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Friday, August 20, 2021

गीत "नरक चतुर्दशी"

"नरक चतुर्दशी"

नरकासुर मार श्याम जब आये।
घर घर मंगल दीप जले तब, नरकचतुर्दश ये कहलाये।।

भूप प्रागज्योतिषपुर का वह, चुरा अदिति के कुण्डल लाया,
सौलह दश-शत नार रूपमति, कारागृह में लाय बिठाया,
साथ सत्यभामा को ले हरि, दुष्ट असुर के वध को धाये।
नरकासुर मार श्याम जब आये।।

पक्षी राज गरुड़ वाहन था, बनी सारथी वह प्रिय रानी,
घोर युद्ध में उसका वध कर, उसकी मेटी सब मनमानी,
नार मुक्त की कारागृह से, तब से जग ये पर्व मनाये।
नरकासुर मार श्याम जब आये।।

स्नान करें प्रातः बेला में , अर्घ्य सूर्य को करें समर्पित,
दीप-दान सन्ध्या को देवें, मृत्यु देव यम को कर पूजित,
नरक-पाश का भय विलुप्त कर, प्राणी सुख की वेणु बजाये।
नरकासुर मार श्याम जब आये।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
06-11-2018

Wednesday, April 21, 2021

लावणी छंद आधारित गीत (आओ सब मिल कर संकल्प करें)

आओ सब मिल कर संकल्प करें।
चैत्र शुक्ल नवमी है कुछ तो, नूतन आज करें।
आओ सब मिल कर संकल्प करें॥

मर्यादा में रहना सीखें, सागर से बन कर हम सब।
सिखलाएँ इस में रहना हम, तोड़े कोई इसको जब।
मर्यादा के स्वामी की यह, धारण सीख करें।
आओ सब मिल कर संकल्प करें॥
 
मात पिता गुरु और बड़ों की, सेवा का हरदम मन हो।
भाई मित्र और सब के ही, लिए समर्पित ये तन हो।
समदर्शी सा बन कर सबसे, हम व्यवहार करें।
आओ सब मिल कर संकल्प करें॥

आज रामनवमी के दिन हम, दृढ हो कर व्रत यह लेवें।
दीन दुखी आरत जो भी हैं, उन्हें सहारा हम देवें।
राम-राज्य का सपना भू पर, हम साकार करें।
आओ सब मिल कर संकल्प करें॥

उत्तम आदर्शों को अपना, जीवन सफल बनाएँ हम।
कर चरित्र निर्माण स्वयं का, जग का दूर करें सब तम।
उत्तम बन कर पुरुषोत्तम को, हम सब 'नमन' करें।
आओ सब मिल कर संकल्प करें॥

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
15-04-16

Wednesday, October 23, 2019

गीत (छठ मैया)

चरणन में छठ माँ के,
कोसिया भरावण के,
दऊरा उठाई चले,
सब नर नार हो।

गंगा के घाट लगी,
भीड़ भगतन की,
देखो छठ मइया की,
महिमा अपार हो।

माथे पे सब चले दऊरा उठाई,
बबुआ, देवर, कहीं भतीजा, भाई,
सुहानी नार सजी,
बिहाने बिहाने चली,
पग में महावर लगी,
सँग भरतार हो।

जल में खड़े हो अर्घ देवन को,
उगते सूरज की पूजा करन को,
सब दिवले जलाये,
फल, पुष्पन चढाये,
माला अर्पण करे,
करो स्वीकार हो।

छठ माई पूर्ण करो इच्छाएँ सारी,
तेरी तो महिमा जग में है भारी,
अन-धन भंडार भरो,
सब को निरोग रखो,
चाही सन्तान देवो,
सुखी संसार हो।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
10-11-2018

Friday, June 7, 2019

करवा चौथ पर आरती

ओम जय पतिदेव प्रिये
स्वामी जय पतिदेव प्रिये।
चौथ मात से विनती-2
शत शत वर्ष जिये।।

कार्तिक लगते आई, चौथ तिथी प्यारी।
करवा चौथ कहाये, सब से ये न्यारी।।
ओम जय पतिदेव प्रिये।

सूर्योदय से लेकर, जब तक चाँद दिखे।
तेरे कारण धारूँ, व्रत कुछ भी न चखे।।
ओम जय पतिदेव प्रिये।

सुनूँ कहानी माँ की, लाल चुनर धारूँ।
करवा रख कर पुजूँ, माँ पर सब वारूँ।।
ओम जय पतिदेव प्रिये।

चन्द्र ओट ले देखूँ, अर्ध्य उसे देऊँ।
दीर्घ आयु का तेरा, उससे वर लेऊँ।।
ओम जय पतिदेव प्रिये।

तेरे हाथों फिर मैं, व्रत तोड़ूँ साजन।
'नमन' सदा ही रखना, मुझको प्रिय भाजन।।
ओम जय पतिदेव प्रिये
स्वामी जय पतिदेव प्रिये।
चौथ मात से विनती-2
शत शत वर्ष जिये।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
07-10-17