(धुन - इक प्यार का नगमा है)
222*2
आजादी आई है
कितनी ये सुहानी है,
लहरा के तिरंगे को
नव आस जगानी है।
सन सैंतालिस प्यारी,
आजादी मिली न्यारी,
था जोश चढा नभ पर
सब और खुशी भारी;
सत्ता अंग्रेजी अब
हो गयी पुरानी है,
लहरा के तिरंगे को
नव आस जगानी है।
अब दूर हुआ सब गम,
हम हैं न किसी से कम,
भारत का मान बढ़ा
जनता को जगाएं हम;
दीवाली मना कर के
अंधियारी हटानी है,
लहरा के तिरंगे को
नव आस जगानी है।
शिक्षा को बढ़ाएंगे,
सोयों को जगाएंगे,
त्यज ऊँच नीच सारी
जन जन को हंसाएंगे;
जग के गुरु फिर से बनें
यह सोच बनानी है,
लहरा के तिरंगे को
नव आस जगानी है।
वीरों ने सीमा पर,
साहस को दिखला कर,
दुश्मन को भगा भगा
मारा पीटा जी भर
हम 'नमन' करें जिनकी
क्या गजब जवानी है
लहरा के तिरंगे को
नव आस जगानी है
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
12.08.23
बेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteआपका आत्मिक आभार।
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