Saturday, November 5, 2022

ग़ज़ल (दोस्तो! अब दोस्तों की बात हो)

बह्र:- 2122  2122  212

दोस्तो! अब दोस्तों की बात हो,
साथ में की मस्तियों की बात हो।

बाँट लें फिर से वो खुशियाँ आज हम,
दोस्तों की सुहबतों की बात हो।

बंदरों से नाचते जिन डाल पर,
आज उन अमराइयों की बात हो।

बाग में झूलों की पींगें फिर से लें,
रंग, खुशबू, तितलियों की बात हो।

पाठशाला, घर हो या बाहर हो फिर,
नागवार_उन बंदिशों की बात हो।

भूल जाएं ग़मज़दा नाकामियाँ,
कामयाबी के दिनों की बात हो।

अब 'नमन' यादें ही बाकी रह गयीं,
जिंदा जिनसे उन पलों की बात हो।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
30-07-19


बासुदेव अग्रवाल नमन USA


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