Showing posts with label रथोद्धता छंद. Show all posts
Showing posts with label रथोद्धता छंद. Show all posts

Monday, January 21, 2019

रथोद्धता छंद ("आह्वाहन")

मात अम्ब सम रूप राख के।
देश-भक्ति रस भंग चाख के।
गर्ज सिंह सम वीर जागिये।
दे दहाड़ अब नींद त्यागिये।।

आज है दुखित मात भारती।
आर्त होय सबको पुकारती।।
वीर जाग अब आप जाइये।
धूम शत्रु-घर में मचाइये।।

देश का हित कभी न शीर्ण हो।
भाव ये हृदय से न जीर्ण हो।।
ये विचार रख के बढ़े चलो।
ही किसी न अवरोध से टलो।।

रौद्र रूप अब वीर धारिये।
मातृ भूमि पर प्राण वारिये।
अस्त्र शस्त्र कर धार लीजिये।
मुंड काट रिपु ध्वस्त कीजिये।।
================
रथोद्धता (लक्षण छंद)

"रानरा लघु गुरौ" 'रथोद्धता'।
तीन वा चतुस तोड़ के सजा।

"रानरा लघु गुरौ"  =  212  111  212  12

रथोद्धता इसके चार चरण होते हैं |
प्रत्येक चरण में ११-११ वर्ण होते हैं |
हर चरण में तीसरे या चौथे वर्ण के बाद यति होती है।
****************
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
21-01-19