बह्र:- 2122 1122 1122 22
आग बरसाएँ घटाएँ तेरे जाने के बाद,
लगतीं लपटों सी हवाएँ तेरे जाने के बाद।
कौन सी दुनिया में भँवरे औ' परींदे गये उड़,
या हुईं चुप ये दिशाएँ तेरे जाने के बाद।
कह के थक जाते थे हम तू न थकी सुन के कभी,
हाले दिल किसको सुनाएँ तेरे जाने के बाद।
घर की दीवारों ने भी अब तो किया कानों को बंद,
फिर किसे हम दें सदाएँ तेरे जाने के बाद।
किसके हम नाज़ उठाएँ औ सहें नित नखरे,
देखें अब किसकी अदाएँ तेरे जाने के बाद।
इन फ़ज़ाओं का है वैसा ही सुहाना मंज़र,
पर कचोटें ये छटाएँ तेरे जाने के बाद।
ज़िंदगी से ही गया ऊब 'नमन' ये जानम,
किसकी अब पाये दुआएँ तेरे जाने के बाद।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
20-05-19
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