Sunday, August 27, 2023

गीत (आजादी आई है)

 (धुन - इक प्यार का नगमा है)

222*2

आजादी आई है
कितनी ये सुहानी है,
लहरा के तिरंगे को
नव आस जगानी है।

सन सैंतालिस प्यारी,
आजादी मिली न्यारी,
था जोश चढा नभ पर
सब और खुशी भारी;
सत्ता अंग्रेजी अब
हो गयी पुरानी है,
लहरा के तिरंगे को
नव आस जगानी है।

अब दूर हुआ सब गम,
हम हैं न किसी से कम,
भारत का मान बढ़ा
जनता को जगाएं हम;
दीवाली मना कर के
अंधियारी हटानी है,
लहरा के तिरंगे को
नव आस जगानी है।

शिक्षा को बढ़ाएंगे,
सोयों को जगाएंगे,
त्यज ऊँच नीच सारी
जन जन को हंसाएंगे;
जग के गुरु फिर से बनें
यह सोच बनानी है,
लहरा के तिरंगे को
नव आस जगानी है।

वीरों ने सीमा पर,
साहस को दिखला कर,
दुश्मन को भगा भगा
मारा पीटा जी भर
हम 'नमन' करें जिनकी
क्या गजब जवानी है
लहरा के तिरंगे को
नव आस जगानी है

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया 
12.08.23

Monday, August 21, 2023

छंदा सागर (सगणादि छंदाएँ)

                     पाठ - 16

छंदा सागर ग्रन्थ

"सगणादि छंदाएँ"

इस पाठ में हम उन छंदाओं का अध्ययन करेंगे जिनके प्रारंभ में सगण रहता है। इन छंदाओं का इसलिये सगणदि नाम दिया गया है क्योंकि छंदा के आदि में सगण गुच्छक रहते हैं। सगण गुच्छक निम्न हैं, जिनका इन छंदाओं में प्रयोग है।
112 = सगण
1121 = अंसल
1122 = ईसग
11221 = ईंसागल
11212 = ऊसालग
112121 = ऊंसालिल
11222 = एसागग
112221 = ऐंसागिल

सगणादि गुरु-लूकी छंदाएँ:- इन छंदाओं में गुरु वर्ण के मध्य ऊलल वर्ण (11) रहते हैं। वाचिक स्वरूप में ये दोनों लघु स्वतंत्र लघु होते हैं। मात्रिक और वर्णिक में लघु वर्ण सामान्य लघु ही रहते हैं।
****

11222 = सेका, सेकण, सेकव
112221 = सैंका, सैंकण, सैंकव
11222 2 = सेगा, सेगण, सेगव
11222 21 = सेगू, सेगुण, सेगुव
11222 22 = सेगी, सेगिण, सेगिव
11222 22 +1 = सेगिल, सेगीलण, सेगीलव
11222 222 = सेमा, सेमण, सेमव
11222 2221 = सेमल, सेमालण, सेमालव
11222 2222 = सेमी, सेमिण, सेमिव
11222 22221 = सेमिल, सेमीलण, सेमीलव

(इन छंदाओं में ईगागा वर्ण (22), मगण और ईमग गणक जुड़ा हुआ है। इनमें 22 को 112 रूप में लिया जा सकता है। मगण को 1122, 2112, 222 इन तीनों रूप में से किसी भी रूप में रखा जा सकता है। ईमग की 112 112, 11222, 21122, 22112, 2222 इन पांच संभावनाओं में से कोई भी प्रयोग में लायी जा सकती है। यह छूट लघु वृद्धि में भी है।)
****

112*2 2= सादग, सदगण, सदगव
112*2 21 = सदगू, सदगुण, सदगुव
112*2 2 112*2 2 = सादगधू, सादगधुण, सादगधुव
112*2 2, 112*2 2 +1 = सादगधल, सदगधलण, सदगधलव
112*2 21, 112*2 21 = सदगुध, सदगूधण, सदगूधव

112*2 22 = सदगी, सदगिण, सदगिव
112*2 22 +1 = सदगिल, सदगीलण, सदगीलव
112*2 22 112*2 22 = सदगीधू, सदगीधुण, सदगीधुव (धू संकेतक बिना यति के सदगी को दोहरा रहा है।)

112*2 222 =  सादम, सदमण, सदमव
112*2 2221 = सदमल, सादमलण, सादमलव
112*2 2222 =  सदमी, सदमिण, सदमिव
112*2 22221 = सदमिल, सदमीलण, सदमीलव
**

1122 112 = सीसा, सीसण, सीसव
1122 112 1122 112 = सिसधू, सिसधुण, सिसधुव (धू संकेतक बिना यति के सिस को दोहरा रहा है।)
1122 112, 1122 112 = सीसध, सिसधण, सिसधव
1122 1121, 1122 1121 = सीसंधा, सीसंधण, सीसंधव

1122*2 2 = सीदग, सिदगण, सिदगव
1122*2 21 = सिदगू, सिदगुण, सिदगुव
1122*2 22 = सिदगी, सिदगिण, सिदगिव
1122*2 22 +1 = सिदगिल, सिदगीलण, सिदगीलव
1122*2 222 = सीदम, सिदमण, सिदमव
1122*2 2221 = सिदमल, सीदमलण, सीदमलव
**

11222 112 = सेसा, सेसण, सेसव
11222 1121 = सेसल, सेसालण, सेसालव
11222 112, 11222 112 = सेसध, सेसाधण, सेसाधव
11222 1121, 11222 1121 = सेसंधा, सेसंधण, सेसंधव

11222 1122= सेसी, सेसिण, सेसिव
11222 11221 = सेसिल, सेसीलण, सेसीलव
11222 1122, 11222 1122 = सेसिध, सेसीधण, सेसीधव
11222 11221, 11222 11221 = सेसींधा, सेसींधण, सेसींधव
**

11222*2 2 = सेदग, सेदागण, सेगव
11222*2 21 = सेदागू, सेदागुण, सेदागुव
11222*2 22 = सेदागी, सेदागिण, सेदागिव
11222*2 22 +1 = सेदागिल, सेदागीलण, सेदागीलव
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11222 2 112 = सेगस, सेगासण, सेगासव
11222 2 1121 = सेगासल, सेगसलण, सेगसलव
11222 2 112, 11222 2 112 = सेगासध, सेगसधण, सेगसधव
11222 2 1122 = सेगासी, सेगासिण, सेगासिव
(इन सब छंदाओं को 1122 22 112 = सीगिस रूप में भी लिया जा सकता है।)
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112*3 2 = साबग, सबगण, सबगव (मेघवितान छंद)
112*3 21 = सबगू, सबगुण, सबगुव
112*3 22 = सबगी, सबगिण, सबगिव (गगन छंद)
112*3 22 +1 = सबगिल, सबगीलण, सबगीलव

112*2 2 112 = सदगस, सादगसण, सादगसव
112 1122*2 = सासिद ससिदण, ससिदव
112 1122*2 +1 = ससिदल, सासिदलण, सासिदलव

112*2 22 112 = सदगिस, सदगीसण, सदगीसव
112*2 22 1122 = सदगीसी, सदगीसिण, सदगीसिव

112 11222*2 = सासेदा, सासेदण, सासेदव
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1122 112*2 = सीसद, सिसदण, सिसदव
1122 112*2 +1 = सिसदल, सीसदलण, सीसदलव
1122 112*2 2 = सिसदग, सीसदगण, सीसदगव
1122 112*2 21 = सीसदगू, सीसदगुण, सीसदगुव
1122 112*2 22 = सीसदगी, सीसदगिण, सीसदगिव
1122 112*2 22 +1 = सीसदगिल, सीसदगीलण, सीसदगीलव

1122*2 112 = सीदस, सिदसण, सिदसव (सायक छंद)
1122*3 2 = सीबग, सिबगण, सिबगव
1122*3 21 = सिबगू, सिबगुण, सिबगुव
1122*3 22 = सिबगी, सिबगिण, सिबगिव
1122*3 22 +1 = सिबगिल, सिबगीलण, सिबगीलव

1122*2 2 112 = सिदगस, सीदगसण, सीदगसव
1122*2 2 1122 = सीदगसी, सीदगसिण, सीदगसिव

1122 11222*2 = सीसेदा, सीसेदण, सीसेदव
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11222 112*2 = सेसद, सेसादण, सेसादव
11222 112*2 +1 = सेसादल, सेसदलण, सेसदलव
11222 112*2 2 = सेसादग, सेसदगण, सेसदगव
11222 112*2 21 = सेसदगू, सेसदगुण, सेसदगुव
11222 112*2 22 = सेसदगी, सेसदगिण, सेसदगिव
11222 112*2 22 +1 = सेसदगिल, सेसदगीलण, सेसदगीलव

11222 1122 112 = सेसिस, सेसीसण , सेसीसव
11222 1122 1121 = सेसीसल, सेसिसलण, सेसिसलव
11222 1122*2 = सेसिद, सेसीदण , सेसीदव
11222 1122*2 +1 = सेसीदल, सेसिदलण, सेसिदलव

11222*2 112 = सेदस, सेदासण, सेदासव
11222*2 1121 = सेदासल, सेदसलण, सेदसलव
11222*2 1122 = सेदासी, सेदासिण, सेदासिव
11222*2 11221 = सेदासिल, सेदासीलण, सेदासीलव

11222*3 2 = सेबग, सेबागण, सेबागव
11222*3 22 = सेबागी, सेबागिण, सेबागिव
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11222*2 2 112 = सेदागस, सेदगसण, सेदगसव

11222 2 1122 112 = सेगासिस, सेगासीसण, सेगासीसव
11222 2 11222 1122  = सेगासेसी, सेगासेसिण, सेगासेसिव
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112*4 2 = साचग, सचगण, सचगव (तारिक छंद)
1122 112*3 2 = सिसबग, सीसबगण, सीसबगव

11222*2 1122*2 = सेदासिद, सेदासीदण, सेदासीदव
11222*2 1122*2 +1 = सेदासीदल, सेदासिदलण, सेदासिदलव
****
****

सगणावृत्त छंदाएँ :- इन छंदाओं में केवल सगणाश्रित गुच्छक ही रहते हैं जिनकी एक से चार गुच्छक तक की आवृत्तियाँ रहती हैं। गुच्छक के अंत में स्वतंत्र वर्ण जुड़ सकते हैं। द्विगुच्छकी छंदाओं के मध्य में भी स्वतंत्र वर्ण संयोजित हो सकते हैं। इस पाठ में आगे लघु वृद्धि की छंदाएँ नहीं दी जा रही हैं जो सभी में बन सकती हैं। अब आगे केवल वाचिक और मात्रिक छंदाएँ ही दी जायेंगी। इन्हें बनाने के लिये आधार गुच्छक के रूप में इस पाठ के प्रारंभ में बताये गये 8 गुच्छक में से कोई भी लिया जा सकता है।

"स = (112 आधार गुच्छक)":-

112*2 12 = सदली, सदलिण
112*3 12 = सबली, सबलिण
112*4 12 = सचली, सचलिण
112*2 12, 112*2 12 = सदलिध, सदलीधण

112 11221 2 = सासींगा, सासींगण
112 11221 22 = सासींगी, सासींगिण
112 11212 2 = सासुग, ससुगण
112 11212 22 = ससुगी, ससुगिण
112 112121 2 = सासूंगा, सासूंगण
112 112121 22 = सासूंगी, सासूंगिण
112 112221 2 = सासैंगा, सासैंगण
112 112221 22 = सासैंगी, सासैंगिण
(इन्हें त्रिगुच्छकी छंदा का रूप देने के लिये आधार सगण को आवृत्त किया जायेगा। इससे सदसींगा, सदसूंगी आदि छंदाएँ बनेंगी।)

112*2 +2 11212 = सादगसू, सादगसुण
112*2 +22 11212 = सदगीसू, सदगुसुण
112*2 +12 (सदलिस, सदलीसी, सासुद, सदलीसे)
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"सी = (1122 आधार गुच्छक)":-

1122*2 12 = सिदली, सिदलिण
1122*3 12 = सिबली, सिबलिण
1122*2 12, 1122*2 12 = सिदलिध, सिदलीधण

1122 11212 = सीसू, सीसुण
1122*2 11212 = सिदसू, सिदसुण

1122 11221 22 = सीसींगी, सीसींगिण
1122 112221 2 = सीसैंगा, सीसैंगण
1122 112221 22 = सीसैंगी, सीसैंगिण
(आधार गुच्छक की आवृत्ति से सिदसींगी, सिदसैंगा आदि त्रिगुच्छकी छंदाएँ बनेंगी)

1122 112*2 12 = सीसदली, सीसदलिण
1122 11212*2 = सीसुद, सीसूदण

1122*2 +2 11212 = सीदगसू, सीदगसुण
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"सीं = (11221 आधार गुच्छक)":-

11221 2 = सींगा, सींगण
11221 22 = सींगी, सींगिण, सींगिव (हंसमाला छंद)
11221 22, 11221 22 = सींगिध, सींगीधण

11221 2 112 = सींगस, सींगासण
11221 22 112 = सींगिस, सींगीसण
(इनके अंत में स के स्थान पर सी, सू, से गणक भी आ सकते हैं।)
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"सू = (11212 आधार गुच्छक )":-

11212 2 = सूगा, सूगण
11212 22 = सूगी, सूगिण
11212 22, 11212 22 = सूगिध, सूगीधण

11212*2 2 = सूदग, सुदगण
11212*2 12 = सुदली, सुदलिण
11212*2 22 = सुदगी, सुदगिण
(ये छंदाएँ तीन की आवृत्ति में भी बनेंगी।)

11212 112 = सूसा, सूसण
11212 1122 = सूसी, सूसिण
11212 1122, 11212 1122 = सूसिध, सूसीधण
11212 1122, 11212 1121 = सूसिणसूसल, सूसिणसुसलण, सूसिणसुसलव (सिद्धिका छंद)
11212 112 22 = सुसगी, सुसगिण
11212*2 112 = सूदस, सुदसण
11212*2, 11212 1121 = सूदंसूसल, सूदंसुसलण, सूदंसुसलव (मणिमाल छंद)

11212 2 112 = सूगस, सुगसण
11212 22 112 = सूगिस, सूगीसिण
(इनके अंत में स के स्थान पर सी, सू, से गणक भी आ सकते हैं।)

11212 112*2 2 = सुसदग, सूसदगण
(ग के स्थान पर ल, ली या गी भी संयोजित हो सकता है।)
11212 1122*2 = सूसिद, सूसीदण

11212 112, 11212 112 +2 = सुसधग, सूसधगण
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"सूं = (112121 आधार गुच्छक )":-

112121 2 = सूंगा, सूंगण
112121 22 = सूंगी, सूंगिण, सूंगिव (ईश/अनघ छंद)
112121 22, 112121 22 = सूंगिध, सूंगीधण

112121 2 112 = सूंगस, सूंगासण
112121 22 112 = सूंगिस, सूंगीसण
(इनके अंत में स के स्थान पर सी, सू, से गणक भी आ सकते हैं।)
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"से = (11222 आधार गुच्छक )":-

11222*2 12 = सेदाली, सेदालिण

11222 11212 = सेसू, सेसुण
11222*2 11212 = सेदासू, सेदासुण

11222 112*2 12 = सेसदली, सेसदलिण
11222 11212*2 = सेसुद, सेसूदण
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"सैं = (112221 आधार गुच्छक )":-

112221 2 = सैंगा, सैंगण
112221 22 = सैंगी, सैंगिण
112221 2, 112221 2 = सैंगध, सैंगाधण

112221 2 112 = सैंगस, सैंगासण
112221 22 112 = सैंगिस, सैंगीसण
(इनके अंत में स के स्थान पर सी, सू, से गणक भी आ सकते हैं।)
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सगणाश्रित बहुगणी छंदाएँ:-

सामक छंदाएँ:- इन छंदाओं में सगण और मगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता है। 'म' से आरंभ होनेवाले किसी भी गुच्छक तथा 'ग' से आरंभ होनेवाले किसी भी वर्ण के गुरु को ओलल वर्ण में तोड़ा जा सकता है यदि उसके दोनों तरफ गुरु वर्ण रहे। यहाँ लघु वृद्धि की छंदाएँ नहीं दी जा रही जो सभी में बन सकती हैं।

11221 222 = सींमा, सींमण
11221 222, 11221 222 = सींमध, सींमाधण
11221 222 112 = सींमस, सींमासण

(इन छंदाओं में आधार गुच्छक के रूप में सू (11212), सूं (112121) तथा सैं (112221) आ सकता है। म के स्थान पर भी मी या मू आ सकता है। अंत के स के स्थान पर भी सी, सू या सागी आ सकता है। जैसे- सूमीसू)

112121 222 = सूंमा, सूंमण, सूंमव (विजात छंद)
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सातक छंदाएँ:- इन छंदाओं में सगण और तगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता है।

11221 2212 = सींती, सींतिण

(यह छंदा आधार गुच्छक में परिवर्तन से सूती, सूंती, सेती और सैंती नाम से बन सकती है। अंत में भी ती के स्थान पर ता, तू या ते आ सकता है।)

11212 2212, 11212 2212 = सूतिध, सूतीधण
11212 2212, 2212 11212 = सूतिणतीसू, सूतिणतीसुण
11212 2212 11212 = सूतीसू, सूतीसुण
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सारक छंदाएँ:- इन छंदाओं में सगण और रगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता  है।

11221 212 = सींरा, सींरण
11221 212, 11221 212 = सींरध, सींराधण
11221 212 112 = सींरस, सींरासण

(इन छंदाओं में आधार गुच्छक के रूप में सू (11212), सूं (112121), से (11222) तथा सैं (112221) आ सकता है। र के स्थान पर भी री, रू या रागी आ सकता है। अंत के स के स्थान पर भी सी, सू, सागी आ सकता है। जैसे- सूंरासू)

112121 212 = सूंरा, सूंरण, सूंरव (भुजंगसंगता छंद)
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया

Saturday, August 12, 2023

सायली (कोरोना)

लाचारी
कोरोना महामारी
भर रही सिसकारी
दुनिया सारी
हाहाकारी
*****

भड़की
कोरोना कलंकी
चमगादड़ से फड़की
मासूमों की
सिसकी
*****

वायरस
चीनी राक्षस
सब तहस नहस
लोग बेबस
नीरस
*****

कोरोना
चीनी टोना
विश्व शांति खोना
रोना धोना
होना
*****

1-2-3-2-1 शब्द प्रति पंक्ति।
*****

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
22-07-20

Monday, August 7, 2023

पद्धरि छंद "जीवन मंत्र"

पद्धरि छंद / पज्झटिका छंद


करके विचार कर ले उपाय।
प्राणी मत रह मन को भ्रमाय।।
जीवन का बस यह एक सार।
जीना केवल है दिवस चार।।

इस अवसर का कर सदुपयोग।
त्यज तन मन से सब तुच्छ भोग।।
सदकर्मों से हो कर विहीन।
मत कर लेना तू मन मलीन।।

अपना झूठा कर मत प्रचार।
बन दुखियों के प्रति तू उदार।।
रह आत्म प्रशंसा में न लीन।
जी सदविचार में बन प्रवीन।।

अपने जन के प्रति पाल मोह।
करना न कभी तू जाति-द्रोह।।
गहना उनका तू नित्य हाथ।
जो जन्म-बंध से साथ साथ।।

रख गर्व मनाना सकल पर्व।
रुचिकर हों अपनी रीति सर्व।।
निज परंपराएँ श्रेष्ठ जान।
ऊँची उनकी रख आन बान।।

तुझको स्वधर्म पर हो घमंड।
बन जा संस्कृति का मेरुदंड।।
ये उच्च भाव नित रख सँभाल।
हो 'नमन' प्रखर भारत विशाल।।
***********

पद्धरि छंद विधान -

पद्धरि छंद 16 मात्रा प्रति चरण का सम मात्रिक छंद है। यह संस्कारी जाति का छंद है। एक छंद में कुल 4 चरण होते हैं और छंद के दो दो या चारों चरण सम तुकांत होने चाहिए। इन 16 मात्राओं की मात्रा बाँट:- द्विकल + अठकल + द्विकल + 1S1 (जगण) है। द्विकल में 2 या 11 रख सकते हैं तथा अठकल में 4 4 या 3 3 2 रख सकते हैं। इस छंद का अंत जगण से होना अनिवार्य है।

पज्झटिका छंद विधान -

प्राकृत पैंगलम्, केशव दास की छंद माला इत्यादि ग्रंथों के अनुसार इस छंद को ही पज्झटिका छंद माना गया है। परंतु छंद प्रभाकर में भानुकवि ने पज्झटिका छंद को अलग छंद माना है। पज्झटिका छंद की मात्रा बाँट 8 S 4 S बताई गयी है। साथ ही इसके किसी भी चौकल में जगण का प्रयोग सर्वथा वर्जित है। पज्झटिका छंद की एक चतुष्पदी देखें:-

"भोले की महिमा है न्यारी।
औघड़ दानी हैं भय हारी।।
शंकर काशी के तुम नाथा।
छंद रचूँ अरु गाऊँ गाथा।।"
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया
13-06-22

Wednesday, August 2, 2023

छंदा सागर (जगणादि छंदाएँ)

                      पाठ - 15

छंदा सागर ग्रन्थ


"जगणादि छंदाएँ"


इस पाठ में हम उन छंदाओं का अध्ययन करेंगे जिनके प्रारंभ में जगण रहता है। इन छंदाओं का इसलिये जगणदि नाम दिया गया है क्योंकि छंदा के आदि में जगण गुच्छक रहते हैं। जगण गुच्छक निम्न हैं जिनका इन छंदाओं में प्रयोग होगा।

121 = जगण 
1211 = अंजल
1212 = ईजग
12121 = ईंजागल
12112 = ऊजालग
121121 = ऊंजालिल
12122 = एजागग
121221 = ऐंजागिल
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जगणावृत्त छंदाएँ :- इन छंदाओं में केवल जगणाश्रित गुच्छक ही रहते हैं जिनकी एक से चार गुच्छक तक की आवृत्तियाँ रहती हैं। गुच्छक के अंत में स्वतंत्र वर्ण जुड़ सकते हैं। द्विगुच्छकी छंदाओं के मध्य में भी स्वतंत्र वर्ण संयोजित हो सकते हैं। इस पाठ में आगे लघु वृद्धि की छंदाएँ नहीं दी जा रही हैं जो सभी में बन सकती हैं। अब आगे केवल वाचिक और मात्रिक छंदाएँ ही दी जायेंगी। इन्हें बनाने के लिये आधार गुच्छक के रूप में इस पाठ के प्रारंभ में बताये गये 8 गुच्छक में से कोई भी लिया जा सकता है।

"ज = (121 आधार गुच्छक)":-

121*2 = जादा, जादण, जादव (शुभमाल छंद)
121*4 = जाचा, जाचण, जाचव (मौक्तिकदाम छंद)
121*2 2 = जादग, जदगण
121*3 2 = जाबग, जबगण
121*4 2 = जाचग, जचगण
(इन छंदाओं में अंत में ग के स्थान पर ली या गी भी संयोजित हो सकता है। जैसे - जदली, जबगी आदि।)
121*2 22, 121*2 22 = जदगिध, जदगीधण

121 1212 22 = जजिगी, जजिगिण
121 12121 2 = जाजींगा, जाजींगण
121 12121 12 = जाजींली, जाजींलिण
121 12121 22 = जाजींगी, जाजींगिण
121 12112 2 = जाजुग, जजुगण, जजुगव (महर्षि छंद)
121 12112 22 = जजुगी, जजुगिण
121 12122 22 = जाजेगी, जाजेगिण
121 121221 2 = जाजैंगा, जाजैंगण
121 121221 12 = जाजैंली, जाजैंलिण
121 121221 22 = जाजैंगी, जाजैंगिण
(इन्हें त्रिगुच्छकी छंदा का रूप देने के लिये आधार जगण को आवृत्त किया जायेगा। इससे जदजींगा, जदजैंली आदि छंदाएँ बनेंगी।)

121*2 +2 (जदगज, जाजिद, जादगजू, जादगजे)
121*2 +21 (जदगुज, जदगूजी, जदगूजू, जदगूजे)
121*2 +12 (जदलिज, जदलीजी, जाजुद, जदलीजे)
121*2 +22 (जदगिज, जदगीजी, जदगीजू, जाजेद)
(वर्ण संयोजन के पश्चात क्रमशः 121, 1212, 12112, 12122 गुच्छक की वाचिक छंदाएँ दी गयी हैं।)
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"जी = (1212 आधार गुच्छक)":-

1212 22 = जीगी, जीगिण
(यह छंदा 12122 2 से अलग है। इसमें रचनाकार चाहे तो 22 को 112 में भी ले सकता है।)

1212*2 2 = जीदग, जिदगण
1212*3 2 = जीबग, जिबगण
1212*4 2 = जीचग, जिचगण
(इन छंदाओं में अंत में ग के स्थान पर ली या गी भी संयोजित हो सकता है। जैसे - जिदली, जिबगी आदि।)
1212*3 12 = जिबली, जिबलिण, जिबलिव (आनन्द छंद)
1212*2 2, 1212*2 2 = जिदगध, जीदगधण

1212 121 = जीजा, जीजण
1212*2 121 = जीदज, जिदजण
1212*3 121 = जीबज, जिबजण
1212 12112 = जीजू, जीजुण
1212*2 12112 = जिदजू, जिदजुण

1212 12121 12 = जीजींली, जीजींलिण
1212 12121 22 = जीजींगी, जीजींगिण
1212 12122 22 = जीजेगी, जीजेगिण
1212 121221 2 = जीजैंगा, जीजैंगण
1212 121221 12 = जीजैंली, जीजैंलिण
1212 121221 22 = जीजैंगी, जीजैंगिण
(आधार गुच्छक की आवृत्ति से जिदजींगी, जिदजैंगा आदि त्रिगुच्छकी छंदाएँ बनेंगी)

1212 121*2 +2 = जिजदग, जीजदगण
(ग के स्थान पर ली या गी भी संयोजित हो सकता है।)
1212 12112*2 = जीजुद, जीजूदण

1212*2 +1 1212 = जीदलजी, जीदलजिण
1212*2 +2 1212 = जीदगजी, जीदगजिण
(इन छंदाओं में अंत में जी के स्थान पर जू, जे गणक भी आ सकते हैं।)
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"जीं = (12121 आधार गुच्छक)":-

12121 2 = जींगा, जींगण
12121 12 = जींली, जींलिण
12121 22 = जींगी, जींगिण
12121 22, 12121 22 = जींगिध, जींगीधण

12121*2 2 = जींदग, जींदागण
12121*2 12 = जींदाली, जींदालिण
12121*2 22 = जींदागी, जींदागिण
(ये छंदाएँ तीन की आवृत्ति में भी बनेंगी।)

12121 1212 = जींजी, जींजिण
12121 1212, 12121 1212 = जींजिध, जींजीधण
12121*2 1212 = जींदाजी, जींदाजिण
12121 22 1212 = जींगीजी, जींगीजिण
12121 221 1212 = जिलगींजी, जिलगींजिण
(इनके अंत में जी के स्थान पर जू, जे गणक भी आ सकते हैं।)

12121 121*2 +2 = जींजादग, जींजदगण
(ग के स्थान पर ली या गी भी संयोजित हो सकता है।)

12121 1212*2 = जींजिद, जींजीदण
12121 12112*2 = जींजुद, जींजूदण

12121 121, 12121 121 +2 = जींजाधग, जींजधगण
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"जू = (12112 आधार गुच्छक )":-

12112 2 = जूगा, जूगण
12112 22 = जूगी, जूगिण
12112 22, 12112 22 = जूगिध, जूगीधण

12112*2 2 = जूदग, जुदगण
12112*2 12 = जुदली, जुदलिण
12112*2 22 = जुदगी, जुदगिण
(ये छंदाएँ तीन की आवृत्ति में भी बनेंगी।)

12112 1212 = जूजी, जूजिण
12112 1212, 12112 1212 = जूजिध, जूजीधण
12112*2 1212 = जुदजी, जुदजिण
(अंत में जे गणक भी आ सकता है।)

12112 2 1212 = जुगजी, जुगजिण
12112 21 1212 = जूगूजी, जूगूजिण
12112 22 1212 = जूगीजी, जूगीजिण
12112 221 1212 = जूगींजी, जूगींजिण
(इनके अंत में जी के स्थान पर जू या जे गणक भी आ सकता है।)

12112 121*2 2 = जुजदग, जूजदगण
(ग के स्थान पर ली या गी भी संयोजित हो सकता है।)
12112 1212*2 = जूजिद, जूजीदण

12112 121, 12112 121 +2 = जुजधग, जूजधगण
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"जे = (12122 आधार गुच्छक )":-

12122 2 = जेगा, जेगण
12122 22 = जेगी, जेगिण
12122 22 12122 2 = जेगीजेगा, जेगीजेगण
12122 2, 12122 2 = जेगध, जेगाधण

12122*2 2 = जेदग, जेदागण
12122*2 12 = जेदाली, जेदालिण
12122*2 22 = जेदागी, जेदागिण
(ये छंदाएँ तीन की आवृत्ति में भी बनेंगी।)

12122 1212 = जेजी, जेजिण
12122 1212, 12122 1212 = जेजिध, जेजीधण
12122*2 1212 = जेदाजी, जेदाजिण
(इनके अंत में जी के स्थान पर जू गणक भी आ सकता है।)

12122 2 1212 = जेगाजी, जेगाजिण
12122 21 1212 = जेगूजी, जेगूजिण
12122 22 1212 = जेगीजी, जेगीजिण
12122 221 1212 = जेगींजी, जेगींजिण
(इनके अंत में जी के स्थान पर जू या जे गणक भी आ सकता है।)

12122 121*2 2 = जेजादग, जेजदगण
(ग के स्थान पर ली या गी भी संयोजित हो सकता है।)
12122 1212*2 = जेजिद, जेजीदण

12122 121, 12122 121 +2 = जेजाधग, जेजधगण
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"जैं = (121221 आधार गुच्छक )":-

121221 2 = जैंगा, जैंगण
121221 12 = जैंली, जैंलिण
121221 22 = जैंगी, जैंगिण
121221 2, 121221 2 = जैंगध, जैंगाधण

121221*2 2 = जैंदग, जैंदागण
121221*2 12 = जैंदाली, जैंदालिण
121221*2 22 = जैंदागी, जैंदागिण
(ये छंदाएँ तीन की आवृत्ति में भी बनेंगी।)

121221 1212 = जैंजी, जैंजिण
121221 1212, 121221 1212 = जैंजिध, जैंजीधण
121221*2 1212 = जैंदाजी, जैंदाजिण
121221 2 1212 = जैंगाजी, जैंगाजिण
121221 21 1212 = जैंगूजी, जैंगूजिण
121221 22 1212 = जैंगीजी, जैंगीजिण
121221 221 1212 = जेलगींजी, जेलगींजिण
(इनके अंत में जी के स्थान पर जू या जे गणक भी आ सकता है।)

121221 12122 = जैंजे, जैंजेण, जैंजेव (उपेन्द्रवज्रा छंद)
121221 12121 2 = जेलजींगा, जेलजींगण, जेलजींगव (वंशस्थ छंद)

121221 121*2 2 = जैंजादग, जैंजदगण
(ग के स्थान पर ली या गी भी संयोजित हो सकता है।)
121221 1212*2 = जैंजिद, जैंजीदण

121221 121, 121221 121 +2 = जैंजाधग, जैंजधगण
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जगणाश्रित बहुगणी छंदाएँ:-

जामक छंदाएँ:- इन छंदाओं में जगण और मगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता  है। मगण के किसी भी गव वर्ण को ओलल वर्ण में तोड़ा जा सकता है यदि उसके दोनों तरफ गुरु वर्ण रहे। यहाँ लघु वृद्धि की छंदाएँ नहीं दी जा रही जो सभी में बन सकती हैं।

12121 222 = जींमा, जींमण
12121 222, 12121 222 = जींमध, जींमाधण

(इन छंदाओं में आधार गुच्छक के रूप में जू (12112), जूं (121121), जे (12122) या जैं (121221) आ सकता है। म के स्थान पर भी मी या मू आ सकता है। जैसे- जूंमू)

12121 222 1212 = जींमाजी, जींमाजिण
(इस छंदा में आधार गुच्छक जू, जूं, जे, जैं तथा म के स्थान पर मी आ सकता है। अंतिम गुच्छक जू, जे रख सकते हैं। जैसे- जूमीजे)

12122*2  2222 =  जेदामी, जेदामिण, जेदामिव
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जातक छंदाएँ:- इन छंदाओं में जगण और तगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता है।

12121 2212 = जींती, जींतिण
12121 2212, 12121 2212 = जींतिध, जींतीधण

(इन में आधार गुच्छक के रूप में जू (12112), जूं (121121), जे (12122) या जैं (121221) आ सकता है। अंत में भी ती के स्थान पर तू या ते आ सकता है। जैसे- जूतुध)

12121 22122 1212 = जींतेजी, जींतेजिण
(इस छंदा में आधार गुच्छक जू, जूं, जे, जैं तथा अंतिम गुच्छक जू, जे रख सकते हैं। जैसे- जैंतेजी)

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जारक छंदाएँ:- इन छंदाओं में जगण और रगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता  है।

12112 212 = जूरा, जूरण
12112 212, 12112 212 = जूरध, जुरधण
(इस छंदा में आधार गुच्छक जे तथा अंतिम गुच्छक री या रागी रख सकते हैं। जैसे- जेरागी)

12112 2122 1212 = जूरीजी, जूरीजिण
12122 2122 12122 = जेरीजे, जेरीजेण

12112 2122 = जूरी, जूरिण, जूरिव (भुआल छंद)
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जायक छंदाएँ:- इन छंदाओं में जगण और यगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता  है।

12121 122 = जींया, जींयण
12121 122, 12121 122 = जींयध, जींयाधण
12121 122 1212 = जींयाजी, जींयाजिण

(इन में आधार गुच्छक के रूप में जूं (121121) या जैं (121221) आ सकता है। य के स्थान पर यी तथा अंत में जी के स्थान पर जू या जे आ सकता है। जैसे- जूंयी, जैंयाजे।)

12121 122 1212 22 = जींयाजीगी, जींयाजीगिण
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जाभक छंदाएँ:- इन छंदाओं में जगण और भगण आधारित गुच्छक का प्रयोग रहता  है।

12112 2112 = जूभी, जूभिण
12112 2112, 12112 2112 = जूभिध, जूभीधण
(इस छंदा में आधार गुच्छक जे तथा अंतिम गुच्छक भे रख सकते हैं। जैसे- जेभे)

12112 2112 1212 = जूभीजी, जूभीजिण
12122 2112 1212 = जेभीजी, जेभीजिण
(इनमें अंत में जू या जे गणक भी रख सकते हैं।)

12122*2 2112 = जेदाभी, जेदाभिण
12122*2 21122 = जेदाभे, जेदाभेण
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया