पाठ - 20
छंदा सागर ग्रन्थ
"कवित्त छंदाएँ"
सवैया की तरह हिंदी में कवित्त या घनाक्षरी भी बहुत प्रचलित छंद है। कवित्त सवैया की तरह पूर्णतया गणाश्रित तो नहीं है परंतु वर्णों की संख्या इसमें भी सुनिश्चित है। संकेतक आधारित पाठ में 'ख', 'फ', 'झ', 'छ' संकेतक से हमारा परिचय हुआ था जिनका कवित्त-छंदाओं में प्रचुर प्रयोग है। ये चारों संकेतक वर्ण की संख्या दर्शाते हैं जो क्रमशः 1, 2, 3, 4 है। यहाँ पुनः प्रत्येक संकेतक को विस्तार से समझाया गया है।
ख या खा :- एक वर्ण का शब्द जो लघु या दीर्घ कुछ भी हो सकता है।
फ या फा :- किसी भी मात्रा क्रम का द्विवर्णी शब्द। इसकी चार संभावनाएं हैं। 11, 12, 21, 22
झु या झू :- घनाक्षरी में यह संकेतक केवल झू या झु के रूप में प्रयुक्त होता है। इसका अर्थ है, तीन वर्ण का शब्द जिसके मध्य में लघु वर्ण हो। इसकी चार संभावनाएँ हैं - 111, 211, 112, 212।
छु या छू :- इसका अर्थ है लघु या दीर्घ कोई भी चार वर्ण जो केवल समवर्ण आधारित शब्द में हों। ये चार वर्ण दो द्विवर्णी शब्द में हो सकते हैं या एक चतुष्वर्णी शब्द में।
कवित्त या घनाक्षरी में मनहरण घनाक्षरी सबसे प्रमुख है और इसी को आधार बना कर यहाँ पर कुछ छंदाएँ प्रस्तुत हैं। घनाक्षरी का संसार अत्यंत विस्तृत है पर इन छंदाओं के आधार पर कोई भी सफल घनाक्षरी का सृजन कर सकता है।
घनाक्षरी में सम तुकांतता के चार पद होते हैं। घनाक्षरी के एक पद में 30 से 33 वर्ण तक होते हैं। इनमें से प्रथम 28 वर्ण के 4 - 4 वर्ण के सात खण्ड रहते हैं जो प्रत्येक घनाक्षरी में आवश्यक हैं। प्रायः घनाक्षरियों में इन 28 वर्ण का एक ही विधान रहता है जिस पर हम चर्चा करने जा रहे हैं। अंतिम खण्ड में घनाक्षरी के विभेद के अनुसार 2 से लेकर 5 वर्ण तक हो सकते हैं। मनहरण के पद के अंतिम खण्ड में 3 वर्ण रहते हैं। इस प्रकार मनहरण के पद में (28+3) कुल 31 वर्ण होते हैं।किसी भी घनाक्षरी के प्रथम 16 वर्ण के पश्चात यति अनिवार्य है। इस प्रकार मनहरण के पद में 16 वर्ण पर प्रथम यति तथा बाकी बचे 15 वर्ण के पश्चात पदांत यति रहती है। यह देखा गया है कि 8 - 8 वर्ण पर यति रखने से रचना में लालित्य की वृद्धि होती है अतः पद में चार यति रख कर रचना करें तो और अच्छा है जो कि कई घनाक्षरियों में तो नियमों के अंतर्गत भी है। ये चार यति 8, 8, 8, तथा बाकी बचे वर्ण पर रहती हैं।
घनाक्षरी की लय सम शब्द पर टिकी हुई है। घनाक्षरी में सबसे अधिक प्रयुक्त होने वाला संकेतक 'छु' या 'छू' है, जिसका अर्थ ऊपर स्पष्ट किया गया है।
घनाक्षरी में विविधता लाने के लिए सम वर्ण शब्द के अतिरिक्त विषम वर्ण शब्द भी रखने आवश्यक हैं। ऐसे विषम वर्ण शब्दों का घनाक्षरी के पद में सफल संयोजन अत्यंत महत्वपूर्ण है। अतः जहाँ भी विषम वर्ण शब्द आये उसके तुरंत बाद दूसरा विषम वर्ण शब्द लाकर समकल बनाना आवश्यक है। इसकी संभावना के रूप में 3+1, 1+3, 1+1 आदि हैं। इस नियम के अपवाद के रूप में ऐसे दो विषम वर्ण शब्द के मध्य ऊलग (12) वर्ण का शब्द या शब्द आ सकते हैं जैसे दया, चलो आदि। उदाहरणार्थ "जो दया सभी पे करे"।
घनाक्षरी के किसी भी पद की रचना मुख्यतया 4 - 4 वर्णों के सात खण्ड पर आश्रित रहती है। अतः इसका प्रारूप समझना अत्यंत आवश्यक है।
चार वर्ण के खंड के तीन रूप हैं।
(1) 'छू' (2) झुख और (3) गन।
छू की व्याख्या कर दी गयी है।
'झू' की 4 संभावनाऐँ हैं - 111, 112, 211, 212
तथा 'खा' की 1 या 2 के रूप में दो संभावनाऐँ हैं।
झुख को निम्न रूप में भी रखा जा सकता है।
2 121 या 2 122
2 12 1 या 2 12 2 (तीन शब्द)
यह ध्यान में रहना चाहिये कि चार वर्ण के खण्ड का प्रथम वर्ण यदि एक अक्षरी शब्द है तो वह सदैव दीर्घ होना चाहिये।
'गन' अर्थात गुरु वर्ण तथा नगण। जिसका केवल 2 111 एक रूप है।
एक यति खण्ड के 4+4 के दो खण्डों का अष्टवर्णी खण्ड भी बनाया जा सकता है जिसके निम्न दो रूप हैं।
(1) झूलीखफ
झूलीखफ की अनेक संभावनाऐँ हैं।
'झू' की 4 संभावनाऐँ ऊपर बताई गयी हैं।
'लीख' में 'ली' का अर्थ इलगा वर्ण (12) है, अतः इसके 121 और 122 ये दो रूप बनते हैं।
'फ' के (11, 12, 21, 22) चार रूप हैं।
(2) झूनफ
'न' का अर्थ नगण (111)।
8 वर्ण के यति खण्ड की संभावनाएँ देखें।
(1) छूदा - द्विगुणित 'छू'
(2) झुखधू - 'धू' संकेतक झुख का बिना यति का द्विगुणित रूप दर्शाता है।
(3) गनधू
(4,5) छूझुख, झुखछू
(6,7) छूगन, गनछू
(8,9) झुखगन, गनझुख
(10) झूलीखफ
(11) झूनफ
आठ वर्ण की यति उपरोक्त संभावना में से किसी भी संभावना की रखी जा सकती है।
इस प्रकार हमारे पास 8 वर्ण के यति खंड की समस्त संभावनाएं हैं। इन्हीं के आधार पर हम कुछ घनाक्षरी की छंदाएँ बनायेंगे।
छूदथछुर = यह मनहरण घनाक्षरी की 8 वर्ण पर यति की छंदा है। यह छंदा सम वर्णों पर आधारित है तथा सरलतम है। 'छू' संकेतक का अर्थ ऊपर स्पष्ट है। छूद का अर्थ चार चार वर्णों के दो खंड। 8 वर्णों की यति में सम-शब्दों के वर्ण की निम्न संभावनाऐँ बन सकती हैं।
4+4, 4+2+2, 2+4+2, 2+2+4, 2+2+2+2
किसी भी 2 को दो एक वर्णी शब्दों में तोड़ा जा सकता है। पर यदि चार के वर्ण खंड के प्रथम 2 को तोड़ते हैं तो प्रथम शब्द लघु नहीं होगा।
छूदथ का अर्थ हुआ यति के साथ 8 - 8 वर्णों के ऐसे 3 खंड। इसके पश्चात 'छु' का अर्थ फिर चार वर्णों का एक खंड। अंत का 'र' इसमें रगण (212) जोड़ता है। घनाक्षरी वर्ण आधारित संरचना है अतः 212 के किसी भी 2 को ओलल वर्ण यानी 11 में नहीं ले सकते। इस प्रकार इस छंदा का अर्थ हुआ-
8, 8, 8, 4 + (212) कुल 31 वर्ण।
8 में ऊपर वर्णित 11 संभावनाओं में से कोई भी ली जा सकती है। मनहरण में अंत में रगण (212) की विशेष लय आती है। पर विधान के अनुसार अंत में केवल गुरु वर्ण रहना चाहिए। अतः रगण के स्थान पर सगण (112), मगण (222) तथा यगण (122) भी रख सकते हैं।
झूलीखफ-थगनर:- झूलीखफ का अर्थ ऊपर स्पष्ट किया गया है। 'झूलीखफ' की तीन यति और अंत में गनर। झूलीखफ को छूझुख, झुखधू आदि से बदल कर छंदाओं के अनेक रूप बनाए जा सकते हैं।
छूगनथा-झूखय;
गनझू-खथछुम
आदि विविध रूप की कई छंदाऐँ बन सकती हैं।
अब पद में केवल दो यति की छंदा:-
छूझूलिखफाछुण-छूझूलिखफर:-
इसमें अनेक संभावनाएं हैं। उनमें से उदाहरणार्थ एक रूप यह भी बन सकता है।
गाल लगा - गालगा लगाल गाल - ललगागा,
लगा गाल - गालल लगागा गागा गालगा।
'छुण' का अर्थ सम-वर्ण शब्द आधारित कोई भी चार वर्ण और यति।
छूझूलिखफझुखण-गनझुनफर:-
ऊपर चार वर्णी खंड तथा 8 वर्णी यति के कई संभावित रूप बताये गये हैं। घानाक्षरी के विविध पद तथा यति खंडों में इन रूप को अदल बदल कर अनेक प्रकार की विविधता से युक्त मनहरण घनाक्षरी का सृजन संभव है।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया
25-11-19
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