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Thursday, November 14, 2019

डमरू घनाक्षरी

8 8 8 8  --32 मात्रा (बिना मात्रा के)

मन यह नटखट, छण छण छटपट,
मनहर नटवर, कर रख सर पर।

कल न पड़त पल, तन-मन हलचल,
लगत सकल जग, अब बस जर-जर।

चरणन रस चख, दरश-तड़प रख,
तकत डगर हर, नयनन जल भर।

मन अब तरसत, अवयव मचलत,
नटवर रख पत, जनम सफल कर।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
1-03-18