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Saturday, March 4, 2023

ताँका विधान

ताँका कविता कुल पाँच पंक्तियों की जापानी विधा की रचना है। इसमें प्रति पंक्ति निश्चित संख्या में वर्ण रहते हैं। प्रति पंक्ति निम्न क्रम में वर्ण रहते हैं।

प्रथम पंक्ति - 5 वर्ण
द्वितीय पंक्ति - 7 वर्ण
तृतीय पंक्ति - 5 वर्ण
चतुर्थ पंक्ति - 7 वर्ण
पंचम पंक्ति - 7 वर्ण

(वर्ण गणना में लघु, दीर्घ और संयुक्ताक्षर सब मान्य हैं। अन्य जापानी विधाओं की तरह ही ताँका में भी पंक्तियों की स्वतंत्रता निभाना अत्यंत आवश्यक है। हर पंक्ति अपने आप में स्वतंत्र हो परंतु कविता को एक ही भाव में समेटे अग्रसर भी करती रहे।)

बासुदेव अग्रवाल नमन
तिनसुकिया 

Monday, October 25, 2021

ताँका विधा "हार या जीत"

 ताँका विधा (हार या जीत)

ताँका विधान - ताँका कविता कुल पाँच पंक्तियों की जापानी विधा की रचना है। इसमें प्रति पंक्ति निश्चित संख्या में वर्ण रहते हैं। प्रति पंक्ति निम्न क्रम में वर्ण रहते हैं।

प्रथम - 5 वर्ण
द्वितीय - 7 वर्ण
तृतीय - 5 वर्ण
चतुर्थ - 7 वर्ण
पंचम - 7 वर्ण

(वर्ण में लघु, दीर्घ और संयुक्ताक्षर सब मान्य हैं।)

हार या जीत
तटस्थ रह मीत
रात से भोर, 
नीरवता से शोर
आते जाते, क्यों भीत?
**

कुछ तू सुना
कुछ मैं सुनाता हूँ
मन की बात,
दोनों की अनकही
भावनाओं में बही।
**

छलनी मन
आँसुओं का भूचाल
पर रूमाल,
अपने की दिलासा
बंधाती नव-आशा।
**

हम थे आग
इश्क की शुरुआत
हुई इंतिहा,
खत्म हुये जज्बात
बची केवल राख।
**

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
22-06-20

Wednesday, September 8, 2021

ताँका (राजनीति)

ताँका विधा - (जापानी विधा)
(5-7-5-7-7)

नेता वंदन
लोकतंत्र छेदन
राष्ट्र क्रंदन,
स्वार्थ का हो नर्तन
चापलूसी वर्तन।
**

तुष्टिकरण
स्वार्थ परिपोषक
छद्मावरण,
भावना का मरण
कपट का भरण।
**

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
22-06-19

Tuesday, November 26, 2019

ताँका (संदल तन)

जापानी विधा (5-7-5-7-7)

संदल तन
चंचल चितवन
धीरे मुस्काना,
फिर आँख झुकाना
कर देता दीवाना।
**

उजड़े बाग
धूमिल है पराग
कागजी फूल,
घरों में सज रहे
पर्यावरण दहे।
**

अच्छा सोचना
लिखना व बोलना
अलग बात,
उस पर चलना
सब की न औकात।
**

शीत कठोर!
स्मृति-सलाकाओं पे
बुनूँ स्वेटर,
माँ के खोये नेह का
कुछ तो गर्मी वो दे।
**

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
10-11-2019

Friday, August 9, 2019

ताँका (प्रकृति)

जापानी विधा (5-7-5-7-7)

निशा ने पाया
मयंक सा साजन
हुई निहाल,
धारे तारक-माल
खूब करे धमाल।
**

तारक अस्त
हुई शर्म से लाल
भोर है मस्त,
रवि-रश्मि संघात
सरसे जलजात।
**

भ्रमर गूँज,
मधुपरी नर्तन,
हर्षित कूँज,
आया नव विहान
रजनी अवसान।
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ग्राम्य-जीवन
संदल उपवन
सरसावन,
सुरभित पवन
वास बरसावन।
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हवा में बहे
सेमली शुभ्र गोले,
आ कर सजे,
हरित दूब पर
जैसे झरे हों ओले।
**

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
20-06-19

Saturday, June 22, 2019

ताँका (ईश्वर)

जापानी विधा (5-7-5-7-7)

जिसने दिये
कर दो समर्पण
उसे ही पाप,
बन जाओ उज्ज्वल
हो कर के निष्पाप।
**

पाप रहित
नर बन जाता है
ईश स्वरूप,
वह सब प्राणी में
देखे अपना रूप।
**

ईश्वर बैठा
अपने ही अंदर
पर मानव,
ढूंढे उसे बाहर
लाखों प्रयत्न कर।
**

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
21-06-19