Saturday, July 29, 2023

मुक्तक (बढ़ती आबादी)

बढ़ती जाये ज्यों आबादी, घटते कारोबार हैं,
तुष्टिकरण के आज सामने, सरकारें लाचार हैं,
पास नहीं इक रोजगार है, बच्चों की पर फौज सी,
आज़ादी के सात दशक यूँ, कर दीन्हे बेकार हैं।

खुद की देन आपकी बच्चे, मिलते ये न प्रसाद में,
घर में पहले रोजगार हो, बच्चे फिर हों बाद में,
बात न ये तबके तबके की, सारे जिम्मेदार हैं,
तय कर दे कानून देश का, बच्चे किस तादाद में।  

(प्रदीप छंद आधारित)                    

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
30-11-2016

Friday, July 21, 2023

हाइकु (संस्कृति)

हाइकु विधा:- 5 - 7 - 5 वर्ण प्रति पंक्ति।

राम किसमें
तर्क, इतिहास में?
आस, श्वांस में।
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राम बसे हैं
अपने ही अंदर
ढूंढें बाहर?
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जो सनातन
सत्य, स्थिर, चेतन
वो भगवन।
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तत्व दर्शन
जो होता लघुतम
वो ही सर्वोच्च।
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चेहरा लख
इंसान की कीमत
होती परख।
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गुरु की वाणी
बन्द द्वार की चाबी
झट से खोले।
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माला राम की
जपें सब नाम की
भारी काम की।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
23-08-16

Friday, July 14, 2023

छंदा सागर (भगणादि छंदाएँ)

                      पाठ - 14

छंदा सागर ग्रन्थ

"भगणादि छंदाएँ"

इस पाठ में हम उन छंदाओं का अध्ययन करेंगे जिनके प्रारंभ में भगण रहता है। इन छंदाओं का इसलिये भगणादि नाम दिया गया है क्योंकि छंदा के आदि में भगण है। इन छंदाओं में प्रयुक्त होनेवाले भगण गुच्छक निम्न हैं।
211 = भगण 
2112 = ईभग
21121 = ईंभागल
21122 = एभागग
211221 = ऐंभागिल

भगणादि गुरु-लूकी छंदाएँ:- इन छंदाओं में गुरु वर्ण के मध्य ऊलल वर्ण (11) रहते हैं। वाचिक स्वरूप में ये दोनों लघु स्वतंत्र लघु होते हैं। मात्रिक और वर्णिक में लघु वर्ण सामान्य लघु ही रहते हैं।
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21122 2 = भेगा, भेगण, भेगव
21122 21 = भेगू, भेगुण, भेगुव
21122 22 = भेगी, भेगिण, भेगिव
21122 22 +1 = भेगिल, भेगीलण, भेगीलव

21122 22 21122 2 = भेगीभेगा, भेगीभेगण, भेगीभेगव
21122 22 21122 22 = भेगीधू, भेगीधुण, भेगीधुव
21122 22, 21122 22 = भेगिध, भेगीधण, भेगीधव
21122 22, 21122 22 +1 = भेगीधल, भेगिधलण, भेगिधलव

21122 222 = भेमा, भेमण, भेमव
21122 2221 = भेमल, भेमालण, भेमालव
21122 2222 = भेमी, भेमिण, भेमिव
21122 22221 = भेमिल, भेमीलण, भेमीलव
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211*2 2 = भादग, भदगण, भदगव
211*2 21 = भदगू, भदगुण, भदगुव
211*2 2 211*2 2 = भदगध, भादगधण, भादगधव
211*2 21, 211*2 21 = भदगुध, भदगूधण, भदगूधव
211*2 22 = भदगी, भदगिण, भदगिव (चित्रपदा छंद)
211*2 22 211*2 22 = भदगीधू, भदगीधुण, भदगीधुव
211*2 222 = भादम, भदमण, भदमव
211*2 2221 = भदमल, भादमलण, भादमलव
211*2 2222 = भदमी, भदमिण, भदमिव
211*2 22221 = भदमिल, भदमीलण, भदमीलव
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2112*2 2 = भीदग, भिदगण, भिदगव
2112*2 21 = भिदगू, भिदगुण, भिदगुव
2112*2 2, 2112*2 2  = भिदगध, भीदगधण, भीदगधव
2112*2 21, 2112*2 21  = भिदगुध, भिदगूधण, भिदगूधव

2112*2 22 = भिदगी, भिदगिण, भिदगिव
2112*2 22 +1 = भिदगिल, भिदगीलण, भिदगीलव
2112*2 222 = भीदम, भिदमण, भिदमव
2112*2 2221 = भिदमल, भीदमलण, भीदमलव
**

21122 2112 = भेभी, भेभिण, भेभिव (मणिमध्य छंद)
21122 21121 = भेभिल, भेभीलण, भेभीलव

21122*2 2 = भेदग, भेदागण, भेदागव
21122*2 21 = भेदागू, भेदागुण, भेदागुव
21122*2 22 = भेदागी, भेदागिण, भेदागिव
21122*2 22 +1 = भेदागिल, भेदागीलण, भेदागीलव
**

21122 22 2112 = भेगीभी, भेगीभिण, भेगीभिव
21122 22 21122 = भेगीभे, भेगीभेण, भेगीभेव
****

211*3 2= भाबग, भबगण, भबगव (सारवती छंद)
211*3 21 = भबगू, भबगुण, भबगुव
211*3 22 = भबगी, भबगिण, भबगिव (दोधक छंद)
211*3 222 = भाबम, भबमण, भबमव
211*3 2221 = भबमल, भाबमलण, भाबमलव
**

211 2112*2 = भाभिद, भभिदण, भभिदव
211 2112*2 +1 = भभिदल, भाभिदलण, भाभिदलव
211*2 22 2112 = भदगीभी, भदगीभिण, भदगीभिव
211*2 22 21121 = भदगीभिल, भदगीभीलण, भदगीभीलव
211 21122*2 = भाभेदा, भाभेदण, भाभेदव
211 21122*2 +1 = भाभेदल, भाभेदालण, भाभेदालव
****

2112 211*2 2 = भिभदग, भीभदगण, भीभदगव
2112*3 2 = भीबग, भिबगण, भिबगव
2112*3 21 = भिबगू, भिबगुण, भिबगुव
2112*3 22 = भिबगी, भिबगिण, भिबगिव
2112*3 22 +1 = भिबगिल, भिबगीलण, भिबगीलव
2112 21122*2  = भीभेदा, भीभेदण, भीभेदव
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21122 211*2 2 = भेभादग, भेभदगण, भेभदगव
21122 211*2 21 = भेभदगू, भेभदगुण, भेभदगुव
21122 211*2 22 = भेभदगी, भेभदगिण, भेभदगिव
21122 2112*2 = भेभिद, भेभीदण, भेभिदगव
21122 2112*2 2 = भेभीदग, भेभिदगण, भेभिदगव
**

21122*2 2112= भेदाभी, भेदाभिण, भेदाभिव
21122*2 21121 = भेदाभिल, भेदाभीलण, भेदाभीलव
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21122*3 2 = भेबग, भेबागण, भेबागव
21122*3 21 = भेबागू, भेबागुण, भेबागुव
21122*3 22= भेबागी, भेबागिण, भेबागिव
21122*3 22 +1 = भेबागिल, भेबागीलण, भेबागीलव
21122*2, 21122 222= भेदंभेमा, भेदंभेमण, भेदंभेमव
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भगणावृत्त छंदाएँ :- इन छंदाओं में केवल भगणाश्रित गुच्छक ही रहते हैं जिनकी एक से चार गुच्छक तक की आवृत्तियाँ रहती हैं। गुच्छक के अंत में स्वतंत्र वर्ण जुड़ सकते हैं। द्विगुच्छकी छंदाओं के मध्य में भी स्वतंत्र वर्ण संयोजित हो सकते हैं। इस पाठ में आगे लघु वृद्धि की छंदाएँ नहीं दी जा रही हैं जो सभी में बन सकती हैं। अब आगे केवल वाचिक और मात्रिक छंदाएँ ही दी जायेंगी। इन्हें बनाने के लिये आधार गुच्छक के रूप में इस पाठ के प्रारंभ में बताये गये 5 गुच्छक में से कोई भी लिया जा सकता है।

"भ = (211 आधार गुच्छक)":-

211 21121 2 = भाभींगा, भाभींगण
211 21121 22 = भाभींगी, भाभींगिण
211 211221 2 = भाभैंगा, भाभैंगण
211 211221 22 = भाभैंगी, भाभैंगिण
(इन्हें त्रिगुच्छकी छंदा का रूप देने के लिये आधार भगण को आवृत्त किया जायेगा। इससे भदभींगा, भदभैंगी आदि छंदाएँ बनेंगी।)

211*2 +21 2112 = भदगूभी, भदगूभिण
211*2 +21 21122 = भदगूभे, भदगूभेण
211*3 +21 2112 = भबगूभी, भबगूभिण

211 21121*2 2 = भाभींदग, भाभींदागण
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"भी = (2112 आधार गुच्छक)":-

2112*2 +12 = भिदली, भीदलिण
2112*3 +12 = भिबली, भीबलिण
2112*2 +12, 2112*2 +12 = भिदलिध, भीदलीधण

2112 211221 +2 = भीभैंगा, भीभैंगण
2112 211221 +22 = भीभैंगी, भीभैंगिण
2112*2 211221 +2 = भिदभैंगा, भिदभैंगण

2112*2 +1 2112 = भीदलभी, भीदलभिण
2112*2 +1 21122 = भीदलभे, भीदलभेण
2112*2 +21 2112 = भिदगूभी, भिदगूभिण

2112 21121*2 2 = भीभींदग, भीभींदागण
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"भीं = (21121 आधार गुच्छक)":-

21121 2 = भींगा, भींगण
21121 22 = भींगी, भींगिण
21121 22 21121 2 = भींगीभींगा, भींगीभींगण
21121 22, 21121 22 = भींगिध, भींगीधण

21121*2 2 = भींदग, भींदागण
21121*2 12 = भींदाली, भींदालिण
21121*2 22 = भींदागी, भींदागिण
21121*3 2 = भींबग, भींबागण

21121 2112 = भींभी, भींभिण
21121*2 2112 = भींदाभी, भींदाभिण
21121*3 2112 = भींबाभी, भींबाभिण
21121 2112, 21121 2112 = भींभिध, भींभीधण
21121 2 2112 = भींगाभी, भींगाभिण
21121 21 2112 = भींगूभी, भींगूभिण
21121 22 2112 = भींगीभी, भींगीभिण
21121 221 2112 = भिलगींभी, भिलगींभिण
(इन छंदाओं के अंत में भी के स्थान पर भे का प्रयोग भी किया जा सकता है। जैसे- भींभेधा)

21121 2112*2 = भींभिद, भींभीदण
21121 2112*2 2 = भींभीदग, भींभिदगण
21121 2112, 21121 2112 +2 = भींभीधग, भींभिधगण
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"भे = (21122 आधार गुच्छक)":-

21122*2 12 = भेदाली, भेदालिण
21122*3 12 = भेबाली, भेबालिण

21122 21 2112 = भेगूभी, भेगूभिण
21122 21 21122 = भेगूभे, भेगूभेण
****

"भैं = (211221 आधार गुच्छक)":-

211221 2 = भैंगा, भैंगण
211221 22 = भैंगी, भैंगिण
211221 22, 211221 22 = भैंगिध, भैंगीधण

211221*2 2 = भैंदग, भैंदागण
211221*2 12 = भैंदाली, भैंदालिण
211221*2 22 = भैंदागी, भैंदागिण
(ये तीन की आवृत्ति में भी बनेंगी)

211221 2112 = भैंभी, भैंभिण
211221*2 2112 = भैंदाभी, भैंदाभिण
211221 2112, 211221 2112 = भैंभिध, भैंभीधण
211221 2 2112 = भैंगाभी, भैंगाभिण
211221 21 2112 = भैंगूभी, भैंगूभिण
211221 22 2112 = भैंगीभी, भैंगीभिण
211221 121 2112 = भेललींभी, भेललींभिण
211221 221 2112 = भेलगींभी, भेलगींभिण
(इन छंदाओं के अंत में भ के स्थान पर भे का प्रयोग भी किया जा सकता है। जैसे- भैंभे, भैंगूभे)

211221 2112*2 = भैंभिद, भैंभीदण
211221 2112*2 2 = भैंभीदग, भैंभिदगण
211221 2112, 211221 2112 +2 = भैंभीधग, भैंभिधगण
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भगणाश्रित बहुगणी छंदाएँ:-

भामक छंदाएँ:- इन छंदाओं में भगण और मगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता है। यहाँ लघु वृद्धि की छंदाएँ नहीं दी जा रही जो सभी में बन सकती हैं।

21121 222 = भींमा, भींमण
21121 222, 21121 222 = भींमध, भींमाधण
21121 222 2112 = भींमाभी, भींमाभिण

(इन छंदाओं में आधार गुच्छक के रूप में भैं (211221) आ सकता है। म के स्थान पर मी या मू आ सकता है। अंत के भी के स्थान पर भे आ सकता है। जैसे- भींमी, भैंमूभी)

211*2 +21 222 = भदगुम, भदगूमण भदगूमव (रोचक छंद)
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भातक छंदाएँ:- इन छंदाओं में भगण और तगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता है।

21121 2212 = भींती, भींतिण
21121 2212, 21121 2212 = भींतिध, भींतीधण
21121 221 2112 = भींताभी, भींताभिण

(इन छंदाओं में आधार गुच्छक के रूप में भे (21122) या भैं (211221) आ सकता है। ती के स्थान पर ते आ सकता है। अंत के भी के स्थान पर भे आ सकता है। जैसे- भेते, भैंतीभी)
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भारक छंदाएँ:- इन छंदाओं में भगण और रगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता है।

21121 212 = भींरा, भींरण
21121 212, 21121 212 =भींरध, भींराधण
21121 212 2112 = भींराभी, भींराभिण

(इन छंदाओं में आधार गुच्छक के रूप में भे (21122) या भैं (211221) आ सकता है। र के स्थान पर री या रू आ सकता है। अंत के भी के स्थान पर भे आ सकता है। जैसे- भेरू, भैंरीभी)
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया

Sunday, July 9, 2023

नित छंद "ज्ञानवापी"

ज्ञानवापी सच यही।
ये न मस्जिद थी रही।।
महादेव बसे जहाँ।
क्यों न फिर मंदिर वहाँ।।

आततायी क्रूर वे।
राज्य मद में चूर वे।।
मुगल शासक जब हुये।
नष्ट मंदिर तब हुये।।

काशी की यही कथा।
नन्दीनाथ की व्यथा।।
दहकाती ज्वाल लगे।
मन में आक्रोश जगे।।

फव्वारा कहें जिसे।
शंभु हम मानें इसे।।
लिंग का प्राकट्य है।
विश्व सम्मुख तथ्य है।।

भग्न मूर्ति मिलीं वहाँ।
कमल, स्वस्तिक भी यहाँ।।
चिन्ह जो सब प्राप्त ये।
क्या नहीं पर्याप्त ये।।

तथ्य सारे जाँचिए।
न्याय हमको दीजिए।।
भव्य मंदिर अब बने।
'नमन' जन जन में ठने।।
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नित छंद विधान -

नित छंद 12 मात्रा प्रति चरण का सम मात्रिक छंद है। यह आदित्य जाति का छंद है। एक छंद में कुल 4 चरण होते हैं और छंद के दो दो या चारों चरण सम तुकांत होने चाहिए। इन 12 मात्राओं की मात्रा बाँट - 9 + 1 2 है।
नवकल की निम्न संभावनाएँ हैं -
12222 (2222 को अठकल मान सकते हैं।)
21222 (222 को छक्कल मान सकते हैं।)
22122
22212 (222 को छक्कल मान सकते हैं।)
22221 (2222 को अठकल मान सकते हैं।)
(इन सब में 2 को 11 में तोड़ा जा सकता है।)

अंत के लघु गुरु (12) को नगण (111) के रूप में भी लिया जा सकता है।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया
29-05-22

Sunday, July 2, 2023

सेदोका (प्रीत)

(5 7 7 5 7 7 वर्ण प्रति पंक्ति।)

सेदोका कविता - 1

चन्द्र चकोरी
तेरे नेह की रश्मि
जब भी आ के गिरी
मन में उठा
उतङ्ग ज्वार भाटा
तुम्हारी और खिंचा।
*****

सेदोका कविता - 2

प्रीत का चाँद
आकर्षित करता
मन का ज्वार-भाटा,
प्रेम-सागर
मिलने को आतुर
चन्द्र-प्रिया चातुर।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
15-02-19