Thursday, January 20, 2022

मुक्तक "याद"

मुक्तक

हमें वे याद आते भी नहीं है,
कभी हमको सुहाये भी नहीं है,
मगर समझायें नादाँ दिल को कैसे,
कि पूरे इस से जाते भी नहीं है।

(1222  1222  122)
**********

ये तन्हाई सताती है नहीं बर्दास्त अब होती,
बसी यादें जो दिल में है नहीं बर्खास्त अब होती,
सनम तुझ को मनाते हम गए हैं ऊब जीवन से,
मिटा दो दूरियाँ दिल से नहीं दर्खास्त अब होती।

(1222*4)
*********

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
02-07-19

No comments:

Post a Comment