बह्र:- 2122 1212 112/22
हम जहाँ में किसी से कम तो नहीं,
दब के रहने की ही कसम तो नहीं।
आँख दिखला के जीत लेंगे ये दिल,
ये कहीं आपका बहम तो नहीं।
हो भी सकता है इश्क़ जोर दिखा,
सोच भी ले ये वो सनम तो नहीं।
अम्न की बात गोलियों से करें,
आपका नेक ये कदम तो नहीं।
बात कर नफ़रतें मिटा जो सकें,
ऐसा भी आपमें है दम तो नहीं।
सोचिये, इतने बेक़रार हैं क्यों,
आपका ही दिया ये ग़म तो नहीं।
हर्फों से क्या 'नमन' रुला न सके,
इतनी कमजोर भी कलम तो नहीं।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
07-06-19
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