(चन्द्र शेखर आज़ादजी की पुण्य तिथि पर। जन्म 1906।)
तुम शुभ्र गगन में भारत के, चमके जैसे चन्दा उज्ज्वल।
ऐंठी मूंछे, चोड़ी छाती, आज़ाद खयालों के प्रतिपल।
अंग्रेजों को दहलाया था, दे अपना उत्साही यौवन।
हे शेखर! 'नमन' तुम्हें शत शत, जो खिले हृदय में बन शतदल।।
(मत्त सवैया आधारित)
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
No comments:
Post a Comment