Wednesday, April 26, 2023

ग़ज़ल (मानवी जीवन महासंग्राम है)

बह्र:- 2122  2122  212

मानवी जीवन महासंग्राम है,
प्रेम से रहना यहाँ विश्राम है।

पेट की ख़ातिर है इतनी भागदौड़,
ज़िंदगी में अब कहाँ आराम है।

जोर मँहगाई का ही चारों तरफ,
हर जगह नव छू रही आयाम है।

स्वार्थ नेताओं में बढ़ता जा रहा,
देश जिसका भोगता परिणाम है।

हाल क्या बदइंतजामी का कहें,
रोज हड़तालें औ' चक्का जाम है।

क़त्ल, हिंसा और लुटती अस्मिता,
हर कहीं अब तो मचा कुहराम है।

मन की दो बातें 'नमन' किससे करें,
पूछिये जिससे भी उस को काम है।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
15-12-17

Wednesday, April 19, 2023

छंदा सागर (मगणादि छंदाएँ)

                    पाठ - 10


छंदा सागर ग्रन्थ

"मगणादि छंदाएँ"


मगणादि छंदाएँ:- पिछले नवम पाठ में हमें मिश्र छंदाओं के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी मिली। मिश्र छंदाओं की इस कड़ी का प्रथम पाठ मगणादि छंदाओं पर है। कोई भी गुच्छक किसी न किसी गण पर तो आधारित रहेगा ही और मगणादि छंदाओं का प्रथम गुच्छक मगण पर आधारित होता है, इसीलिए इनका नाम मगणादि छंदाएँ दिया गया है। कुल गुच्छक 72 हैं और 8 गणों में प्रत्येक गण के 9 गुच्छक होते हैं। मगणादि छंदाओं का प्रथम गुच्छक इन 9 गुच्छक में से कोई भी एक हो सकता है। मगण गुच्छक निम्न हैं।
222 = मगण
2221 = अंमल
2222 = ईमग
22221 = ईंमागल
22212 = ऊमालग
222121 = ऊंमालिल
22222 = एमागग
222221 = ऐंमागिल
22211 = ओमालल

(छंदाओं के वाचिक स्वरूप में इन सभी गुच्छक के ऐसे गुरु वर्ण को ऊलल वर्ण (11) में तोड़ने की छूट रहती है जिसके दोनों तरफ गुरु वर्ण हों।)

मगणादि गुरु-लूकी छंदाएँ:- गुरु लूकी छंदाओं में केवल गुरु वर्ण और ऊलल (11) वर्ण रहते हैं। मगणादि छंदाओं के संसार में हम इन्ही गुरु लूकी छंदाओं से प्रविष्ट होने जा रहे हैं। मिश्र छंदाओं में भी क्रमशः वाचिक, मात्रिक और वर्णिक स्वरूप की छंदाएँ दी जायेंगी। छंदाओं की लघु वृद्धि की छंदाएँ भी दी जायेंगी। गुरु लूकी छंदाओं में 11 को 2 का ही एक रूप माना जाता है। इसलिए इन गुरुलूकी छंदाओं में ऊलल वर्ण को कहीं भी तोड़ा नहीं गया है। जैसे 22221 12 से 2222 112 को प्राथमिकता दी गयी है। साथ ही गुरु छंदाओं की तरह गणक अठकल आधारित रखे गये हैं।)
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22211 2 = मोगा, मोगण, मोगव
22211 21 = मोगू, मोगुण, मोगुव
22211 22 = मोगी, मोगिण, मोगिव (मदलेखा छंद)
22211 22 +1 = मोगिल, मोगीलण, मोगीलव
22211 22,  22211 22 = मोगिध, मोगीधण, मोगीधव (अलोला छंद)
22211 22 22211 2 = मोगीमोगा, मोगीमोगण, मोगीमोगव
22211 222 = मोमा, मोमण, मोमव
22211 2221 = मोमल, मोमालण, मोमालव
22211 222,  22211 222 = मोमध, मोमाधण, मोमाधव
22211 222, 22211 2221 = मोमाधल, मोमधलण, मोमधलव
22211 2222 = मोमी, मोमिण, मोमिव
22211 22221 = मोमिल, मोमीलण, मोमीलव
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2222 112 = मीसा, मीसण, मीसव
2222 1121 = मीसल, मीसालण, मीसालव
2222 1122 = मीसी, मीसिण, मीसिव
2222 11221 = मीसिल, मीसीलण, मीसीलव
2222 1122, 2222 1122  = मीसिध, मीसीधण, मीसीधव
2222 11221, 2222 11221  = मीसींधा, मीसींधण, मीसींधव
2222 11 222 = मीलुम, मीलूमण, मीलूमव
2222 11 2221 = मीलूमल, मीलुमलण, मीलुमलव
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2222 2112 = मीभी, मीभिण, मीभिव
2222 21121 = मीभिल, मीभीलण, मीभीलव (वर्ष छंद)
2222 21122 = मीभे, मीभेण, मीभेव
2222 211221 = मीभेल, मीभेलण, मीभेलव
2222 21122, 2222 21122 = मीभेधा, मीभेधण, मीभेधव
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222 112*2 = मासद, मसदण, मसदव (रत्नकरा/ रलका छंद)
222 112*2 +1 = मसदल, मासदलण, मासदलव
222 112*2 2 = मसदग, मासदगण, मासदगव
222 112*2 21 = मासदगू, मासदगुण, मासदगुव
222 112*2 2, 222 112*2 2 = मासदगध, मसदगधण, मसदगधव
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2222 112*2 = मीसद, मीसादण, मीसादव
2222 112*2 +1 = मीसादल, मीसदलण, मीसदलव
2222 112*2 2 = मीसादग, मीसदगण, मीसदगव
2222 112*2 21 = मीसदगू, मीसदगुण, मीसदगुव
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2222 211*2 2 = मीभादग, मीभदगण, मीभदगव
2222 211*2 22 = मीभदगी, मीभदगिण, मीभदगिव
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222 1122 112 = मासिस, मासीसण, मासीसव
222 1122 1121 = मासीसल, मासिसलण, मासिसलव
222 1122*2 = मासिद, मासीदण, मासीदव
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2222 1122 112 = मीसिस, मीसीसण, मीसीसव
2222 1122*2 = मीसिद, मीसीदण, मीसीदव
2222 1122*2 +1 = मीसीदल, मीसिदलण, मीसिदलव

2222 2112*2 2 = मीभीदग, मीभिदगण, मीभिदगव (मत्तमयूर छंद)
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22211*2 2 = मोदग, मोदागण, मोदागव
22211*2 21 = मोदागू, मोदागुण, मोदागुव
22211*2 22 = मोदागी, मोदागिण, मोदागिव
22211*2 22 +1 = मोदागिल, मोदागीलण, मोदागीलव
22211*2 222 = मोदम, मोदामण, मोदामव
22211*2 2221 = मोदामल, मोदमलण, मोदमलव
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222 112*3 = मासब, मसबण, मसबव
222 112*3 +1 = मसबल, मासबलण, मासबलव
222 112*3 2 = मसबग, मासबगण, मासबगव
222 1122*3 = मासिब, मासीबण, मासीबव
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2222 1122*2 112 = मीसीदस, मीसिदसण, मीसिदसव
2222 1122*3 = मीसिब, मीसीबण, मीसीबव
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22211*3 2 = मोबग, मोबागण, मोबागव
22211*3 21 = मोबागू, मोबागुण, मोबागुव
22211*3 22 = मोबागी, मोबागिण, मोबागिव
22211*3 22 +1 = मोबागिल, मोबागीलण, मोबागीलव
22211*3 222 = मोबम, मोबामण, मोबामव
22211*3 2221 = मोबामल, मोबमलण, मोबमलव
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मगणावृत्त छंदाएँ :- इन छंदाओं में केवल मगणाश्रित गुच्छक ही रहते हैं जिनकी एक से चार गुच्छक तक की आवृत्तियाँ रहती हैं। गुच्छक के अंत में स्वतंत्र वर्ण जुड़ सकते हैं। द्विगुच्छकी छंदाओं के मध्य में भी स्वतंत्र वर्ण संयोजित हो सकते हैं। जिन छंदाओं में केवल गुरु वर्ण युक्त मगण गुच्छक का प्रयोग है वे गुरु छंदाओं तथा गुरु लूकी छंदाओं में आ चुकी हैं। अतः यहाँ मगणावृत्त छंदाएँ बनाने के लिये हम आधार गुच्छक के रूप में मगणाश्रित ऐसे गुच्छक लेंगे जिनमें लघु वर्ण जुड़ा हुआ हो। ऐसे गुच्छक निम्न 5 गुच्छक हैं जिनका इन छंदाओं में प्रयोग है। इस पाठ में आगे लघु वृद्धि की छंदाएँ नहीं दी जा रही हैं जो सभी में बन सकती हैं।

2221 - मं
22221 - मीं
22212 - मू
222121 - मूं
222221 - मैं
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"मं = (2221 आधार गुच्छक)":-

2221 222 = मंमा, मंमण, मंमव
2221*2 = मंदा, मंदण, मंदव
2221 222, 2221 222 = मंमध, मंमाधण, मंमाधव

2221*2 2 = मंदग, मंदागण, मंदागव
2221*3 2 = मंबग, मंबागण, मंबागव
2221*4 2 = मंचग, मंचागण, मंचागव
2221*2 2, 2221*2 2 = मंदागध, मंदगधण, मंदगधव
(इन छंदाओं में अंत में ग के स्थान पर ली या गी भी संयोजित हो सकता है। जैसे - मंदाली, मंबागी, मंदागिध आदि।)

2221*2 222 = मंदम, मंदामण, मंदामव
2221*3 222 = मंबम, मंबामण, मंबामव
(इन छंदाओं के अंत में म के स्थान पर मी या मे का प्रयोग भी किया जा सकता है।)

2221*2 +1 (मंदालम, मंदलमी, मंदलमू, मंदलमे)
2221*2 +2 (मंदागम, मंदगमी, मंदगमू, मंदगमे)
2221*2 +12 (मंदालिम, मंदालीमी, मंदालीमू, मंदालीमे)
2221*2 +21 (मंदागुम, मंदागूमी, मंदागूमू, मंदागूमे)
(वर्ण संयोजन के पश्चात क्रमशः 222, 2222, 22212, 22222 गुच्छक की वाचिक छंदाएँ दी गयी हैं।)
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"मीं = (22221 आधार गुच्छक)":-

22221 2 = मींगा, मींगण, मींगव
22221 22 = मींगी, मींगिण, मींगिव
22221 22, 22221 22 = मींगिध, मींगीधण, मींगीधव
22221 21 22221 2 = मींगूमींगा, मींगूमींगण, मींगूमींगव

22221*2 = मींदा, मींदण, मींदव
22221*2 2 = मींदग, मींदागण, मींदागव
22221*2 22 = मींदागी, मींदागिण, मींदागिव

22221 222 = मींमा, मींमण, मींमव
22221 222, 22221 222 = मींमध, मींमाधण, मींमाधव
22221 21 222 = मींगुम, मींगूमण, मींगूमव
22221*2 222 = मींदम, मींदामण, मींदामव
(इनके अंत में म के स्थान पर मी, मू, मे गणक भी आ सकते हैं।)

22221 2221 222 = मिलमंमा, मिलमंमण, मिलमंमव

22221 2221, 22221 2221 +2 = मिलमंधग, मिलमंधागण, मिलमंधागव
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"मू = (22212 आधार गुच्छक)":- (आगे वर्णिक छंदाएँ नहीं दी जा रही हैं जो ण के स्थान पर व के प्रयोग से आसानी से बन सकती हैं।)

22212 2 = मूगा, मूगण
22212 2, 22212 2 = मूगध, मूगाधण
22212 21 22212 12 = मूगूमूली

22212*2 2 = मूदग, मूदागण
22212*2 12 = मुदली, मूदालिण
22212*3 2 = मूबग, मूबागण
22212*3 12 = मुबली, मूबालिण

22212 21 222 = मूगुम, मूगूमण
22212 11 222 = मूलुम, मूलूमण
22212*2 222 = मूदम, मूदामण
(इनके अंत में म के स्थान पर मी, मू, मे गणक भी आ सकते हैं।)

22212 2221, 22212 2221 +2 = मूमंधग, मूमंधागण
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"मूं = (222121 आधार गुच्छक)":-

222121 2 = मूंगा, मूंगण
222121 12 = मूंली, मूंलिण
222121 22 = मूंगी, मूंगिण
222121 12, 222121 12 = मूंलिध, मूंलीधण
222121 2, 222121 2 = मूंगध, मूंगाधण
222121 21 222121 2 = मूंगूमूंगा

222121*2 2 = मूंदग, मूंदागण
222121*2 12 = मूंदाली, मूंदालिण
222121*2 22 = मूंदागी, मूंदागिण

222121 222 = मूंमा, मूंमण
222121 222, 222121 222 = मूंमध, मूंमाधण
222121 21 222 = मूंगुम, मूंगूमण
222121*2 222 = मूंदम, मूंदामण
(इनके अंत में म के स्थान पर मी, मू, मे गणक भी आ सकते हैं।)

222121 2221, 222121 2221 +2 = मुलमंधग, मुलमंधागण
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"मैं = (222221 आधार गुच्छक)":-

222221 2 = मैंगा, मैंगण
222221 22 = मैंगी, मैंगिण
222221 22, 222221 22 = मैंगिध, मैंगीधण, मैंगीधव
222221 22, 222221 2 = मैंगिणमैंगा, मैंगिणमैंगण
222221 21 222221 2 = मैंगूमैंगा, मैंगूमैंगण

222221*2 2 = मैंदग, मैंदागण
222221*2 22 = मैंदागी, मैंदागिण

222221 222 = मैंमा, मैंमण
222221 222, 222221 222 = मैंमध, मैंमाधण
222221 21 222 = मैंगुम, मैंगूमण
222221*2 222 = मैंदम, मैंदामण
(इनके अंत में म के स्थान पर मी, मू, मे गणक भी आ सकते हैं।)

222221 2221, 222221 2221 +2 = मेलमंधग, मेलमंधागण
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मगणाश्रित बहुगणी छंदाएँ:- मगणक छंदाओं में केवल मगण गुच्छक का प्रयोग होता है जबकि इन छंदाओं में मगण के अतिरिक्त अन्य गण के गुच्छक का समावेश रहेगा। इन छंदाओं की मगणक छंदाओं जितनी व्यापक संभावना नहीं है।

मातक छंदाएँ:- इन छंदाओं में मगण के साथ तगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता है।

2221*2 221 = मंदत, मंदातण, मंदातव
2221*3 221 = मंबत, मंबातण, मंबातव
22211 221 = मोता, मोतण, मोतव
(इन तीन छंदाओं के अंत में त के स्थान पर ती (2212) या ते (22122) जोड़ सकते हैं।)

22221 221 222 = मींतम, मींतामण, मींतामव
(इस में आधार मूं, मैं या मो रखा जा सकता है। अंत में भी मी या मू रख सकते हैं।)
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मारक छंदाएँ:- इन छंदाओं में मगण के साथ रगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता है।

2221*2 212 = मंदर, मंदारण, मंदारव
2221*3 212 = मंबर, मंबारण, मंबारव
22221 212 = मींरा, मींरण, मींरव
22212 212 = मूरा, मूरण, मूरव
222121 212 = मूंरा, मूंरण, मूंरव
222221 212 = मैंरा, मैंरण, मैंरव
22211 212 = मोरा, मोरण, मोरव

(इन सब में अंत के र के स्थान पर री या रू आ सकता है। इन्हें द्वि गुणित रूप दे कर भी कई छंदाएँ बन सकती हैं जैसे- मींरध, मुरधू, मोरिध आदि। )

22221 2121 222 = मिलरंमा, मिलरंमण

(इस में आधार मू, मूं, मैं या मो रखा जा सकता है। अंत में भी मी या मू रख सकते हैं। )

22211 21212 = मोरू, मोरुण, मोरुव (शुद्ध विराट छंद)
2222 212*2 2 = मीरादग, मीरदगण, मीरदगव (शालिनी छंद)

2221 212*2 = मंरद, मंरादण
(आधार गणक मीं, मूं, मैं या मो भी रख सकते हैं। अंत में ग, गू, ली भी जोड़ सकते हैं। जैसे मंरादग, मंरदली)
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मायक छंदाएँ:- इन छंदाओं में मगण के साथ यगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता है।

2221*2 122 = मंदय, मंदायण, मंदायव
2221*3 122 = मंबय, मंबायण, मंबायव
(अंत में  यू भी रखा जा सकता है।)

22221 12212 = मींयू, मींयुण
22221 12212, 22221 12212 = मींयुध, मींयूधण
(इन में आधार गुच्छक के रूप में मूं (222121) या मैं (222221) आ सकता है।)

22221 1221 222 = मिलयंमा, मिलयंमण
(इस में आधार मूं या मैं रख सकते हैं। अंत में भी मी या मू रख सकते हैं। जैसे- मेलयंमू)

2221 122*2 = मंयद, मंयादण
(आधार गणक मीं, मूं, मैं भी रख सकते हैं।)
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माभक छंदाएँ:- इन छंदाओं में मगण के साथ भगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता है।

2221*2 2112 = मंदाभी, मंदाभिण
2221*3 2112 = मंबाभी, मंबाभिण
(अंत में  भे भी रखा जा सकता है।)

22221 2112 = मींभी, मींभिण
(इन में आधार गुच्छक के रूप में मूं (222121) या मैं (222221) आ सकता है।)

22221 211 222 = मींभम, मींभामण
(इस में आधार मूं या मैं रख सकते हैं। अंत में भी मी या मू रख सकते हैं। जैसे- मैंभामू)

2221 211*2 2 = मंभादग, मंभदगण
(आधार गणक मीं, मूं, मैं भी रख सकते हैं। अंत में गी भी जोड़ सकते हैं।)
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माजक छंदाएँ:- इन छंदाओं में मगण के साथ जगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता है।

2221*2 1212 = मंदाजी, मंदाजिण
2221*3 1212 = मंबाजी, मंबाजिण
(अंत में  जू, जे भी रखा जा सकता है।)

22221 1212 = मींजी, मींजिण
22221 12121 22 = मिलजींगी, मिलजींगिण, मिलजींगिव (पुंडरीक छंद)

(इसी प्रकार मूं और मैं आधार लेकर भी ये छंदाएँ बनायी जा सकती हैं)

2221 121*2 2 = मंजादग, मंजदगण
(आधार गणक मीं, मूं, मैं भी रख सकते हैं। अंत में गी भी जोड़ सकते हैं।)
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया

Thursday, April 13, 2023

मनहरण घनाक्षरी "शादी के लड्डू"

काम सा अनंग हो या, शिव सा मलंग बाबा,
व्याह के तो लडूवन, सब को ही भात है।

जैसे बड़ा पूत होवे, मात कल्पना में खोवे,
सोच उसके व्याह की, मन पुलकात है।

घोड़ी चढ़ने का चाव, दूल्हा बनने का भाव,
किसका हृदय भला, नहीं तरसात है।

शादी के जो लड्डू खाये, फिर पाछे पछताये,
नहीं जो अभागा खाये, वो भी पछतात है।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया
16-09-17

Friday, April 7, 2023

छवि छंद "बिछोह व मिलन"

छवि छंद / मधुभार छंद

प्रिय का न संग।
बेढंग अंग।।
शशि युक्त रात।
जले पर गात।।

रहता उदास।
मिटी सब आस।।
हूँ अति अधीर।
लिये दृग नीर।।

है व्यथित देह।
दे डंक गेह।।
झेल अलगाव।
लगे भव दाव।।

मिला मनमीत।
बजे मधु गीत।।
उद्दीप्त भाव।
हृदय अति चाव।।

है मिलन चाह।
गयी मिट आह।।
प्राप्त नव राह।
शांत सब दाह।।

छायी उमंग।
मन में तरंग।।
फैला उजास।
है मीत पास।।
***********

छवि छंद / मधुभार छंद विधान -

छवि छंद जो कि मधुभार छंद के नाम से भी जाना जाता है, 8 मात्रा प्रति चरण का सम मात्रिक छंद है जिसका अंत जगण (121) से होना आवश्यक है। यह वासव जाति का छंद है। एक छंद में कुल 4 चरण होते हैं और छंद के दो दो या चारों चरण सम तुकांत होने चाहिए। इन 8 मात्राओं का विन्यास चौकल + जगण (121) है। इसे त्रिकल + 1121 या पंचकल + ताल (21) के रूप में भी रच सकते हैं।

इकी निम्न संभावनाएँ हो सकती हैं।
22 121
21 या 12 + 1121
1211 21
2111 21
221 21
(2 को 11 में तोड़ सकते हैं, पर अंत सदैव जगण (1S1) से होना चाहिए।)
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया
23-05-22

Monday, April 3, 2023

छंदा सागर (मिश्र छंदाऐँ)


                        पाठ - 09

छंदा सागर ग्रन्थ

"मिश्र छंदाऐँ"


सप्तम पाठ में हमने एक ही गुच्छक की विभिन्न आवृत्तियों पर आधारित वृत्त छंदाओं का विस्तृत अध्ययन किया। अष्टम पाठ में हमारा परिचय गुरु छंदाओं से हुआ जिनमें केवल गुरु वर्ण रहते हैं। अब इस नवम पाठ से हम मिश्र छंदाओं के विस्तृत संसार में प्रविष्ट हो रहे हैं। मिश्र छंदाओं की संरचना विभिन्न प्रकार से होती है। छंदा में एक ही गण पर आधारित विभिन्न गुच्छक रह सकते हैं, उन गुच्छकों में वर्णों का स्वतंत्र संयोजन हो सकता है या छंदा में एक से अधिक गण का प्रयोग हो सकता है। 

ये मिश्र छंदाएँ उसमें प्रयुक्त प्रथम गण के आधार पर वर्गीकृत की गयी हैं। कुल आठ गण हैं। इनमें नगण (111) आधारित गुच्छक का प्रयोग केवल वर्णिक स्वरूप की छंदाओं में ही होता है जिनका अवलोकन हम वर्णिक छंदाओं के पाठ में करेंगे। मिश्र छंदाओं की श्रंखला में हम बाकी बचे सात गण के आधार पर बनी छंदाओं का अध्ययन करेंगे। प्रत्येक पाठ में छंदाओं का वर्गीकरण छंदा के स्वरूप के आधार पर किया गया है।

छंदा की मापनी में जहाँ भी 11 लिखा जाता है या छंदा के नाम में 'लु' संकेतक का प्रयोग होता है तो वह सदैव ऊलल वर्ण ही होता है। वाचिक स्वरूप में इसे शास्वत दीर्घ के रूप में नहीं ले सकते क्योंकि शास्वत दीर्घ गुरु वर्ण का ही दूसरा रूप है। जबकि मात्रिक और वर्णिक स्वरूप में इन्हें शास्वत दीर्घ के रूप में एक शब्द में भी रखा जा सकता है। केवल गुरु वर्ण पर आधरित गुरु छंदाओं का काव्य में अलग ही महत्व है। इन छंदाओं में म और ग इन दो ही वर्ण के संकेतक का प्रयोग होता है। (केवल लघु वृद्धि छंदाओं के अंत में ल वर्ण का प्रयोग मान्य है।) गुरु छंदाओं के वाचिक स्वरूप में गुरु वर्ण को ऊलल वर्ण में तोड़ा जा सकता है। 

मिश्र छंदाओं के वाचिक और मात्रिक स्वरूप में भी जहाँ केवल गुरु वर्ण युक्त वर्ण या गुच्छक हों तो वाचिक स्वरूप में उसके ऐसे किसी भी गुरु को ऊलल (11) के रूप में लिया जा सकता है जिसके दोनों तरफ गुरु वर्ण रहे। ऐसे वर्ण गुरु (2) और ईगागा (22) हैं। गुच्छक में मगण आधारित 9 के 9 गुच्छक में यह छूट है। जैसे तींमा छंदा में मकार युक्त गुच्छक है। छंदा का स्वरूप देखने से यह पता चलता है कि केवल मगण का मध्य गुरु ऐसा है जिसके दोनों तरफ गुरु वर्ण हैं। रचना कार यदि चाहे तो उसे ऊलल के रूप में तोड़ सकता है। इसी प्रकार तूमा छंदा के मगण के आदि या मध्य के किसी भी गुरु को ऊलल में तोड़ सकते हैं। 

गुरु छंदाओं में तो गुरु वर्ण को ऊलल वर्ण में तोड़ने की छूट रहती है परंतु ऐसे अनेक बहुप्रचलित छंद हैं जिन में केवल गुरु वर्ण (2) और उनके मध्य में ऊलल (11) वर्ण का समावेश विधान के अंतर्गत आता है।  हम इन मिश्र छंदाओं के पाठों में ऐसी छंदाओं को अलग से वर्गीकृत करेंगे। इन्हें हम गुरु-लूकी छंदाएँ कहेंगे। गुरु लूकी छंदाएँ आधार गण मगण, तगण, भगण और सगण रहने से ही बन सकती हैं। इन चारों गणों की छंदाओं में सर्वप्रथम गुरु लूकी छंदाएँ ही दी गयी हैं।

इसके पश्चात गणावृत्त छंदाएँ दी गयी हैं। इन छंदाओं में केवल आधार गण पर आधारित गुच्छक ही रहते हैं। किसी भी गण के 9 गुच्छक होते हैं। इन गणावृत्त छंदाओं में एक से चार तक गुच्छक रहते हैं। केवल एक गुच्छक की छंदाओं में एक गुच्छक और अंत में स्वतंत्र वर्ण संयोजन रहता है। द्विगुच्छकी छंदाओं में एक ही गुच्छक की दो आवृत्ति हो सकती है या दो विभिन्न गुच्छक हो सकते हैं। इनमें अंत में, मध्य में या अंत और मध्य दोनों स्थान पर वर्ण संयोजन हो सकता है। त्रिगुच्छकी छंदाओं में एक ही गुच्छक की तीन आवृत्ति हो सकती है। एक गुच्छक की दो आवृत्ति और अन्य गुच्छक रह सकता है या तीनों अलग गुच्छक हो सकते हैं। चतुष गुच्छकी छंदाओं में आवृत्तियों की प्रमुखता रहती है।

वर्ण संयोजन:- मिश्र छंदाओं में वर्ण संयोजन का अत्यंत महत्व है। कुल वर्ण 6 हैं। गण में इन वर्णों के संयोजन से गणक बनते हैं। वृत्त छंदाओं में हम गण और विविध गणक की आवृत्ति की छंदाओं का अध्ययन कर चुके हैं। एक ही गण आधारित गुच्छक की आवृत्ति से भी छंदाओं में विशेष लय बनती है क्योंकि आधार गण की समानता रहती है। 6 वर्ण तथा जगण और तगण को युज्य के रूप में जोड़ने से हमें प्रत्येक गण से 8 गणक प्राप्त होते हैं। यहाँ मिश्र छंदाओं में हम ऐसी छंदाएँ सम्मिलित नहीं करेंगे जिनमें दो से अधिक लघु एक साथ हो या अंत में ऊलल वर्ण (11) पड़े।

अंत में बहुगणी छंदाएँ दी गयी हैं। जिन छंदाओं में एक से अधिक गणों के गुच्छकों का समावेश है, वे बहुगणी छंदाओं की श्रेणी में आती है।

छंदाओं का नामकरण:- छंदा में वर्ण की संख्या के अनुसार नामकरण की निम्न प्रकार से परंपराएँ निभाई जाती है -
4 वर्ण - गणक संकेत और 'क', जैसे यीका, रीकण।
5 वर्ण - गणक संकेत और 'क', जैसे तैका, सूकव। 
6 वर्ण - 5+1 गणक और वर्ण। जैसे 22121 2 = तींगा, तींगण। यदि संभव हो तो गणक संकेत और 'क', जैसे सूंका, रैंका।
7 वर्ण - 5+2 गणक और वर्ण। जैसे 22121 22 = तींगी, तींगिव
8 वर्ण - 6+2 गणक और वर्ण यदि संभव हो जैसे 221121 22 = तूंगी। अन्यथा 5+3 गणक और गण जैसे 22121 212 = तींरा
9 वर्ण - 6+3 गणक और गण यदि संभव हो जैसे 122221 212 = यैंरा, यैंरण, यैंरव। अन्यथा 5+4 दो गणक जैसे 22121 2122 = तींरी
10 वर्ण - 6+4 या 5+5 दो गणक। जैसे 122121 2112 = यूंभी या 22121 12222 = तींये।

उपरोक्त परंपराएँ वर्ण संख्या के आधार पर निभाई जाने वाली सामान्य परंपराएँ हैं। परंतु छंदों में गणों की आवृत्ति का बहुत महत्व है। छंदाओं के नामकरण में किसी भी प्रकार की आवृत्ति को सदैव प्राथमिकता दी जाती है। इन प्राथमिकताओं का क्रम निम्नानुसार है।
(1) सर्व प्रथम आधार गुच्छक की आवृत्ति की प्राथमिकता रहती है। जैसे 212*2 2 = रादग का नाम 21221 22 = रींगी नहीं रखा जा सकता। 2122 21211 2 = रीरोगा का 212221 2112 = रैंभी नाम नहीं होगा। इस छंदा में दो रगणाश्रित गुच्छक आवृत्त हो रहे हैं जिनकी छंदा के नामकरण में प्राथमिकता है।
(2) आधार गण यदि छंदा के अंत के गुच्छक में पुनरावृत्त हो रहा है तो उसकी प्राथमिकता है। जैसे 12221 212 122 = यींरय को 12221 21212 2 = यींरुग नाम देना उचित नहीं।
(3) आधार गण के पश्चात यदि अन्य गण की किसी भी प्रकार की आवृत्ति बन रही है तो ऐसी आवृत्ति की प्राथमिकता रहती है।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया