तू
ईश
मैं जीव
तेरा अंश,
अरे निष्ठुर
पर सहूँ दंश,
तेरे गुणों से भ्रंश।11
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मैं
लख
तुम्हारा
स्मित-हास्य
अति विस्मित;
भाव-आवेग में
हृदय तरंगित।2।
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ये
तेरा
शर्माना,
मुस्कुराना
करता मुझे
आश्चर्यचकित
रह रह पुलकित।3।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
23-06-19
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