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Sunday, November 5, 2023

सेदोका (आतंकवाद)

(5 7 7 5 7 7 वर्ण प्रति पंक्ति)

आतंकवाद
गोली या निर्लज्जता? 
फर्क नहीं पड़ता।
करे छलनी
ये एकबार तन
वो रह रह मन।
****

पर्यावरण
चाहे हर जगह
लगे वृक्ष ही वृक्ष।
विकास चाहे
कंक्रीट के जंगल
कट कट के वृक्ष।
****

अमोल नेत्र
जो मरने के बाद
यूँ ही जल जाएंगे।
कर दो दान
किसीको रोशनी दे
खुशियाँ सजाएंगे।
****

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
23-04-16

Monday, September 4, 2023

सेदोका (कँवल खिलो)

कँवल खिलो
मानव हृदयों में
तुम छोड़ पंक को।
जिससे कभी
तुषार न चिपके
मद की मानव पे।
****

शांत सरिता
किनारों में सिमटी
सुशांत प्रवाहिता,
हो उच्छृंखल
तोड़े सकल बांध
ज्यों मतंग मदांध।
****

जीवन-मुट्ठी
रिसती उम्र-रेत
अनजान मानव,
सोचता रहा
रेत अभी है बाकी
पर वह जा चुकी।
****

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
23-04-17

Sunday, July 2, 2023

सेदोका (प्रीत)

(5 7 7 5 7 7 वर्ण प्रति पंक्ति।)

सेदोका कविता - 1

चन्द्र चकोरी
तेरे नेह की रश्मि
जब भी आ के गिरी
मन में उठा
उतङ्ग ज्वार भाटा
तुम्हारी और खिंचा।
*****

सेदोका कविता - 2

प्रीत का चाँद
आकर्षित करता
मन का ज्वार-भाटा,
प्रेम-सागर
मिलने को आतुर
चन्द्र-प्रिया चातुर।
****

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
15-02-19

Wednesday, February 23, 2022

सेदोका-विधान

 सेदोका विधान -

सेदोका कविता कुल छह पंक्तियों की जापानी विधा की रचना है। इसमें प्रति पंक्ति निश्चित संख्या में वर्ण रहते हैं। सेदोका कविता दो 'कतौता' के मेल से बनती है। कतौता 5,7,7 वर्ण प्रति पंक्ति के क्रम में तीन पंक्ति की रचना है। एक पूर्ण सेदोका में निम्न क्रम में वर्ण रहते हैं।

प्रथम पंक्ति - 5 वर्ण
द्वितीय पंक्ति - 7 वर्ण
तृतीय पंक्ति - 7 वर्ण

चतुर्थ पंक्ति - 5 वर्ण
पंचम पंक्ति - 7 वर्ण
षष्ठ पंक्ति - 7 वर्ण

(वर्ण गणना में लघु, दीर्घ और संयुक्ताक्षर सब मान्य हैं। अन्य जापानी विधाओं की तरह ही सेदोका छंद में भी पंक्तियों की स्वतंत्रता निभाना अत्यंत आवश्यक है। हर पंक्ति अपने आप में स्वतंत्र हो परंतु कविता को एक ही भाव में समेटे अग्रसर भी करती रहे।)
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया

Sunday, June 21, 2020

सेदोका (नेता)

जो लेता छीन
वो रईस कुलीन
है आज सत्तासीन,
बाकी हैं हीन
गिड़गिड़ाते दीन
अपराधों में लीन।
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आज का नेता
अनचाहा चहेता
पाखण्डी अभिनेता,
बड़ाई खोता
स्वार्थ भरा पुलिंदा
जो आ, खा, भाग जाता।
****

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
15-02-19

Tuesday, November 19, 2019

सेदोका (निर्झर)

5-7-7-5-7-7 वर्ण

(1)
स्वच्छ निर्झर
पर्वत से गिरता,
नदी बन बहता।
स्वार्थी मानव!
डाले कूड़ा कर्कट,
समस्या है विकट।
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(2)
निर्झर देता
जीवन रूपी जल,
चीर पर्वत-तल।
सदा बहना
शीत ताप सहना,
है इसका गहना।
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(3)
यह झरना
जो पर्वत से छूटा,
सीधा भू पर फूटा।
धवल वेणी,
नभ से धरा तक
सर्प सी लहराए।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
29-06-19

Thursday, September 12, 2019

सेदोका (अपनों का दर्द)

5-7-7-5-7-7 वर्ण

हम स्वदेशी
अपनों का न साथ
घर में भी विदेशी;
गया बिखर,
बसा बसाया घर!
कोई न ले खबर।
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बड़े लाचार,
गैरों का अत्याचार,
अपनों से दुत्कार;
सोची समझी
साजिश के शिकार,
कहाँ है सरकार?
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हम ना-शाद,
उनका ये जिहाद
भीषण अवसाद;
न प्रतिवाद
खो जाये फरियाद,
हाय रे सत्तावाद।
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(मेरठ में हिंदू परिवारों के पलायन पर)

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
30-06-19

Saturday, June 22, 2019

सेदोका (किसान)

जापानी विधा (5-7-7-5-7-7)

किसान भाई
मौसम हरजाई
सरकार पराई।
अन्न उगाया
फसल की जगह
हाय रे! मौत उगी।
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मिट्टी से लड़े
कृषक के फावड़े
तब फ़सल झड़े,
पर हाय रे
तभी मौसम अड़ा
भारी संकट पड़ा।
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उगानेवाले
ग़म खा के जी रहे
खुद को मिटा रहे।
बेचनेवाले
बादाम पिस्ता खाते
हर  खुशी  मनाते।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
3-09-16