दोहा छंद "होली"
काव्य कुञ्ज पटल के साझा काव्य संग्रह "काव्य कौमुदी (होली विशेषांक)" के आभासी संस्करण में प्रकाशित मेरी रचना।
काव्य कौमुदी डाउनलोड लिंक:-
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दोहे "होली"
होली के सब पे चढ़े, मधुर सुहाने रंग।
पिचकारी चलती कहीं, बाजे कहीं मृदंग।।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
03.04.22
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