(5 7 7 5 7 7 वर्ण प्रति पंक्ति।)
सेदोका कविता - 1
चन्द्र चकोरी
तेरे नेह की रश्मि
जब भी आ के गिरी
मन में उठा
उतङ्ग ज्वार भाटा
तुम्हारी और खिंचा।
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सेदोका कविता - 2
प्रीत का चाँद
आकर्षित करता
मन का ज्वार-भाटा,
प्रेम-सागर
मिलने को आतुर
चन्द्र-प्रिया चातुर।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
15-02-19
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