कलुष हृदय में वास बना माँ,
श्वेत पद्म सा निर्मल कर दो ।
शुभ्र ज्योत्स्ना छिटका उसमें,
अपने जैसा उज्ज्वल कर दो ।।
शुभ्र रूपिणी शुभ्र भाव से,
मेरा हृदय पटल माँ भर दो ।
वीण-वादिनी स्वर लहरी से,
मेरा कण्ठ स्वरिल माँ कर दो ।।
मन उपवन में हे माँ मेरे,
कविता पुष्प प्रस्फुटित होंवे ।
मन में मेरे नव भावों के,
अंकुर सदा अंकुरित होंवे ।।
माँ जनहित की पावन सौरभ,
मेरे काव्य कुसुम में भर दो ।
करूँ काव्य रचना से जग-हित,
'नमन' शारदे ऐसा वर दो ।।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया
08-05-2016
बहुत ही सुन्दर वंदना जय माँ शारदे
ReplyDeleteआपका हृदयतल से आभार।
Deleteजय हो, सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत आभार।
Deleteमन शीतल हो गया बहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteसादर
अनीता सैनी जी आपका हृदयतल से आभार।
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