Showing posts with label रति छंद. Show all posts
Showing posts with label रति छंद. Show all posts

Tuesday, August 13, 2019

रति छंद "प्यासा मन-भ्रमर"

मन मोहा, तन कुसुम सम तेरा।
हर लीन्हा, यह भ्रमर मन मेरा।।
अब तो ये, रह रह छटपटाये।
कब तृष्णा, परिमल चख बुझाये।।

मृदु हाँसी, जिमि कलियन खिली है।
घुँघराली, लट-छवि झिलमिली है।।
मधु श्वासें, मलय-महक लिये है।
कटि बांकी, अनल-दहक लिये है।।

मतवाली, शशि वदन यह गोरी।
मृगनैनी, चपल चकित चकोरी।।
चलती तो, लख हरिण शरमाये।
यह न्यारी, छवि न वरणत जाये।।

लगते हैं, अधर पुहुप लुभाये।
तब क्यों ना, सब मिल मन जलाये।।
मन भौंरा, निरखत डगर तेरी।
मिल ने को, बिलखत कर न देरी।।
===============
लक्षण छंद:-

'रति' छंदा', रख गण "सभनसागे"।
यति चारा, अरु नव वरण साजे।।

"सभनसागे" = सगण भगण नगण सगण गुरु

( 112  2,11  111  112  2)
13वर्ण, यति 4-9 वर्णों पर,
4 चरण,दो-दो चरण समतुकांत
*****************

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
26-01-19