ग्रीष्म गूजरी मतवाली,
स्वेद घड़ा छलकाती,
विकल सभी को कर डाली।
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पावस पायल पहनी,
छम छम धुन बाजे,
हरियाली मन में खिली।
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मिला शरद का आमंत्रण,
खिले हृदय में उत्सव,
शुभ्र ज्योत्सना का नर्तन।
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बसंत बाग में बगराया,
बौर आम पर छाया,
कोकिल मधुर गान गाये।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
11-04-21
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