तारिख पच्चिस मास दिसम्बर की शुभ बेला आई।
घर की प्यारी मुनिया 'शुचिता' इस दिन हुई पराई।
प्रणयबन्ध में बन्ध वो लाडो हर्षित हो सकुचाई।
पच्चिस वर्षों पूर्व जमी ये जोड़ी सबकी मन भाई।।
जीवन साथी संदीप संग जीवन की खुशियाँ लाई।
रौनक सा सुत और बार्बी मिष्टी सी बिटिया पाई।
मन के मीत और बच्चों संग सुघड़ गृहणी बन छाई।
दो दो घर को आज जोड़ती सबको लगे सुहाई।।
शादी की है रजत जयंती आज बड़ी है वो हरषाई।
बच्चे जीवन साथी को ले पावन गंगा तट पर आई।
संग मनाये रजत जयंती भैया भाभी देत बधाई।
जीवन की हर खुशियाँ पाओ सदा रहो यूँ ही मुस्काई।।
बासुदेव अग्रवाल नमन
25-12-2018
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