Friday, July 19, 2024

"हिमालय है आज भारत की कथा कह रहा"

प्रज्वलित दीप सा जो तिल तिल जल रहा
जग के निकेतन को आलोकित जो कर रहा
देश के वो भाल पर अपना मुकुट सजा
फहराये वो विश्व में भारत के यश की ध्वजा
शिवजी के पुण्य धाम में ये दीप जल रहा।
हिमालय है आज भारत की कथा कह रहा।1।

खड़ा है अटल बन देश का वो भाल बन
शीत ताप सहता हुवा जल रहा मशाल बन
आँधियाँ प्रचण्ड सह तूफान को वो अंक ले
तड़ित उपल वृष्टि थाम हृदय में उमंग ले
झंझावातों में भी आज अनवरत जल रहा।
हिमालय है आज भारत की कथा कह रहा।2।

जगद्गुरु के यश को जग में है गा रहा
सर्वोच्च बन के महिमा देश की दर्शा रहा
जग को आलोक दे सभ्यता का दीप यह
ज्ञान का प्रकाश दे अखिल संसार को यह
उन्नत शीखर का दीप जग तम हर रहा।
हिमालय है आज भारत की कथा कह रहा।3।

उत्तर की दीवाल यह जग से देश दूर रख
कोटि कोटि जनों को अपनी ही गोद में रख
स्वयं गल करके भी देश को यह प्राण दे
शत्रु सेना के भय से देश को यह त्राण दे
सर्वस्व लूटा करके भी देश को बचा रहा।
हिमालय है आज भारत की कथा कह रहा।4।

सर्व रत्न की खान देश का है यह प्राण
गंगा यमुना का जनक देश का महान मान
ऋषि मुनियों का समाधि स्थल भी है यह
देव संस्कृति और सभ्यता का कोष यह
अक्षय कोष देश का यह सर्वदा बचा रहा।
हिमालय है आज भारत की कथा कह रहा।5।

महान दीप की शिखा एक वस्तु मांग रही
देश के वीर पतंगों को पुकार के बुला रही
एक एक जल के जो निज प्राण आहुति दे
देश रक्षार्थ निज को दीप शिखा में झोंक दे
वीरों के बलिदान से ही यह आज बच रहा।
हिमालय है आज भारत की कथा कह रहा।6।

स्वयं जल करके जो देश को बचा रहा
अपने तन के वारि से देश को है सींच रहा
उसकी रक्षा में उठना क्या हमारा धर्म नहीं
उसके लिये प्राण देना क्या हमारा कर्म नहीं
हमरे तन के स्वेद से यह दीप जल रहा।
हिमालय है आज भारत की कथा कह रहा।7।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
24-05-1970

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