Wednesday, September 22, 2021

मुक्तक "हालात"

हालात से अभी मैं हिला तक ज़रा नहीं,
पर जख्म इस जहाँ का दिया भी भरा नहीं,
अहले जहाँ ये जान ले लड़ता रहूँगा मैं,
सुन लो जमाने वालों अभी मैं मरा नहीं।

(221  2121 1221  212)
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सदियों से चली आई रफ़्तार न बदलेंगे,
सुख दुख से भरा जो भी संसार न बदलेंगे,
ज़ालिम ओ जमाना सुन, चाहे तो बदल जा तू,
हालात हों कैसे भी दस्तार न बदलेंगे।

(221  1222)*2
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
16-8-18

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