका, बजरंगी बाळै।।

इंद्रजीत तू बण्यो नाम को, वरुण-अस्त्र कद ल्यासी,
कुम्भकरण जी भी सुत्या कुण, लपटां फूँक बुझ्यासी,
अहिरावण नारांतक थारो, जोर काम कद आसी,
रैग्या वीर नहीं लंका में, जो विपदा टाळै।
बार लंका वासी घाळै।
देखो आज अभागण लंका, बजरंगी बाळै।।

सुनो भगत जी थारै प्रभु रो, रैग्यो अब तो सारो,
राम लखण नै सागै ल्याओ, माता नै उद्धारो,
'बासुदेव' लंकावासी नै, ई विपदा स्यूँ तारो,
राम-कृपा बिन नहीं जगत में, पत्तो ही हाळै।
बार लंका वासी घाळै।
देखो आज अभागण लंका, बजरंगी बाळै।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
22-10-2018

Thursday, October 15, 2020

राजस्थानी हेली गीत (विरह गीत)

परदेशाँ जाय बैठ्या बालमजी म्हारी हेली!

ओळ्यूँ आवै सारी रात।

हिया मँ उमड़ै काली कलायण म्हारी हेली!

बरसै नैणां स्यूँ बरसात।।

मनड़ा रो मोर करै पिऊ पिऊ म्हारी हेली!

पिया मेघा ने दे पुकार।

सूखी पड्योरी बेल सींचो ये म्हारी हेली!

कर नेहाँ रे मेह री फुहार।।

आखा तीजड़ गई सावण भी सूखो म्हारी हेली!

दिवाली घर ल्याई सून।

कटणो घणो है दोरो वैरी सियालो म्हारी हेली!

तनड़ो बिंधैगी पौ री पून।।


गिण गिण दिवस काटूँ राताँ यादां मँ म्हारी हेली!

हिवड़ै में बळरी है आग।

सुणा दे संदेशो सैंया आवण रो म्हारी हेली!

जगा दे सोया म्हारा भाग।।


बासुदेव अग्रवाल 'नमन'

तिनसुकिया

09-12-2018

Thursday, July 16, 2020

कोड कोड मँ (राजस्थानी गीत)

कोनी सीख्या म्हे पीहर मँ रोटी पोणो सासुजी।
कोड कोड मँ ही सीख्या चून छाणनो सासुजी।।

दो भोजायाँरी म्हे लाडो नखराली म्हे बाई सा,
न्हेरा म्हारा मा काडै तो चिड़ी चुगावै ताई सा।
कोनी सीख्या म्हे पीहर मँ जीमण जिमाणो सासुजी,
कोड कोड मँ ही सीख्या थाल सजाणो सासुजी।।

बिरध्यो दर्जी घर मँ बैठै छठ बारा ही म्हारै,
टाँको साँको बो ही जाणै म्हे इकै कोनी सारै।
कोनी सीख्या म्हे पीहर मँ टाँको देणो सासुजी,
कोड कोड मँ ही सीख्या सुई पिरोणो सासुजी।।

नाल पिरोयोड़ी म्हारै है नौकर, ठाकर, बायाँ री,
धन भंडारा भर्या पङ्या है सगळी माया भायाँ री।
कोनी सीख्या म्हे पीहर मँ धोणो माजणो सासुजी,
कोड कोड मँ ही सीख्या घर नै सजाणो सासुजी।।

भारी झाड़ो कदै न कियो नहीं लगायो पोंछो,
नाम बड़ो बाबुल रो म्हारो कियाँ करद्यां ओछो।
कोनी सीख्या म्हे पीहर मँ घाबा धोणो सासुजी,
कोड कोड मँ ही सीख्या घाबा भैणों सासुजी।।

शौकीन सदा का म्हे हाँ जी मेवा मिश्री चुगबा का,
म्हाने तो केवल छाँटी गैणा, गाठी, पोशाकाँ।
कोनी सीख्या म्हे पीहर मँ नाज छाँटणो सासुजी,
कोड कोड मँ ही सीख्या चुग्गो चुगणो सासुजी।।

लाड प्यार मँ बडी हुयोड़ी सिरकी थोड़ी सुज्योड़ी,
धणी थी म्हारी मर्जी की ठरका सै मँ जियोड़ी।
कोनी सीख्या म्हे पीहर मँ सामी बोलणो सासुजी,
कोड कोड मँ ही सीख्या हँसी घालणो सासुजी।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
12-07-16

Saturday, June 13, 2020

रोज 'सुणै है कै' कै बाळो (राजस्थानी गीत)

(राजस्थानी गीत)

रोज 'सुणै है कै' कै बाळो जद बोल्यो 'सुण धापाँ'।
सुणकै मुळकी, हुयो हियो है तब सै बागाँ बागाँ।

आज खटिनै से बागाँ माँ ये कोयलड़ी कूकी,
पाणी सिंच्यो आज बेल माँ पड़ी जकी थी सूकी,
मुख सै म्हारो नाँव सुन्यो तो म्हे तो मरग्या लाजाँ,
रोज 'सुणै है कै' कै बाळो जद बोल्यो 'सुण धापाँ'।

मनरै मरुवै री खुशबू अंगाँ सै फूटण लागी,
सगळै तन में एक धूजणी सी इब छूटण लागी,
राग सुनावै मन री कुरजाँ म्हे तो चढ़ग्या नाजाँ,
रोज 'सुणै है कै' कै बाळो जद बोल्यो 'सुण धापाँ'।

नेह-मेह बरसावण खातिर मन-बादलियो माच्यो,
आज पिया रे रंग मँ सारो मेरो तन-मन राच्यो,
सुध-बुध भूल्या पिउजी रै म्हे लारै लारै भाजाँ,
रोज 'सुणै है कै' कै बाळो जद बोल्यो 'सुण धापाँ'।

धरती पर जद पाँव पड़ै तो लागै घूंघर बाजै,
साँसाँ चालै तो यूँ लागै जिंयाँ बादल गाजै,
दिवला चासाँ म्हे तो सोलह सिंगाराँ माँ साजाँ,
रोज 'सुणै है कै' कै बाळो जद बोल्यो 'सुण धापाँ'।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
29-04-18

Sunday, April 26, 2020

आसरो थारो बालाजी (जकड़ी विधा का गीत)

आसरो थारो बालाजी, काज सब सारो बालाजी।
भव सागर से पार उतारो, नाव फंसी मझ धाराँ जी।।

जद रावण सीता माता नै, लंका में हर ल्यायो,
सौ जोजन का सागर लाँघ्या, माँ को पतो लगायो।
आसरो थारो बालाजी, काज सब सारो बालाजी।

शक्ति बाण जब लग्यो लखन के, रामादल घबराया,
संजीवन बूंटी नै ल्या कर, थे ही प्राण बचाया।
आसरो थारो बालाजी, काज सब सारो बालाजी।

जद जद भीर पड़ै भक्तन में, थे ही आय उबारो,
थारै चरणां में जो आवै, वाराँ सब दुख टारो।
आसरो थारो बालाजी, काज सब सारो बालाजी।
भव सागर से पार उतारो, नाव फंसी मझ धाराँ जी।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
26-5-19

तर्ज- तावड़ा मन्दो पड़ ज्या रै

Tuesday, March 10, 2020

नणँदल नखराँली ‌(होली धमार गीत)

नणँदल नखराँली, नणदोई म्हारो बोळो छेड़ै है,
बस में राखो री।।टेर।।

सोलह सिंगाराँ रो रसियो, यो मारूड़ो थारो है,
बणी ठणी रह घणी धणी नै, रोज रिझाओ री,
नणँदल नखराँली।।

काजू दाखाँ अखरोटां रो, नणदोई शौकीन घणो,
भर भर मुट्ठा मुंडा में दे, खूब खिलाओ री,
नणँदल नखराँली।।

नारैलाँ री चटणी रो, नणदोई भोत चटोरो है,
डोसा इडली सागै चटणी, खूब चटाओ री,
नणँदल नखराँली।।

मालपुआ रस भीज्या भीज्या, चोखा इणनै लागै है,
चूल्हे चढ़ी कड़ाही राखो, रोज उतारो री,
नणँदल नखराँली।।

नाच गीत ओ ठुमका ठरका, इणनै बोळा भावै है,
डाल घूँघटो घर में घूमर, घाल नचाओ री,
नणँदल नखराँली।।

कोमल हाथाँ री मालिस रो, थारो मारू रसियो है,
गर्म तेल रा रोज मल्हारा, कसकर देओ री,
नणँदल नखराँली।।

फागण में नणदोई न्यारो, पाछै पाछै भाजै है,
खुल्लो मत छोड़ो इब इणनै, बाँध्यो राखो री,
नणँदल नखराँली।।

कह्यो सुण्यो सब माफ़ करीज्यो, म्हारो नणदोई बाँको,
'बासुदेव' होली पर इणरी, ये मनुहाराँ री,
नणँदल नखराँली।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
9-3-18