Thursday, January 4, 2024

विजात छंद "उदंडी"

हृदय में एकता धारे।
सजग होके रहें सारे।।
रखें ये देश ऊँचा हम।
यहाँ जो व्याप्त हर लें तम।।

प्रखर विद्रोह के हैं स्वर।
लगें भीषण हमें ये ज्वर।।
विरोधी के सभी उत्तर।
मिले बरसा यहाँ पत्थर।।

प्रबल अलगाववादी हैं।
कलह के नित्य आदी हैं।।
इन्हें चिंता न भारत की।
करें बातें शरारत की।।

विषमतायें यहाँ भारी।
मगर हिम्मत न हम हारी।।
हतोत्साहित न हों थोड़ा।
हटायें राह के रोड़ा।।

मनोबल को रखें उन्नत।
सदा जिनसे हुयें आहत।।
करें उनका पराक्रम क्षय।
मिलेगी जीत बिन संशय।।

उदंडी दंड को पायें।
धरा का न्याय अपनायें।।
रहे मन में न अब दूरी ।
'नमन' यह चाह हो पूरी।।
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विजात छंद विधान -

विजात छंद 14 मात्रा प्रति पद का सम मात्रिक छंद है। यह मानव जाति का छंद है। एक छंद में कुल 4 चरण होते हैं और छंद के दो दो या चारों चरण सम तुकांत होने चाहिए। यह एक मापनी आधारित छंद है। इन 14 मात्राओं की मात्रा बाँट:- 1222 1222 है। चूंकि यह मात्रिक छंद है अतः 2 को 11 करने की छूट है।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया
07-06-22

12 comments:

  1. Replies
    1. बासुदेव अग्रवाल नमनSaturday, January 06, 2024 6:27:00 PM

      आपका आत्मिक आभार।

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  2. अच्छा ब्लॉग है...कव‍िता का व्याकरण अब समझ में आज जाएगा हमारे...धन्यवाद नमन जी

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    1. बासुदेव अग्रवाल नमनSaturday, January 06, 2024 6:26:00 PM

      आपका स्वागत है। काव्य पर इस ब्लॉग में बहुत कुछ मिलेगा।

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  3. Replies
    1. बासुदेव अग्रवाल नमनSaturday, January 06, 2024 6:28:00 PM

      आपका बहुत बहुत आभार।

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  4. प्रबल अलगाववादी हैं , कलह के नित्य आदी हैं ..वाह

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    1. बासुदेव अग्रवाल नमनSunday, January 07, 2024 8:36:00 AM

      आपका हृदयतल से आभार व्यक्त करता हूँ।

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  5. वाह!!!
    बहुत ही लाजवाब ।

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    1. बासुदेव अग्रवाल नमनSunday, January 07, 2024 8:38:00 AM

      आपका बहुत बहुत आभार।

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  6. बहुत अच्छी रचना के साथ विजात छंद की जानकारी भी मिली। सादर आभार।

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  7. बासुदेव अग्रवाल नमनSunday, January 07, 2024 8:37:00 AM

    आपका आत्मिक आभार।

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