फागुन का मास।
रसिकों की आस।।
बासंती वास।
लगती है खास।।
होली का रंग।
बाजै मृदु चंग।।
घुटती है भंग।
यारों का संग।।
त्यज मन का मैल।
टोली के गैल।।
होली लो खेल।
ये सुख की बेल।।
पावन त्योहार।
रंगों की धार।।
सुख की बौछार।
दे खुशी अपार।।
=============
निधि छंद विधान:-
यह नौ मात्रिक चार चरणों का छंद है। इसका चरणान्त ताल यानी गुरु लघु से होना आवश्यक है। बची हुई 6 मात्राएँ छक्कल होती हैं। तुकांतता दो दो चरण या चारों चरणों में समान रखी जाती है।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
18-03-19
रसिकों की आस।।
बासंती वास।
लगती है खास।।
होली का रंग।
बाजै मृदु चंग।।
घुटती है भंग।
यारों का संग।।
त्यज मन का मैल।
टोली के गैल।।
होली लो खेल।
ये सुख की बेल।।
पावन त्योहार।
रंगों की धार।।
सुख की बौछार।
दे खुशी अपार।।
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निधि छंद विधान:-
यह नौ मात्रिक चार चरणों का छंद है। इसका चरणान्त ताल यानी गुरु लघु से होना आवश्यक है। बची हुई 6 मात्राएँ छक्कल होती हैं। तुकांतता दो दो चरण या चारों चरणों में समान रखी जाती है।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
18-03-19
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