Sunday, January 20, 2019

मालिनी छंद ("हनुमत स्तुति")

पवन-तनय प्यारा, अंजनी का दुलारा।
तपन निगल डारा, ठुड्ड टेढ़ा तुम्हारा।।
हनुमत बलवाना, वज्र देही महाना।
सकल गुण निधाना, ज्ञान के हो खजाना।।

जलधि उतर पारा, सीय को खोज डारा।
कनक-नगर जारा, राम का काज सारा।।
अवधपति सहायी, नित्य रामानुयायी।
अतिसय सुखदायी, भक्त को शांतिदायी।।

भुजबल अति भारी, शैल आकार धारी।
दनुज दलन कारी, व्योम के हो विहारी।।
घिर कर जग-माया, घोर संताप पाया।
तव दर प्रभु आया, नाथ दो छत्रछाया।।

सकल जगत त्राता, मुक्ति के हो प्रदाता।
नित गुण तव गाता, आपका रूप भाता।।
भगतन हित कारी, नित्य हो ब्रह्मचारी।
प्रभु शरण तिहारी, चाहता ये पुजारी।।
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मालिनी छंद विधान -

"ननिमयय" गणों में, 'मालिनी' छंद जोड़ें।
यति अठ अरु सप्ता, वर्ण पे आप तोड़ें।।

"ननिमयय" = नगण, नगण, मगण, यगण, यगण।
111  111  22,2  122  122 = 15 वर्ण की वर्णिक छंद।

मालिनी छन्द में प्रत्येक पद में 15 वर्ण होते हैं और इसमें यति आठवें और सातवें वर्णों के बाद होती है। सुंदर काण्ड का 'अतुलित बलधामं' श्लोक इसी छंद में है।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
09-09-2019

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