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Friday, May 28, 2021

चोका "पूर्वाग्रह"

(चोका कविता)

जापानी विधा
5-7, 5-7, 5-7 -------- +7 वर्ण प्रति पंक्ति

पूर्वाग्रह क्या?
अधकचरी सोच
तर्क-विहीन
कुंठाओं का आगार।
जो मन में है
वही शाश्वत सत्य
अन्य सकल
केवल निराधार।
नवीन सोच?
वैचारिक क्षुद्रता
परिवर्तन?
पथभ्रष्ट विचार।
पूर्वाग्रही है...
स्वयंभू न्यायाधीश
थोपे जो न्याय
विरोध न स्वीकार।
पूर्वाग्रह दे
तानाशाही प्रवृत्ति,
दम्भ, पाखण्ड,
निर्लज्ज व्यवहार।
मानव-मन
पूर्वाग्रह ग्रसित
सदैव करे
स्वार्थ भरा व्यापार।
निर्मम अत्याचार।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
13-04-18

Wednesday, July 22, 2020

चोका (किसान)

(चोका कविता) जापानी विधा:-
5-7, 5-7, 5-7 -------- +7 वर्ण प्रति पंक्ति

अरे किसान
तू कितना महान
क्या क्या गिनाएँ?
तू है गुणों की खान।
तेरी ये खेती
सुख सुविधा देती
भूख मिटाती
जीवन नौका खेती।
हल न रुके
बाधाओं से न झुके
पसीना बहा
सोते हो पर भूखे।
कर्ज में डूबा
तू रहता प्रसन्न
उपजा अन्न
देश करो संपन्न।
तुझे क्या मिला?
मेहनत का सिला
मौसम बैरी
पर न कोई गिला।
आह तू भरे
आत्महत्या भी करे
पर सब की
भूख भी तू ही हरे।
सत्ता लाचार
निर्मोही सरकार
पर तू निर्विकार।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
20-06-19


Saturday, December 28, 2019

चोका (गुलाब बनो)

(चोका कविता)

जापानी विधा चोका
5-7, 5-7, 5-7 -------- +7 वर्ण प्रति पंक्ति

गुलाब बनो
सौरभ बिखराओ,
राहगीर को
काँटे मत चुभाओ,
चिराग बनो
आलोक छिटकाओ,
आग को लगा
घर मत जलाओ,
बिजली बनो
जग जगमगाओ,
किसी पे गिर
उसे मत उजाड़ो,
अस्तित्व न मिटाओ।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
30-06-19

Friday, August 9, 2019

चोका (उन्माद)

(चोका कविता)

जापानी विधा
5-7, 5-7, 5-7 -------- +7 वर्ण प्रति पंक्ति

अंधा विश्वास,
अंधी आस्था करती...
विवेक शून्य,
क्षणिक आवेश में
मानव भूले
क्या सही क्या गलत?
होकर पस्त,,,
यही तो है उन्माद।
मनुष्य नाचे
कठपुतली बन,
थमी है डोर 
बाज़ीगर के हाथ,
जैसे वो चाहे
नचाए पुतलों को
ये खिलौनों से
मस्तिष्क से रहित
मचा तांडव
करें नग्न नर्तन
लूट हिंसा का
बन आतंकवादी
यही तो है उन्माद।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
08-09-17

Saturday, June 22, 2019

चोका विधान

(चोका कविता)

चोका उच्च स्वर से गायी जाने वाली मूलतः जापानी विधा की लंबी कविता है। हाइकु, ताँका, सेदोका की तरह इस विधा का भी हिन्दी में प्रचलन बढ़ा है। हिन्दी में प्रचलित अन्य जापानी विधा की कविताओं की तरह चोका भी प्रति पंक्ति निश्चित वर्ण संख्या पर आधारित कविता है।

चोका में पहली पंक्ति में पाँच वर्ण रहते हैं। वर्ण में लघु या दीर्घ कोई भी मात्रा हो सकती है। संयुक्त अक्षर युक्त वर्ण एक ही वर्ण में गिना जाता है। जैसे - 'स्वास्थ्य' में वर्ण की संख्या दो है। दूसरी पंक्ति में सात वर्ण होते हैं। इसके बाद 5-7 वर्ण प्रति पंक्ति का यही क्रम आगे बढता जाता है। विषम संख्या की पंक्ति जैसे 1,3,5,7 में पाँच वर्ण रहते हैं और सम संख्या की पंक्ति जैसे 2,4,6,8 में सात वर्ण रहते हैं। एक पूर्ण चोका में सदैव विषम संख्या की पंक्तियां ही होती हैं जो 9,11,13, 21,37 कुछ भी हो सकती हैं। यह सदैव ध्यान में रहे कि अंत की पंक्ति में 7 वर्ण रहे। यही चोका की एक मात्र विषम संख्या क्रमांक पंक्ति होती है जिसमें 7 वर्ण रहते हैं, जो चोका कविता की पटाक्षेप पंक्ति होती है। इस प्रकार किसी भी चोका कविता की संरचना 5-7-5-7-5-7......7 वर्ण की ही रहती है।

हाइकु, ताँका, सेदोका की तरह ही चोका में भी पंक्तियों की स्वतंत्रता निभाना अत्यंत आवश्यक है। हर पंक्ति अपने आप में स्वतंत्र हो परंतु कविता को एक ही भाव में समेटे अग्रसर भी करती रहे।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
13-04-18