बह्र:- 22 22 22 22 22 2
खुशियों ने जब साथ निभाना छोड़ दिया,
हमने भी अपने को तन्हा छोड़ दिया।
झेल गरीबी को हँस जीना सीखे तो,
गर्दिश ने भी साथ हमारा छोड़ दिया।
हमें पराई लगती ये दुनिया जैसे,
ग़ुरबत में अपनों ने पल्ला छोड़ दिया।
थोड़ी आज मुसीबत सर पे आयी तो,
अहबाबों ने घर का रस्ता छोड़ दिया।
जब से अपने में झाँका है, आईना
हमने लोगों को दिखलाना छोड़ दिया।
नेताओं ने अपना गेह बसाने में,
जनता का आँगन ही सूना छोड़ दिया।
धनवानों ने अपनी ख़ातिर देख 'नमन',
मुफ़लिस को तो आज बिलखता छोड़ दिया।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
1-10-19
खुशियों ने जब साथ निभाना छोड़ दिया,
हमने भी अपने को तन्हा छोड़ दिया।
झेल गरीबी को हँस जीना सीखे तो,
गर्दिश ने भी साथ हमारा छोड़ दिया।
हमें पराई लगती ये दुनिया जैसे,
ग़ुरबत में अपनों ने पल्ला छोड़ दिया।
थोड़ी आज मुसीबत सर पे आयी तो,
अहबाबों ने घर का रस्ता छोड़ दिया।
जब से अपने में झाँका है, आईना
हमने लोगों को दिखलाना छोड़ दिया।
नेताओं ने अपना गेह बसाने में,
जनता का आँगन ही सूना छोड़ दिया।
धनवानों ने अपनी ख़ातिर देख 'नमन',
मुफ़लिस को तो आज बिलखता छोड़ दिया।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
1-10-19
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