किशोर छंद (मुक्तक - 1)
एक आसरो बचग्यो थारो, बालाजी।
बेगा आओ काम सिकारो, बालाजी।
जद जद भीड़ पड़ी भकताँ माँ, थे भाज्या।
दोराँ दिन सें आय उबारो, बालाजी।।
किशोर छंद (मुक्तक - 2)
भारी रोग निसड़्लो आयो, कोरोना,
सगलै जग मैं रुदन मचायो, कोरोना,
मिनखाँ नै मिनखाँ सै न्यारा, यो कीन्यो,
कुचमादी चीन्याँ रो जायो, कोरोना।
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किशोर छंद विधान -
किशोर छंद मूल रूप सें एक मात्रिक छंद है जिसमे चार पद समतुकांत होते हैं । प्रत्येक पद में 22 मात्राएँ होती हैं। यति 16 व 6 मात्राओं पर होती है। यदि तीसरे पद को भिन्न तुकांत कर दें तो यही 'किशोर मुक्तक' में परिवर्तित हो जाता है।
इसमें चरणांत मगण 222 से हो तो यह और भी सुंदर हो जाता है।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
5-11-17
बहुत खूब। किशोर छंद और किशोर मुक्तक के बारे में जानकर बहुत खुशी हुई।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका
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