Tuesday, May 14, 2024

योग-महिमा (कुण्डलिया)

योग साधना देन है, भारत की अनमोल।
मन को उत्साहित करे, काया करे सुडोल।
काया करे सुडोल, देन ऋषियों की भारी।
रखे देह से दूर, रोग की विपदा सारी।
निर्मल करती गात, शुद्ध यह करे भावना।
कहे 'बासु' कविराय, करो नित योग साधना।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया
21-06-2016

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