वृक्ष जीवन देते हैं।
नाहिं ये कुछ लेते हैं।
काट व्यर्थ इन्हें देते।
आह क्यों इनकी लेते।।
पेड़ को मत यूँ काटो।
भू न यूँ इन से पाटो।
पेड़ जीवन के दाता।
जोड़ लो इन से नाता।।
वृक्ष दुःख सदा बाँटे।
ये न हैं पथ के काँटे।
मानवों ठहरो थोड़ा।
क्यों इन्हें समझो रोड़ा।।
मूकता इनकी पीड़ा।
काटता तु उठा बीड़ा।
बुद्धि में जितने आगे।
स्वार्थ में उतने पागे।।
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गाथ छंद विधान -
सूत्र राच "रसोगागा"।
'गाथ' छंद मिले भागा।।
"रसोगागा" = रगण, सगण, गुरु गुरु
212 112 22 = 8 वर्ण
चार चरण, दो दो समतुकांत।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया
21-03-2017
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